क्या साजिश का शिकार हुए केके पाठक ?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

केके पाठक के खिलाफ सारी लॉबी अचानक सक्रिय हो गई। तीन कारक इसमें बड़े कारण बनकर उभरे हैं। एक तरह विश्वविद्यालय वाली लॉबी, दूसरी बीपीएससी वाली लॉबी और तीसरी शिक्षा विभाग के अंदर केके पाठक के खिलाफ गेम प्लान कर रही लॉबी। घेराबंदी के पीछे का पूरा माजरा आपको समझ में आ जाएगा। केके पाठक के खिलाफ परीक्षा माफिया, यूनिवर्सिटी माफिया सक्रिय है। उन्होंने बताया कि यूनिवर्सिटी के कुलपति के लिए साक्षात्कार हो चुके हैं।

नाम की घोषणा नहीं हो रही है। सबको पता है कि कानून सम्मत नियुक्ति नहीं हुई। केके पाठक उसमें अड़ंगा लगा सकते हैं। पूरी प्रक्रिया पर सवाल खड़ा हो सकता है। केके पाठक कानून की बारिकियों को समझते हैं।

बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक अपने पद का परित्याग कर छुट्टी पर चले गए हैं। उनके परित्याग का पत्र भी सामने आया है। केके पाठक शिक्षा विभाग से जुड़ने के बाद से लेकर अब तक लगातार काम कर रहे थे। शिक्षा की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए कई प्रयास कर रहे थे। ऐसा अचानक क्या हुआ कि केके पाठक को छुट्टी पर जाना पड़ा, वो भी तब जब 13 जनवरी को उन्हें मुख्यमंत्री के साथ गांधी मैदान में मौजूद रहना है।

अद्योहस्ताक्षरी मैं केके पाठक, भारतीय प्रशासनिक सेवा(1990) सामान्य प्रशासन विभाग, बिहार पटना के अधिसूचना संख्या 1/पी-1004/2021/सामान्य प्रशासन-590, दिनांक-09-01-2024 के आलोक में आज दिनांक 09-01-2024 के अपराह्न में अपर मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग, बिहार पटना के पद का प्रभार स्वतः परित्याग करता हूं। उपरोक्त पत्र केके पाठक के हस्ताक्षर से जारी हुआ है।

सवाल सबसे बड़ा है कि मुख्यमंत्री के सबसे चहेते अधिकारी को अचानक छुट्टी पर जाने की जरूरत क्यों पड़ी? ऐसा क्या हुआ कि केके पाठक अचानक सीएम आवास की आंखों में खटकने लगे? जानकारों की मानें, तो इसके पीछे बड़ा खेल हुआ है। केके पाठक को हटाने की गहरी साजिश रची गई है। इसके पीछे करोड़ों रुपये का खेल शामिल है। इसमें बीपीएससी से जुड़े गैंग और उन तत्वों की भूमिका ज्यादा है, जिन्होंने बीपीएससी की बहाली में बड़ा खेल कर दिया है। हम आपको सिलसिलेवार पूरा मामला बताएंगे। उ

फर्जी शिक्षक और केके पाठक

दरभंगा में फर्जी टीचर गिरफ्तार। मुजफ्फरपुर में थंब इंप्रेशन के दौरान कई शिक्षक गायब। हाथ धोने गए शिक्षक सत्यापन के लिए नहीं लौटे। जी हां, ये कुछ खबरों की हेडलाइन है। इससे आप समझ सकते हैं कि बीपीएससी परीक्षा में ‘सॉल्वर’ गैंग सक्रिय रहा है। ये गैंग अभ्यर्थियों से पैसे की वसूली कर उनकी जगह परीक्षा में बैठता है। सूत्रों की मानें, तो बीपीएससी परीक्षा में चयनित कई अभ्यर्थियों के कंप्यूटर सर्टिफिकेट अचानक जाली निकलने लगे। कई अभ्यर्थी सत्यापन के दौरान गायब हो गए। केके पाठक का यहीं पर माथा ठनक गया। उन्होंने अपने एक पत्र में यहां तक कहा कि बीपीएससी की ओर से कई अभ्यर्थियों के थंब इंप्रेशन नहीं मुहैया कराए जा रहे हैं। ‘सॉल्वर’ गैंग की थ्योरी पर काम करने वाले एक जानकार ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि केके पाठक बीपीएससी बहाली में हुए करोड़ों रुपये के खेल का भंडाफोड़ करने लगे थे। ये बात गैंग को खटकने लगी थी।

सीएम हाउस नाराज क्यों?

अब सवाल उठता है कि आखिर केके पाठक ने किस दुखती रग पर हाथ रख दिया कि उन्हें किनारे लगाये जाने की बात चलने लगी। इस प्रश्न का जवाब केके पाठक की ओर से जारी एक पत्र में आप ढूंढ सकते हैं। 28 दिसंबर 2024 को केके पाठक की ओर से एक पत्र निकाला गया था। जानकार मानते हैं कि असल खेल यही से शुरू हुआ। जिस पत्र की वजह से पाठक को अपना पद परित्याग कर छुट्टी पर जाना पड़ा। वो पत्र क्या है। उसे आप नीचे पढ़ सकते हैं। ये पत्र केके पाठक ने बिहार के सभी जिलाधिकारियों को लिखा था।

इस पत्र का विषय देते हुए केके पाठक ने लिखा है- बिहार लोकसेवा आयोग द्वारा प्रथम चरण (TRE-1) के तहत फर्जी विद्यालय अध्यापकों की पहचान। केके पाठक पत्र में लिखते हैं- आप अवगत हैं कि 02 नवंबर 2023 को लगभग 1.20 लाख विद्यालय अध्यापकों को तदर्थ नियुक्ति-पत्र वितरण किया गया है। तत्पश्चात इनका विद्यालय में पदस्थापन किया गया और 01 लाख से अधिक विद्यालय अध्यापक वर्तमान में विद्यालय में योगदान करके अध्यापन का कार्य भी कर रहे हैं।

उसके बाद उन्होंने पत्र में लिखा कि किंतु इस दौरान ऐसी शिकायत प्राप्त हुई है, जिससे ये पता चला है कि ऐसे कुछ लोगों ने फर्जी नियुक्ति-पत्र बनवाने अथवा फर्जी नाम से विद्यालय में योगदान दिया है या ऐसी कोशिश की है। हाल ही में हाजीपुर और सहरसा जिले में ऐसे प्रकरण सामने आए हैं। संबंधित व्यक्तियों के विरुद्ध प्राथमिकी दायर की जा चुकी है और इसमें कुछ की गिरफ्तारियां भी हुई।

भागने लगे शिक्षक

उन्होंने अपने पत्र के तीसरे सेक्शन में लिखा है कि यहां ध्यान देने की बात ये है कि इतनी सतर्कता बरतने के बावजूद ऐसा कैसे हो गया कि जिस व्यक्ति ने BPSC की परीक्षा दी थी, वह कोई और है और जिस व्यक्ति ने विद्यालय में योगदान दिया, वह कोई और है। वह इस कारण हुआ क्योंकि BPSC ने उस समय (नवम्बर-2023 में) विभाग को उन अभ्यर्थियों का Thumb Impression नहीं प्रदान किया था।

जिसके कारण हम संतुष्टि नहीं कर पाए कि जिस व्यक्ति ने विद्यालय में योगदान किया है, यह वही व्यक्ति है, जिसने BPSC की परीक्षा दी थी। जिला स्तर पर ये लोग इसलिए पकड़ में नहीं आए क्योंकि संभवतः काउंसिलिंग में भी वही व्यक्ति आया, जिसने BPSC की परीक्षा दी थी। चूंकि उस वक्त विभाग के पास BPSC से Thumb Impression प्राप्त नहीं हुआ था, अतः हमारे पास कोई माध्यम नहीं था, जिससे हम यह सुनिश्चित कर सकें कि ये सही व्यक्ति है।

केके पाठक इस पत्र के चौथे सेक्शन में लिखते हैं कि किन्तु हाल ही में (18 दिसम्बर 23 के बाद से) प्रत्येक जिले से randomly लगभग 4 हजार अध्यापकों को Reverification के लिए बुलाया गया। जब उनकी पहचान की गयी तो 01 अध्यापक हाजीपुर का तथा सहरसा के 02 अध्यापक पकड़े गए। अन्य 03 अध्यापक भाग खड़े हुए।

बीपीएससी पर उठाया सवाल

केके पाठक ने इस पत्र के आगे वाले सेक्शन में भी बीपीएससी को कई निर्देश दिए हैं। लेकिन इस पत्र के तीसरे प्वाइंट में उन्होंने साफ किया है कि बीपीएससी की ओर से थंब इंप्रेशन मुहैया नहीं कराया गया था। कुल मिलाकर केके पाठक की ओर से बीपीएससी की कार्यशैली पर सवाल खड़ा किया गया है। जानकार मानते हैं कि इस पत्र में बीपीएससी पर सवाल खड़ा करने का मतलब वर्तमान चेयरमैन पर सवाल खड़ा करना हुआ।

जैसे ही ये पत्र सामने आया वो लॉबी सक्रिय हो गई, जो केके पाठक को पद से हटाने पर तुली हुई थी। इस पत्र के बाद केके पाठक ने जिलाधिकारियों को ये जिम्मेदारी दी और कहा कि आप हमें जांच में सहयोग कीजिए। केके पाठक के इस आदेश के बाद जिस-जिस जिले में सत्यापन का कार्य शुरू हुआ, वहां-वहां से शिक्षक अभ्यर्थियों के भागने, गायब होने और फरार होने की खबरें आने लगीं। छपरा में तो बीपीएससी के डाटा से 20 शिक्षकों के अंगूठे का निशान मेल नहीं खाया। इस बीच बीपीएससी के उस दावे की हवा निकल गई, जिसमें फूलप्रूफ इंतजाम के तहत परीक्षा लेने की बात कही गई थी।

फर्जी शिक्षकों की बाढ़

जानकारों की मानें तो जैसे ही बीपीएससी पर सवाल खड़ा हुआ। जैसे ही एक खास लॉबी केके पाठक के खिलाफ सक्रिय हुई। जिलों से जिलाधिकारियों की ओर से मिलने वाला सहयोग धीरे-धीरे कम होने लगा। कटिहार जिला प्रशासन की ओर से जारी एक पत्र का हवाला देते हुए बताया केके पाठक के छुट्टी पर जाते ही कई जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारियों ने एक पत्र निकाल दिया। वो पत्र ये था कि प्रथम चरण में बहाल हुए शिक्षकों के थंब इंप्रेशन वाली प्रक्रिया को फिलहाल अगले आदेश तक स्थगित किया जाता है।

उसके तुरंत बाद दरभंगा में फर्जी शिक्षक पकड़ में आ गए। कंप्यूटर की डिग्री फर्जी पकड़ी जाने लगी। केके पाठक का थंब इंप्रेशन वाला जिलाधिकारियों को दिया गया पत्र जैसे ही जारी हुआ। उसके बाद से लगभग 1 हजार फर्जी शिक्षक पकड़े गए। बिहार में जो ‘सॉल्वर’ गैंग है, वो सक्रिय हो गया है। उसकी ओर से तमाम तरह के प्रयास चल रहे हैं। वो पूरी तरह परीक्षा व्यवस्था को प्रभावित कर रहे हैं। ‘सॉल्वर’ गैंग को ये बात पता है कि जब तक केके पाठक हैं, चीजों को मैनेज करना काफी मुश्किल है।

केके पाठक के खिलाफ साजिश

बीपीएससी की बहाली में करोड़ों का खेल भी हुआ है। उस खेल को तब तक सही रास्ता नहीं मिलेगा, जब तक केके पाठक पद पर बने रहेंगे। उसके बाद केके पाठक के खिलाफ वाली लॉबी सक्रिय हुई। केके पाठक के छुट्टी पर जाने की शाम वाइस चांसलर लोगों के सामने रजिस्ट्रार का विवाद हुआ। सारे वाइस चांसलर राजभवन चले गए। चांसलरों ने राजभवन में शिकायत की और कहा कि शिक्षा विभाग के हस्तक्षेप से शैक्षणिक माहौल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

 

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