सामने पानी, कंठ में तीव्र प्यास पर श्रद्धा की बंदिश!
बेहद कठिन हरितालिका तीज व्रत पूजन करने वाली भारतीय नारी शक्ति को सादर प्रणाम
ऐसा कठिन व्रत सिर्फ भारतीय नारी शक्ति के वश की ही बात
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
तकरीबन 24 घंटे की अवधि। न अन्न का एक दाना। न फल का एक कतरा। न जल की एक बूंद। मौसम की भयानक बेरुखी। उमस द्वारा आस्था का कठोर परीक्षण। कंठ को जल की बार बार दरकार। सामने ही पानी का पात्र। फिर भी श्रद्धा की बंदिश। आस्था का अद्वितीय विश्वास। आराधना का अविरल आवाहन।
प्रथम पूज्य गणेश, देवाधिदेव महादेव और जगत जननी मां पार्वती का मंगलगान। आराधना पूजन का अनवरत सिलसिला। मन में अखंड सौभाग्य की मंगल कामना। हरितालिका व्रत के परम् पावन अवसर पर नारी शक्ति का यह दिव्य उपासनारत स्वरूप देखकर, बस भावनाएं कह उठती हैं- ‘नारी तुम केवल श्रद्धा हो’। नारी शक्ति आपकी इस संवेदना, आस्था, श्रद्धा, तपस्या को कोटि कोटि प्रणाम।
हमारी सनातन परंपरा में व्रत, उपवास का विशेष महत्व रहा हैं। निराहार, निर्जल रहकर देवाधिदेव महादेव और जगत जननी मां पार्वती की आराधना का विशेष सुअवसर यानी हरितालिका तीज व्रत बेहद महिमामयी मानी जाती रही हैं। हरितालिका तीज व्रत शक्ति के अपार आस्था और दिव्य श्रद्धा का प्रतीक भी है। संयम, संवेदना, त्याग, आस्था और श्रद्धा का ऐसा सुंदर संगम भावविभोर कर जाता है।
अखंड सौभाग्य के लिए नारी शक्ति 24 घंटे निर्जल रहकर देवाधिदेव महादेव और मां पार्वती की आराधना, पूजन अर्चन करती हैं। व्रत की तैयारियों में भी कठोर परिश्रम की बानगी दिखती है। पूरे घर की साफ सफाई और गुजिया आदि का निर्माण। नारी शक्ति के आस्था जनित उल्लास के आगे थकान भी सहमा सहमा सा दिखता है।सोलह श्रृंगार से सुसज्जित होकर आस्था द्वारा हर हर महादेव का उद्गार दिव्य अनुभूति करा जाता हैं। परंतु इस महिमायी व्रत के पीछे जो तपस्या का भाव होता है, वह अद्भुत, वंदनीय, अभिनंदनीय होता है। जब नारी शक्ति अपने दिव्य आभा का हुंकार भरती नजर आती है।
हम पुरुष इस व्रत पर तो फोटो खिंचाने तक ही सीमित रह जाते हैं लेकिन नारी शक्ति अपने अखंड सौभाग्य के लिए साधना का दिव्य श्रृंगार कर जाती है। आज के दौर में काफी महिलाएं मधुमेह, हृदय रोग आदि अन्य व्याधियों से ग्रसित रहती हैं। कुछ उम्र के इस पायदान पर रहती हैं, जहां यह कठिन व्रत कठिनता की सीमा को लांघता प्रतीत होता है। डॉक्टर इन्हें निर्जला न रहने की नसीहत देते है। परंतु आस्था का प्रबल ज्वार इनकी ऊर्जा का आधार बन जाता है। कई पुरुष तस्वीर तक खिंचाने में पुरुषोचित ठसक दिखा ही जाते है। पुरुष अपने पुरुषत्व का अहंकार भर सकता है लेकिन नारी शक्ति की यह आराधना, उसे सम्मान और संवेदना के सुंदर श्रृंगार से सुसज्जित कर जाती है।
भारतीय नारी, आपकी मिसाल अन्यत्र मिलना मुश्किल है। आपकी तपस्या, आराधना, आस्था को बारंबार नमस्कार।
आभार–गणेश दत्त पाठक,
अयोध्यापुरी, सीवान
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