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बिहार में वायरल बुखार कहर, 24 घंटे में NMCH में तीन बच्चों की मौत, 59 बच्चे हैं भर्ती. - श्रीनारद मीडिया

बिहार में वायरल बुखार कहर, 24 घंटे में NMCH में तीन बच्चों की मौत, 59 बच्चे हैं भर्ती.

बिहार में वायरल बुखार कहर, 24 घंटे में NMCH में तीन बच्चों की मौत, 59 बच्चे हैं भर्ती.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

नालन्दा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के शिशु रोग विभाग में 24 घंटे के भीतर वायरल बुखार (निमोनिया) से पीड़ित आठ बच्चों को भर्ती किया गया। इनमें तीन बच्चों की मौत इलाज के दौरान हो गई। हालांकि मंगलवार को आउटडोर से केवल एक मरीज को भर्ती किया गया है।

जिन बच्चों की मौत हुई है, उनमें बेऊर अखाड़ा (पटना) के एक साल के बच्चे को परिजनों ने 12 सितम्बर को भर्ती कराया था। उसकी मौत मंगलवार की सुबह हो गई। वहीं वैशाली जिला के सराय का ढाई माह के बच्चे की मौत इलाज के दौरान सोमवार की रात हुई। उसे 13 सितम्बर को भर्ती कराया गया था। वहीं 13 सितम्बर की रात में ही खगड़िया के तीन माह के बच्चे की मौत भी इलाज के दौरान हो गई। उसे 10 सितम्बर को भर्ती कराया गया था। वहीं एक बच्चा लामा भी है। इस माह अस्पताल के शिशु रोग विभाग में अब तक वायरल निमोनिया से पीड़ित छह बच्चों की मौत हो चुकी है।

अधीक्षक सह विभागाध्यक्ष डॉ. विनोद कुमार सिंह ने बताया कि 84 बेड वाले शिशु रोग विभाग में 59 बच्चे भर्ती हैं। जबकि नीकू व पीकू के सभी बेड वायरल पीड़ित बच्चों से भरे हैं। उन्होंने बताया कि अस्पताल में वायरल रोग से संबंधित सभी तरह की मशीन, उपकरण व दवा उपलब्ध है।

अधीक्षक ने बताया कि अधिकतर परिजन बच्चों की स्थिति गंभीर होने के बाद अस्पताल लेकर आते हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें बचाना मुश्किल हो जाता है। यदि परिजन बच्चों में बीमारी का लक्षण मिलते ही अस्पताल में भर्ती कराते हैं, तो उसका समय से इलाज शुरू कर जान बचाई जा सकती है।

वायरल बुखार, स्वाइन फ्लू के बाद अब डेंगू मच्छरों का कहर भी बढ़ता जा रहा है। जुलाई माह में जहां कुल सात मरीज मिले थे, वहीं सिर्फ सितंबर माह में अबतक 12 लोगों में इसकी पुष्टि हो चुकी है। ये वे मामले हैं जिनकी आरएमआरआइ, एम्स पटना, पीएमसीएच व एनएमसीएच की लैब में एलाइजा विधि से डेंगू की पुष्टि हुई है। बताते चलें कि निजी लैब एनएस-1 किट से जांच करती है और अधिकांश डाक्टर उसी के आधार पर रोगियों का इलाज करते हैं। किट से जांच करने के कारण निजी अस्पतालोंं में भर्ती रोगियों की संख्या इसमें शामिल नहीं है।

जिला मलेरिया पदाधिकारी डा. विनोद कुमार चौधरी ने बताया कि जुलाई माह में आरएमआरआइ में चार और एम्स में तीन डेंगू रोगी चिह्नित किए गए थे। वहीं अगस्त माह में पीएमसीएच में तीन, आरएमआरआइ में चार, एम्स में तीन और दो निजी अस्पतालों में मिले थे। सितम्बर माह में अबतक 12 लोगों में डेंगू की पुष्टि हुई है। इनमें से पांच एनएमसीएच, 6 एम्स और एक पीएमसीएच में मिला है। इनमें से बाढ़ बाजार, अथमलगोला और एकाध अन्य प्रखंड को छोड़ दें तो शेष सभी शहरी क्षेत्र के निवासी हैं।

इसके अलावा बाजार समिति, नया टोला सिमरी बख्तियारपुर, तुलसी मंच, दरियापुर बजरंगपुरी, गुरगोला, पटनासिटी, महेंद्रू, बैरिया, पल्लवी नगर, महारानी कालोनी आदि इलाकों के निवासी हैं। बताते चलें कि 2019 में जब डेंगू ने सबसे ज्यादा कहर ढाया था, उस समय पटनासिटी, गायघाट, महेंद्रू, खाजेकला, गर्दनीबाग, पत्थर की मस्जिद, ट्रांसपोर्ट नगर, कंकड़बाग, पाटलिपुत्र कालोनी, दानापुर, राजीवनगर, फुलवारीशरीफ, पीरबहोर, मंदिरी, संपतचक, शास्त्रीनगर, रामकृष्णानगर, पल्लवी नगर, राजेंद्र नगर आदि इलाके सबसे अधिक प्रभावित हुए थे। यही कारण है कि जुलाई माह से अबतक राजधानी के 150 से अधिक जगहों से लार्वा के नमूने लिए गए थे। इनमें से 67 जगह पर डेंगू के लार्वा मिले थे।

अबतक हो रही बारिश से बढ़ा खतरा

मलेरिया पदाधिकारी के अनुसार जलवायु में परिवर्तन हो रहा है। सितम्बर तक बारिश होने से जगह-जगह जलजमाव है। इससे डेंगू मच्छरों की संख्या तेजी से बढ़ सकती है। बचाव के लिए लोगों को चाहिए कि आसपास या घर में कहीं पानी नहीं जमा होने दें। यदि निकालना संभव नहीं हो तो उसमें केरोसिन तेल आदि डाल दें। सुबह व शाम जब मच्छर ज्यादा काटते हैं, उस समय फुल आस्तीन के कपड़े पहनें और मास्कीटो रिपेलेंट आदि का दिन में भी इस्तेमाल करें।

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