वक्फ संशोधन बिल को जंगल कानून से भी अधिक खतरनाक – उलेमा बोर्ड
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
वक्फ संपत्तियों के अस्तित्व को खतरे में डालता यह बिल- बोर्ड का दावा
हसनी ने दावा किया कि सरकारी कर्मचारी द्वारा लिए गए फैसले को हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी नहीं दी जा सकती। यह बिल मस्जिदों, मदरसों और आश्रय गृहों जैसी वक्फ संपत्तियों के अस्तित्व को खतरे में डालता है।
यह हिंदू-मुस्लिम मुद्दा नहीं है- उलेमा बोर्ड
भविष्य की कार्रवाई के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए हसनी ने कहा कि वे आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करेंगे और शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि आल इंडिया उलेमा बोर्ड और अन्य मुस्लिम संगठनों ने बिल का विरोध करने वाले आइएनडीआइए ब्लाक के सभी सांसदों का स्वागत किया है।
वक्फ संशोधन बिल को मिली राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की मंजूरी
अब पूरे देश में नया वक्फ कानून लागू हो जाएगा
नए कानून का उद्देश्य पक्षपात, वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग और वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण को रोकना है। सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार ने कहा है कि यह कानून मुस्लिम विरोधी नहीं है। वहीं, राष्ट्रपति मुर्मु के हस्ताक्षर के बाद वक्फ (संशोधन) विधेयक कानून बन गया है। अब पूरे देश में नया वक्फ कानून लागू हो जाएगा।
उलेमा बोर्ड ने दावा किया कि यह मस्जिदों और मदरसों जैसी इस्लामी संपत्तियों को खतरे में डालता है. संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अल्लामा बानी नईम हसनी ने शनिवार को मुंबई में कहा कि नए बिल में बड़ी मुश्किल यह है कि अगर कोई सरकारी कर्मचारी वक्फ संपत्ति पर दावा करता है तो कोई अन्य सरकारी कर्मचारी इस मामले पर फैसला करेगा. यह दावा करते हुए कि सरकारी कर्मचारी के लिए फैसले को हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी नहीं दी जा सकती.