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क्या प्रधानमंत्री का कश्मीर दौरा विकास कार्यों को समर्पित रहा? - श्रीनारद मीडिया

क्या प्रधानमंत्री का कश्मीर दौरा विकास कार्यों को समर्पित रहा?

क्या प्रधानमंत्री का कश्मीर दौरा विकास कार्यों को समर्पित रहा?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कश्मीर घाटी की यात्रा जितनी सुखद है, उतनी ही ऐतिहासिक भी। प्रधानमंत्री ने वहां 6,400 करोड़ रुपये से अधिक की 43 विकास परियोजनाओं का अनावरण-शिलान्यास करने के साथ ही सार्वजनिक सभा को भी संबोधित किया। 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद यह भारतीय प्रधानमंत्री की पहली घाटी यात्रा थी और इसकी खूब चर्चा होनी ही चाहिए। घाटी के लोग जब प्रधानमंत्री को अपने बीच देख रहे थे, तो उन्हें जो खुशी हुई, उसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है।

श्रीनगर आतंकियों के शिकंजे से निकलकर अब जिस तरह से विकास की सांसें लेने लगा है, उससे निश्चित रूप से प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों की जरूरत वहां बढ़ गई है। आरोप लगाने वाले अक्सर कहते थे कि प्रधानमंत्री श्रीनगर नहीं जा रहे हैं, क्योंकि वहां की स्थितियां अनुकूल नहीं हैं। अब इस यात्रा से ऐसे आलोचकों के आरोपों पर अंकुश लग सकेगा। प्रधानमंत्री ने गुरुवार को श्रीनगर के बख्शी स्टेडियम में सार्वजनिक रैली को जिस तरह से संबोधित किया है, उसकी गूंज घाटी के उन चंद रोशनी से महरूम इलाकों तक भी अवश्य पहुंची होगी, जहां अभी भी आतंकी यदा-कदा जा छिपते हैं।

इसमें कोई शक नहीं है कि प्रधानमंत्री का यह दौरा जितना विकास कार्यों को समर्पित था, उतना ही चुनाव को भी संबोधित था। इस दौरे से निस्संदेह भाजपा और कश्मीर में उसके समर्थकों को राजनीतिक बल मिलेगा। कश्मीर में पता नहीं, भाजपा कितनी सीटें जीत पाएगी, लेकिन प्रधानमंत्री के कश्मीर दौरे से बाकी देश में भाजपा की मजबूती का ही संदेश पहुंचेगा। नरेंद्र मोदी ने कश्मीर घाटी की जनसभा से भी विपक्ष पर हमला बोला है।

उन्होंने कांग्रेस सहित विपक्ष पर निशाना साधा और दावा किया कि कुछ परिवार न केवल जम्मू-कश्मीर के लोगों को, बल्कि पूरे देश को गुमराह कर रहे हैं। गौर करने की बात है कि विपक्ष के अनेक नेता यह कहते नहीं थकते थे कि जम्मू-कश्मीर से अगर अनुच्छेद 370 को हटाया गया, तो वहां कोहराम मच जाएगा। मगर अब यह इतिहास में दर्ज है कि केंद्र सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त कर दिया।

इतना ही नहीं, जम्मू-कश्मीर से राज्य का दर्जा भी छिन गया। लद्दाख एक अलग केंद्रशासित प्रदेश हो गया। बेशक, आतंकवाद के निशाने पर रहे इस इलाके के शासन-प्रशासन में आमूल-चूल बदलाव जरूरी हो गया था, ताकि किसी भी तरह के अनुचित विरोध या हिंसा की स्थिति से तत्काल निपटा जा सके। कश्मीर में आतंकवाद भले पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ हो, लेकिन सरकार की रणनीतियां इस पूरे क्षेत्र को विकास की ओर ले जाने के लिए प्रयासरत हैं।

प्रधानमंत्री ने अगर अब घाटी में अनुच्छेद 370 की उपयोगिता का प्रश्न उठाया है, तो वह गलत नहीं है। जो लोग वहां विकास की सीढ़ियां चढ़ने लगे हैं, जो लोग वहां अपने सपनों को साकार करने लगे हैं, वे सोच रहे होंगे कि उनके हाथ पहले ज्यादा मजबूत थे या अब हुए हैं? प्रधानमंत्री ने उचित ही याद दिलाया है कि एक युग था, जब गरीबों के कल्याण के लिए योजनाएं बनाई जाती थीं, लेकिन जम्मू-कश्मीर के भाई-बहन लाभ से वंचित रह जाते थे। अब समय बदल रहा है। कश्मीर में दो एम्स खुलने वाले हैं। शिक्षा और आरक्षण की सुविधा को बहाल किया गया है, वहां विकास तेज हुआ है। कुल मिलाकर, प्रधानमंत्री का यह दौरा लंबे समय तक याद किया जाएगा।

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