ज्ञानी जैल सिंह की पुण्यतिथि पर विश्वकर्मा महासभा ने किया राजनैतिक भागीदारी महासम्मेलन,राष्ट्र के विकास व हिंदुत्व की रक्षा में विश्वकर्मा समाज का अहम योगदान – अशोक विश्वकर्मा

ज्ञानी जैल सिंह की पुण्यतिथि पर विश्वकर्मा महासभा ने किया राजनैतिक भागीदारी
महासम्मेलन,राष्ट्र के विकास व हिंदुत्व की रक्षा में विश्वकर्मा समाज का अहम योगदान – अशोक विश्वकर्मा

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया / सुनील मिश्रा वाराणसी यूपी

चंदौली / भारत के सातवें राष्ट्रपति महान स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय ज्ञानी जैल सिंह की पुण्यतिथि ऑल इंडिया यूनाइटेड विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा के तत्वावधान में मुख्यालय स्थित अरविंद वाटिका लान में राजनैतिक भागीदारी महासम्मेलन के रूप मेंसंपन्न हुआ। सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक कुमार विश्वकर्मा ने कहा की विश्वकर्मा समाज के लिए आज के दिन का विशेष महत्व है।

जहां एक ओर समूची मानवता को प्रेम एकता और भाईचारे का संदेश देने वाले महान विभूति विश्वकर्मा वंशज प्रभु ईसा मसीह का जन्म क्रिसमस पर्व के रूप में संसार मनाता है वहीं दूसरी ओर भारत के सर्वोच्च राष्ट्रपति पद को सुशोभित करने वाले विश्वकर्मा समाज के गौरव और स्वाभिमान के प्रतीक स्वर्गीय ज्ञानी जैल सिंह जी का पुण्य स्मृति दिवस है। उन्होंने कहा आज का यह विशाल समागम हमारे सामाजिक सम्मान पहचान स्वाभिमान अधिकार और भागीदारी की दिशा में महत्वपूर्ण क्रांतिकारी सामाजिक परिवर्तन की शुरुआत करेगा।

उन्होंने कहा हिंदुत्व की रक्षा और राष्ट्र के विकास में विश्वकर्मा वंशियों का अहम योगदान है। हिंदुत्व की रक्षा के लिए विश्वकर्मा वंशीयो ने अनेकों प्रकार के अस्त्र शस्त्रों का निर्माण करने के साथ ही मुगलों के खिलाफ युद्ध में अपना योगदान दिया एवं स्वतंत्रता संग्राम में भी सर्वस्व न्योछावर कर अपनी आहुति दी। इस समाज के लोगों ने श्रम के सिद्धांत को प्रतिपादित करते हुए देश और समाज के विकास में सतत योगदान किया चाहे वह कृषि औद्योगिक एवं रक्षा का क्षेत्र हो किसानों के लिए खेती के औजार कल कारखानों के लिए बड़ी-बड़ी मशीनें बनाई इसके बावजूद आज भी यह समाज शोषित वंचित और भेदभाव का शिकार हैं|

सभी दलों ने इस समाज का सिर्फ इस्तेमाल किया और उपेक्षा की जिसके चलते यह समाज आज भी भेदभाव और असमानता का शिकार है। उन्होंने ज्ञानी जैल सिंह के संघर्ष त्याग और बलिदान की चर्चा करते हुए कहा ज्ञानीजी का संपूर्ण जीवन संघर्षों में ही व्यतीत हुआ सतत संघर्ष के बाद भी ज्ञानी जी भारतीय राजनीति में उपेक्षित राजनेता रहे हैंI ज्ञानी जी निर्भीक स्वतंत्रता सेनानी और विलक्षण प्रतिभा के धनी राजनेता थेI उनकी अप्रतिम राष्ट्र सेवा त्याग और बलिदान के गुणों ने उन्हें भारत के सर्वोच्च राष्ट्रपति पद तक पहुंचाया उन्हें किसी कॉलेज या विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने का अवसर नहीं मिला I फिर भी उनके ज्ञान का भंडार विशाल था। वह हिंदी और भारतीय भाषाओं के प्रबल समर्थक थे I उनका असली नाम जरनैल सिंह था I

राष्ट्रपति बनते ही उन्होंने सभी स्वतंत्रता सेनानियों को राष्ट्रपति भवन आमंत्रित किया उन्होंने यह परंपरा भी डाली की स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस अवसर के पूर्व संध्या पर स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में पार्टी का आयोजन हुआ करेगा ।पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में गुरु गोविंद सिंह मार्ग की स्थापना का ऐतिहासिक कार्य किया । वह सारे राष्ट्र को अपना घर मानते थे और लोकतंत्र के पक्के समर्थक थे। यमुनानगर के खालसा कॉलेज के प्रांगण में रजत जयंती के अवसर पर 27 नवंबर 1994 को दिए गए उनके भाषण के अंतिम शब्द उनके जीवन की संध्या के यथार्थ बन गए। उजाले उनकी यादों के हमारे साथ रहने दो न जाने किस गली में जिंदगी की शाम हो जाए उस दिन वह बहुत ही स्वस्थ और प्रसन्न नजर आ रहे थे खड़े हो कर दिए गए अपने लंबे भाषण के अंत में सहसा वह भावुक हो गए और अंत में शेर के बाद उपस्थित जनसमूह को प्रणाम कर बैठ गए।उसी दिन शाम को वह चंडीगढ़ राजभवन में विश्राम के लिए चले आये 2 दिन बाद 29 नवंबर को कार दुर्घटना में उन्हें घातक चोट आई और वह कभी नहीं उठ पाए।

इस अवसर पर वक्ताओं ने सामाजिक गैर बराबरी और उपेक्षा के खिलाफ आवाज बुलंद करने पर बल दिया तथा समाज के लोगों को एकजुट होकर अपने स्वाभिमान भागीदारी और अधिकार के लिए संघर्ष करने का आह्वान किया। वक्ताओं ने कहा मौजूदा सरकार विश्कर्मा समाज के देवताओं महापुरुषों महात्माओं महान नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों के इतिहास को साजिश के तहत समाप्त कर इस समाज के सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान को खत्म करना चाहती है । इस अवसर पर महासभा ने सरकार से मांग किया है कि ज्ञानी जी के नाम पर शिल्पकारो और दस्तकारों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार सम्मान की घोषणा की जाए तथा भारतीय संसद के समीप ज्ञानी जी की स्मृति में संग्रहालय स्थापित कर उनकी प्रतिमा लगवाई जाए I कार्यक्रम के आरंभ में अतिथियों ने ज्ञानी जैल सिंह एवं प्रभु यीशु मसीह के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की।

इस अवसर पर अतिथियों को अंगवस्त्रम भेंट कर एवं पगड़ी पहनाकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि कांग्रेस पिछड़ा वर्ग के प्रदेश अध्यक्ष श्री मनोज यादव जी, राम नगर पालिका परिषद की अध्यक्ष श्रीमती रेखा शर्मा, कांग्रेस पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष श्री मकसूद खान साहब, महासचिव श्री धर्मेंद्र कुमार निषाद, श्री देवेंद्र प्रताप सिंह, सचिव श्रीमती सरिता पटेल, दयाराम पटेल कांग्रेस जिला अध्यक्ष श्री धर्मेंद्र तिवारी, लोकतंत्र सेनानी श्री राधे श्याम सिंह जी, सरदार सतनाम सिंह, रमेशबिंद जी,श्रीकांत विश्वकर्मा, दीनदयाल विश्वकर्मा, नंदलाल विश्वकर्मा, चंद्रशेखर विश्वकर्मा, प्रमोद कुमार विश्वकर्मा, अजय कुमार विश्वकर्मा, चौधरी विश्वकर्मा, जितेंद्र मिंटू विश्वकर्मा, सुरेश विश्वकर्मा, एडवोकेट लोचन विश्वकर्मा, महेंद्र विश्वकर्मा, सुरेश विश्वकर्मा, राम किशन विश्वकर्मा, अविनाश विश्वकर्मा, रमेश विश्वकर्मा, अवधेश विश्वकर्मा, सियाराम विश्वकर्मा, जितेंद्र विश्वकर्मा, अनामी विश्वकर्मा, दिनेश विश्वकर्मा, राहुल विश्वकर्मा, कालिका विश्वकर्मा, अविनाश विश्वकर्मा, अशोक विश्वकर्मा, सिद्धार्थ विश्वकर्मा, चंद्रशेखर विश्वकर्मा, रामअवतार विश्वकर्मा, सुरेश विश्वकर्मा, श्याम बिहारी विश्वकर्मा, शिव कुमार विश्वकर्मा, जगनारायण विश्वकर्मा, राम चेला विश्वकर्मा, रामराज विश्वकर्मा, प्रेमनाथ विश्वकर्मा, एडवोकेट मोहन विश्वकर्मा, राजेश विश्वकर्मा, गोविंद विश्वकर्मा, रमेश विश्वकर्मा प्रधान, संजय विश्वकर्मा, मोहन विश्वकर्मा, संजय विश्वकर्मा, सुरेंद्र विश्वकर्मा, श्याम सुंदर विश्वकर्मा, अनीता शर्मा,रीता विश्वकर्मा, सोम लता विश्वकर्मा, अमिता विश्वकर्मा, सहित हजारों लोग उपस्थित थे।कार्यक्रम का संचालन राजेश कुमार विश्वकर्मा कवि एवं अध्यक्षता जिलाध्यक्ष श्रीकांत विश्वकर्मा ने किया।

Leave a Reply

error: Content is protected !!