झारखंड में अंत्येष्टि के लिए श्मशान घाट पर घंटों करना पड़ रहा इंतजार.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

झारखंड की राजधानी रांची में कोरोना संक्रमण के अलावा विभिन्न कारण से लोगों की मृत्यु की संख्या लगातार बढ़ रही है। इनमें कोरोना से मौत के अलावा गंभीर बीमारी, सड़क हादसे और सामान्य मौतें शामिल हैं। स्थिति यहां तक पहुंच गई है कि सोमवार को रांची के घाघरा घाट पर शवों की अंत्येष्टि के लिए एंबुलेंस की कतार देखी गई। दाह-संस्कार के लिए लोग मुर्दे के साथ इंतजार करते दिखे। इतना ही नहीं, शवों की संख्या अधिक होने की वजह से एक-एक चिता पर तीन-से-चार लाशों को एक साथ जलाया गया।

मृतकों की बढ़ती संख्या का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मार्च में अकेले हरमू मुक्तिधाम, स्वर्गधाम और एलपीजी चालित शवदाह गृह में कुल 205 शव का अंतिम संस्कार किया गया था। इसमें कोरोना संक्रमण से मृत लोगों की संख्या 20 थी।कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच एक अप्रैल से लेकर 11 अप्रैल तक 151 शव की अंत्येष्टि तीनों घाटों पर की जा चुकी है। इनमें कोरोना से मृत लोगों की संख्या 76 है। इस माह सबसे ज्यादा 17 कोविड संक्रमित मृतक के शव 11 अप्रैल को दाह संस्कार के लिए लाए गए थे। इनमें से तीन शव की अंत्येष्टि हरमू शवदाह गृह में हुई। शेष 14 शवों का दाह-संस्कार डोरंडा के घाघरा स्थित स्वर्णरेखा नदी घाट पर देर शाम किया गया। दाह संस्कार कराने वालों के मुताबिक मरने वालों की संख्या इसी तरह बढ़ती रही तो आंकड़ा 600 के पार जा सकता है।

शवों की संख्या लगातार बढ़ने से अंत्येष्टि कराने वाले भी अचंभित

रांची में विभिन्न बीमारी से पीड़ित लोगों की मृत्यु की संख्या लगातार बढ़ रही है। हरमू मुक्तिधाम में अंत्येष्टि कराने वाले राजदेव राम, अजय राम एवं फाल्गुनी राम ने बताया कि एक से 12 अप्रैल तक हर दिन औसत 17 शव की अंत्येष्टि हुई है। परिजनों की ओर से कई तरह की बीमारी, सांस लेने में तकलीफ समेत अन्य मृत्यु के कारण बताए गए। उन्होंने बताया कि ऐसा पूर्व के माह में कभी नहीं हुआ था। मृतकों में 35 साल से लेकर 90 साल आयुवर्ग के लोग शामिल हैं। इससे नीचे की आयु वर्ग के मृतकों की संख्या काफी कम है।

कोविड जांच के दौरान यदि सीटी वैल्यू 35 तक रहता है तो वह पॉजिटिव माना जाएगा। 35 से ऊपर वाले निगेटिव माने जाएंगे। रिम्स की ओर से मंगलवार को हाईकोर्ट में शपथपत्र दाखिल कर यह जानकारी दी गई। एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने रिम्स से इस पर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया था। याचिका में राज्य सरकार पर कोविड पॉजिटिव के निर्धारित मानकों का पालन नहीं करने का आरोप लगाया गया था। याचिका में कहा गया था कि आइसीएमआर ने कोरोना जांच के दौरान सीटी वैल्यू 35 तक को पॉजिटिव के दायरे में रखा है, लेकिन झारखंड में 32 सीटी वैल्यू तक को ही पॉजिटिव माना जा रहा है। इससे अधिक के सीटी वैल्यू वाले को निगेटिव घोषित किये जा रहे हैं। अदालत को बताया गया कि आइसीएमआर के मानको और निर्देशों का पालन करना सभी सरकारों की बाध्यता है, लेकिन झारखंड में इसका पालन नहीं हो रहा है।

अदालत को बताया गया कि राज्य में 32 से अधिक सीटी वैल्यू वाले को निगेटिव बताया जा रहा है, जिसका प्रतिकूल असर पड़ रहा है। 35 सीटी वैल्यू वाले पॉजिटिव रहे हैं और वह दूसरे को संक्रमण फैला रहे हैं। याचिका में कहा गया है कि कई ऐसे उदाहरण हैं, जिसमें परिवार के एक सदस्य को 32 से अधिक सीटी वैल्यू मिलने पर निगेटिव बताया गया जबकि परिवार के दूसरे सदस्य संक्रमित हो गए। वैसे सदस्य संक्रमित हुए हैं, जो घर से बाहर नहीं जा रहे हैं और बाहरी लोगों के संपर्क में भी नहीं है। प्रार्थी की ओर से बताया गया कि आइसीएमआर के सीटी वैल्यू का पालन नहीं करने से राज्य में संक्रमण बढ़ रहा है। रिम्स की ओर से बताया गया कि कुछ कंपनियों के चिप में 32 से अधिक को निगेटिव बताया जा रहा था। लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब 35 सीटी वैल्यू वाले को पॉजिटिव माना जा रहा है।

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