केन-बेतवा नदियों के जोड़ने से दूर होगी बुंदेलखंड में पानी की किल्लत.

केन-बेतवा नदियों के जोड़ने से दूर होगी बुंदेलखंड में पानी की किल्लत.

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

नदियों को जोड़कर पिछड़े इलाकों में खुशहाली की राह बनाने की परियोजनाओं पर बजट में मुहर लगा दी है। पानी की कमी से जूझ रहे बुंदेलखंड के लोगों को सिंचाई और पेयजल उपलब्ध कराने के लिए केन-बेतवा नदी जोड़ परियोजना के लिए बजट में 1400 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इसके अलावा पांच नदी जोड़ परिया दमनगंगा-पिंजाल, पार-तापी-नर्मदा, गोदावरी-कृष्णा, कृष्णा-पेन्नार और पेन्नार-कावेरी को जोड़ने की परियोजना का विस्तृत रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर लिया गया है और संबंधित राज्यों के बीच सहमति बनते ही केंद्रीय सहायता देने का काम शुरू हो जाएगा।

निर्मला सीतारमण के अनुसार केन-बेतवा नदी जोड़ परियोजना पर कुल 44,605 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। परियोजना पूरी होने के बाद इससे 9.08 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। इसके साथ ही 62 लाख लोगों को पीने के पानी की सप्लाई भी सुनिश्चित की जा सकेगी। परियोजना में 103 मेगावाट पनबिजली और 27 मेगावाट सौर उर्जा उत्पादन का भी प्रावधान किया गया है। इस परियोजना के तहत केन नदी का अतिरिक्त पानी बेतवा नदी तक पहुंचाया जाएगा।

महाराष्ट्र के सूखाग्रस्त इलाके से होकर नर्मदा नदी तक पहुंचाया जाएगा पानी

इसी तरह से दमनगंगा-पिंजाल नदी जोड़ परियोजना के तहत भुगड और खरगीहिल झील से अतिरिक्त पानी को पिंजाल नदी के मार्फत वैतरना बेसिन तक पहुंचाया जाएगा, इससे मुंबई में पानी की सुचारू सप्लाई सुनिनिश्चत हो सकेगी। इसी तरह से पार-तापी-नर्मदा नदी जोड़ परियोजना के तहत पार, नार, अंबिका और औरंगा नदियों के पानी को महाराष्ट्र के सूखाग्रस्त इलाके से होकर नर्मदा नदी तक पहुंचाया जाएगा, तो औरंगाबाद और नासिक समेत महाराष्ट्र के बड़े इलाके में पानी की किल्लत दूर करने का काम करेगा।

गोदावरी नदी के अतिरिक्त पानी को कावेरी तक पहुंचाया जाएगा

इसके अलावा गोदावरी-कृष्णा, कृष्णा-पेन्नार और पेन्नार-कावेरी तीनों नदी जोड़ परियोजनाएं तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच नदियों के पानी के लिए हो रही लड़ाई को हमेशा के लिए खत्म करने की दिशा में अहम माना जा रहा है। इसके तहत गोदावरी नदी के अतिरिक्त पानी को दक्षिण भारत की विभिन्न नदियों से होते हुए कावेरी तक पहुंचाया जाएगा।

काफी लंबे से नदियों को जोड़ने की परियोजना पर किया जा रहा था विचार

दरअसल देश के विभिन्न भागों में सूखे और बाढ़ की समस्या से स्थायी रूप से निजात के लिए काफी लंबे से नदियों को जोड़ने की परियोजना पर विचार किया जा रहा था। 1980 में केंद्रीय सिंचाई मंत्रालय ने कुल 30 परियोजनाओं को राष्ट्रीय स्वरूप का बताते हुए उन्हें मंजूर किया था, जिनमें 14 हिमालय क्षेत्र के लिए थी। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में नदी जोड़ परियोजनाओं पर तेजी से काम शुरु हुआ,

लेकिन उसे अमल में नहीं लाया जा सका। अब 42 साल के बाद केन-बेतवा नदी जोड़ परियोजना पहली ऐसी परियोजना है, जिसपर मोदी सरकार ने जमीन पर काम शुरू किया है। केन-बेतवा के अलावा पांच अन्य नदी परियोजनाओं का डीपीआर तैयार होने की घोषणा कर निर्मला सीतारमण ने साफ कर दिया है कि मोदी सरकार सालों से लंबित राष्ट्रीय हित और आम जनता के जीवन को सुगम बनाने वाली परियोजनाओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

Leave a Reply

error: Content is protected !!