हमने कृषि कानून पर रोक लगा दी, फिर सड़कों पर प्रदर्शन क्यों-सुप्रीम कोर्ट.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

किसान महापंचायत (Kisan Mahapanchayat) की याचिका पर सोमवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पूछा कि अदालत द्वारा तीन कृषि कानूनों पर रोक लगाने के बाद भी सड़कों पर प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं। किसान महापंचायत के वकील ने कहा कि उन्होंने किसी सड़क को अवरुद्ध नहीं किया है। इस पर पीठ ने कहा कि कोई एक पक्ष अदालत पहुंच गया को प्रदर्शन का क्या मतलब है? पीठ ने कहा कि कानून पर रोक लगी है सरकार ने आश्वासन दिया है कि वो इसे लागू नहीं करेंगे फिर प्रदर्शन किस बात का है?

किसान महांपचायत की याचिका में जंतर मंतर पर सत्याग्रह की मांग की गई है। कोर्ट ने कहा कि आपने कानून की वैधता को चुनौती दी है। हम पहले वैधता पर फैसला करेंगे, प्रदर्शन का सवाल ही कहां है? अदालत ने पूछा कि जंतर मंतर पर प्रदर्शन का क्या तुक है। इस पर वकील ने कहा कि सरकार ने एक कानून लागू किया है। कोर्ट ने इस पर कहा कि आप कानून के पास आइए। आप दोनों नहीं कर सकते हैं कि कानून को भी चुनौती दें और फिर प्रदर्शन भी करें।

कृषि सुधार के दावों के साथ केंद्र सरकार ने जो तीन नए विधेयक पेश किए हैं, उनका देश भर के किसान विरोध कर रहे हैं. किसान संगठनों का आरोप है कि नए क़ानून के लागू होते ही कृषि क्षेत्र भी पूँजीपतियों या कॉरपोरेट घरानों के हाथों में चला जाएगा और इसका नुक़सान किसानों को होगा.

तीन नए विधेयकों में आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव के साथ-साथ ठेके पर खेती को बढ़ावा दिए जाने की बात कही गई है और साथ ही प्रस्ताव है कि राज्यों की कृषि उपज और पशुधन बाज़ार समितियों के लिए गए अब तक चल रहे क़ानून में भी संशोधन किया जाएगा.

लखीमपुर खीरी घटना का भी किया जिक्र

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी घटना (Lakhimpur Kheri Incident) का भी जिक्र किया। कोर्ट ने कहा कि वैसे तो प्रदर्शनकारी शांतिपूर्ण प्रदर्शन का दावा कर रहे हैं, वो वहां हिंसा और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की जिम्मेदारी नहीं लेंगे। कोर्ट ने कहा कि कानून अपना काम करेगा।

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