जल ही जीवन है,जल की बर्बादी कैसे रोका जाये?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
‘जल जीवन मिशन’ (हर घर जल योजना) केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक रही है. इस परियोजना के जरिये मोदी सरकार ने 2024 तक ग्रामीण क्षेत्रों के सभी घरों में पेयजल हेतु नल कनेक्शन मुहैया कराने का लक्ष्य रखा है. इसकी घोषणा प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त, 2019 को की थी. अद्यतन आंकड़ों के मुताबिक, देश के नौ करोड़ ग्रामीण घरों तक घरेलू नल कनेक्शन पहुंच चुका है.
गोवा, तेलंगाना और हरियाणा तथा अंडमान निकोबार द्वीप समूह, पुद्दुचेरी और दादर एवं नगर हवेली-दमन एवं दीव क्रमशः तीन ऐसे राज्य और तीन केंद्र शासित प्रदेश हैं, जो अपनी संपूर्ण ग्रामीण आबादी तक यह सुविधा उपलब्ध करा चुके हैं. सर्वाधिक घरों तक नल कनेक्शन उपलब्ध कराने की सूची में बिहार 10वें स्थान पर है, जहां के 90 फीसदी ग्रामीण घर इस योजना के दायरे में आ चुके हैं.
वहीं झारखंड में यह आंकड़ा केवल 12.74 फीसदी तथा पश्चिम बंगाल में 19.16 फीसदी है. नरेंद्र मोदी सरकार के लिए शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना एक राष्ट्रीय प्राथमिकता है. लिहाजा, वित्तीय वर्ष 2022-23 के बजट में ‘जल जीवन मिशन’ के लिए 60 हजार करोड़ रुपये आवंटित करने की घोषणा की गयी है.
‘जल जीवन मिशन’ के तहत प्रत्येक परिवार को नियमित आधार पर पर्याप्त मात्रा और निर्धारित गुणवत्ता वाले पेयजल की आपूर्ति लंबी अवधि तक की जाती है. इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिदिन, प्रति व्यक्ति को 55 लीटर स्वच्छ व सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराया जाता है. यह योजना इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि आज भी ग्रामीण भारत के एक बड़े हिस्से में पेयजल की कोई ठोस व्यवस्था नहीं है. आज भी लोग सामूहिक चापानलों, कुंओं या नदियों पर आश्रित हैं.
इस योजना से सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. इससे महिलाओं के समय की बचत और स्वास्थ्य की रक्षा भी होगी. आमतौर पर घर में पानी की व्यवस्था की जिम्मेदारी महिलाओं के कंधों पर होती है. रसोई से लेकर साफ-सफाई की सारे कार्य पानी के बिना संपन्न नहीं होते. चूंकि, प्रातः काल नींद खुलते ही महिलाओं को पानी की चिंता सताने लगती है. पौ फटते ही चापानल और कुंओं पर महिलाओं का समूह पानी लेने के लिए कतारबद्ध हो जाता है.
कई इलाकों में पीने के पानी के लिए महिलाओं को लंबी दूरी तय करनी पड़ती है. ऐसी महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. गर्दन, रीढ़, हाथ और कंधों का दैनिक दर्द कई बार बड़ी समस्या खड़ी कर देता है. पीएम उज्ज्वला योजना के तहत जहां महिलाओं को परंपरागत चूल्हे के धुएं के बीच खाना बनाने की मजबूरी से मुक्ति मिली, उसी तरह उन्हें अब पेयजल के लिए भटकने की आवश्यकता नहीं होगी, क्योंकि केंद्र सरकार ने हर घर स्वच्छ पेयजल पहुंचाने का संकल्प लिया है.
विडंबना है कि यह मूलभूत सुविधा भी गुणवत्तापूर्ण स्थिति में नागरिकों को नसीब नहीं हो रही. ऐसे में मोदी सरकार की यह योजना बेहद खास प्रतीत होती है. इससे करोड़ों ग्रामीणों की बुनियादी चिंता को खत्म किया जा सकेगा. पानी की कमी और स्वच्छ पेयजल की समस्या देश में वर्षभर व्याप्त रहती है. इससे निजात पाने के लिए सरकार कमर कस चुकी है.
ग्रामीण क्षेत्र के प्रत्येक घर में वर्ष भर पाइप द्वारा शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने में सरकार पूरी ताकत से जुटी है. आमतौर पर यह सुविधा शहरवासियों के नसीब में ही होती है, लेकिन अब ग्रामीण भी इस सुविधा के हकदार होंगे. स्वच्छ पेयजल के लिए उन्हें अब सोचने और खोज में भटकना नहीं पड़ेगा. यही वजह है कि सरकार एक केंद्रीकृत योजना के जरिये ग्रामीण भारत को पेयजल के मामले में आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दे रही है.
इससे पहले,यूपीए सरकार ने 2009 में ‘राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम’ की शुरुआत की थी, जो अपने मकसद में पूरी तरह सफल नहीं रही थी. ‘जल जीवन मिशन’ के तहत न सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों में पाइपलाइन के जरिये पानी पहुंचाया जा रहा है, अपितु भूजल स्तर के पुनर्भरण, जल के पुनर्उपयोग, वर्षा जल संचयन तथा स्थानीय बुनियादी ढांचा को सदृढ़ करने पर भी बल दिया जा रहा है.
इस मिशन के तहत सीमित मात्रा में और उपभोक्ताओं तक सीधे जलापूर्ति की जा रही है, जिससे जल संरक्षण का संकल्प भी पूरा हो रहा है. मिशन के तहत देशभर में पाइपलाइन का जाल बिछाया जा रहा है, जिससे बड़े पैमाने पर रोजगार का सृजन भी हो रहा है. जाहिर है, योजना का लक्ष्य पूरा होने यानी 2024 तक बड़े पैमाने पर लोग इसमें कार्यरत रहेंगे.
भारत में दुनिया के कुल स्वच्छ जल का केवल चार फीसदी हिस्सा ही उपलब्ध है. पेयजल के असमान वितरण तथा गुणवत्ता में अंतर की वजह से एक बड़ी आबादी को पेयजल जनित समस्याओं का सामना करना पड़ता है. वहीं, बढ़ती जनसंख्या और औद्योगीकरण में आयी तेजी से जल संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है. ‘जल जीवन मिशन’ से नागरिकों के जीवन में आत्मनिर्भरता आयेगी.
वर्षभर स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना निश्चय ही एक कठिन कार्य है. केंद्र सरकार के दृढ़ संकल्प और दूरदर्शिता का ही परिणाम है कि हर घर जल उपलब्ध कराने का कार्य प्रगति पर है. सबको सुलभता से पेयजल उपलब्ध कराना एक सराहनीय पहल है, लेकिन जल की बर्बादी को रोकने के लिए भी हमें ठोस नीति बनानी होगी. जल संरक्षण व संचयन पर जोर देकर 2025 तक देश में ‘जल त्रासदी’ उत्पन्न होने की संयुक्त राष्ट्र की भविष्यवाणी को हम झूठा साबित कर सकते हैं.