सीवान रेलवे परिसर स्थित टंकी से पानी की बर्बादी।

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

“आज जल बचाओगे तो
कल जीवन पाओगे”।
यह मात्र नारा ही बनकर रह गया है। इस स्लोगन का माखौल व मजाक सीवान रेलवे स्टेशन के दक्षिण में स्थित पानी की टंकी बना हुआ है। जहां निरन्तर हजारों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है।
एक आंकड़े के अनुसार देश में 16 करोड लोगों को पीने का साफ पानी नहीं मिलता है, 50 करोड़ लोग देश में जल संकट से जूझ रहे हैं। यह भी बात सत्य है कि एक औसत भारतीय प्रतिदिन 45 लीटर पानी बर्बाद कर देता है। इससे आगे बढ़ते हुए सीवान रेलवे परिसर में स्थित यह पानी की टंकी लाखों लीटर पानी बर्बाद कर देता है। इसे जानने, समझने, पूछने व समीक्षा करने का किसी के पास ना तो समय है और ना ही किसी को इस विषय को लेकर संवेदना है।


जल ही जीवन है। आज का जल कल हमारे जीवन का अमृत है। यह सृष्टि आकाश, वायु, अग्नि, पृथ्वी और जल से निर्मित है।
“क्षितिज जल पावक गगन समीरा, पंच रचित अति अधम सरीरा”।
जल की महता हमारे जीवन में कूट-कूट कर भरी हुई है। जब हम पैदा होते हैं तो जल से नहलाया जाता है और जब हमारा निधन हो जाता है तब शव को पानी से नहाला कर ही चिता पर अग्नि को समर्पित किया जाता है।
पानी की रक्षा देश की सुरक्षा है। आज देश में तीन हजार करोड रूपये के पानी का व्यापार हो रहा है। सभी सार्वजनिक स्थानों पर एक लीटर पानी का मूल्य ₹20 से ₹150 तक है।


विश्व जल दिवस पर जारी आंकड़े के अनुसार पृथ्वी पर पाए जाने वाले जल का कुल 97% भाग समुद्र में खारे पानी के रूप में विद्यमान है, जिससे पेयजल और सिंचाई का कार्य नहीं किया जा सकता है शेष 3% जल में ढाई प्रतिशत जल बर्फ के रूप में ग्लेशियर व हिमखंड और उससे निकलने वाली नदियों के रूप में पाया जाता है। अर्थात पृथ्वी पर मात्र 8% पानी भूगर्भ जल के रूप में विद्यमान है और इसका दोहन हमारे भविष्य को भयावह बना रहा है।

सीवान रेलवे स्टेशन का परिसर जहां यह टंकी स्थापित है। यह पूरा क्षेत्र पानी के मामले में धनी है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम भूगर्भ जल का इस तरह से बर्बाद करें और इसे कोई देखने वाला ना हो।

इसलिए हमारे शास्त्रों में कहा गया है “रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरे, मोती मानुष चून”।। अर्थात इस संसार में सभी को अपना पानी बचा कर रखना चाहिए यहां पानी का अर्थ उस लज्जा से भी है जिस काम के लिए आपको यहां रखा गया है वह कार्य आप नहीं करते हैं। नियमित रूप से पानी को टंकी में चढ़ाना उसका वितरण सुनिश्चित करना आपकी जिम्मेदारी है। लेकिन आप अपने कार्यालय में ताला बंद कर गायब हो जाते हैं।
अंततः
“जल है अनमोल इसका नहीं है कोई मोल”।

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