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हम भारतवासियों को अपनी मातृभाषा हिंदी पर गर्व होनी चाहिए- कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव - श्रीनारद मीडिया
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हम भारतवासियों को अपनी मातृभाषा हिंदी पर गर्व होनी चाहिए- कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव

हम भारतवासियों को अपनी मातृभाषा हिंदी पर गर्व होनी चाहिए- कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

मोतिहारी: महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के मीडिया अध्ययन विभाग में “हिंदी पत्रकारिता में भाषागत चुनौतियाँ” विषयक एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता कुलपति प्रोफेसर संजय श्रीवास्तव ने की।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्वी चंपारण के जिलाधिकारी श्री सौरभ जोरवाल, मुख्य वक्ता भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर के संस्कृत विभाग के आचार्य प्रो. श्रीप्रकाश पाण्डेय थे। विषय प्रवर्तन मीडिया अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अंजनी कुमार झा ने किया। स्वागत उद्बोधन संगोष्ठी संयोजक डॉ. सुनील दीपक घोडके ने किया।

अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव ने कहा कि पत्रकारिता के विद्यार्थी जिस भी क्षेत्र में अपनी पत्रकारिता करना चाहते हैं, उस विषय में उनकी अच्छी पकड़ होनी चाहिए। जिस भी भाषा का उपयोग करें वह संपूर्ण रूप से शुद्ध और तथ्य से परिपूर्ण होनी चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों को सुझाव दिया कि विद्वान वक्ताओं को सुनना चाहिए और कौशल को विकसित करना चाहिए।

शुद्ध भाषा एक दूसरे को प्रभावित करती है। उन्होंने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि अधिकाधिक अपने भाषा में वार्तालाप करें और निज भाषा पर गर्व करें। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि हमारी भाषा, हमारे जीवन मूल्यों, संस्कृति व संस्कारों की सच्ची संवाहक, संप्रेषक और परिचायक है। जिस का ख्याल पत्रकारिता के विद्यार्थियों को रखनी चाहिए।


बतौर मुख्य अतिथि जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल ने कहा कि हम देशवासी अंग्रेजों के प्रभुत्व से आजाद हो गए परंतु हम आज भी मानसिक तौर पर उनकी भाषा के गुलाम है। हमें अंग्रेजी भाषा से अधिक अपनी मातृ भाषा हिंदी पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है, ताकि देश को नई दशा दिशा मिले। उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा पत्रकारिता में अत्यधिक महत्व रखता है तथा पत्रकारिता के विद्यार्थियों को हिंदी भाषा की शुद्धता पर ध्यान देने की आवश्यकता हैं। हम सभी हिंदी भाषा में सोचते हैं तथा एक पत्रकार का अहम कार्य यह होता है कि वह समाज को सरल भाषा में जानकारी उपलब्ध कराएं, जिससे लोगों को सहजता से समझ आ जाएं।

मुख्य वक्ता प्रो. श्रीप्रकाश पाण्डेय ने कहा कि हम भारतवासियों को अपनी मातृभाषा हिंदी पर गर्व होनी चाहिए। आज हिंदी भाषा में अंग्रेजी भाषा का सम्मिलन और व्याकरणीय अशुद्धियां देखी जा रही हैं, जो की हमारे भाषा की गिरावट की ओर संकेत दे रही है। उन्होंने कहा कि एक पत्रकार में सुनने, बोलने ,लिखने और पढ़ने के गुण विद्यमान होनी चाहिए, जिससे वे शुद्धता पूर्वक अपनी जानकारी को समाज तक पहुंच सकें।

उन्होंने विद्यार्थियों में हिंदी भाषा के प्रति शुद्धता व उच्चारण सम्बन्धी विशेष बातों पर बल देते हुए कहा की भाषा से संस्कार का निर्माण होता है तथा संस्कार से संस्कृति का निर्माण होता है। पत्रकारिता के विद्यार्थियों का आह्वाहन करते हुए कहा कि मातृभाषा को अपने समाज में लोकप्रिय बनाने की जरूरत है। ताकि लोग ज्यादा से ज्यादा अपनी भाषा में अध्ययन करें और अपने दैनिक जीवन में इसका अधिक से अधिक उपयोग करें।

विषय प्रवर्तन करते हुए विभागाध्यक्ष डॉ. अंजनी कुमार झा ने कहा कि डिजिटल मीडिया के आने से हिंदी पत्रकारिता में भाषागत चुनौतियाँ बढ़ी है। हिंदी पत्रकारिता में भाषा को समृद्ध करने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि पत्रकारिता में सरल भाषा के साथ शुद्ध भाषा हो इसकी चिंता करनी होगी। विभिन्न समाचारपत्रों में भाषा की शुद्धता और अशुद्धता का भी जिक्र किया और विद्यार्थियों को हिंदी भाषा के प्रति प्रेरणा प्रदान की।

अतिथियों का स्वागत संगोष्ठी संयोजक डॉ. सुनील दीपक घोडके ने किया। उन्होंने हिंदी और हिंदी पत्रकारिता के प्रति अनुराग विकसित करने और भाषागत चुनौतियों का जिक्र किया। धन्यवाद ज्ञापन मीडिया अध्ययन विभाग के सहायक आचार्य डॉ. परमात्मा कुमार मिश्र ने किया।

कार्यक्रम में मुख्य नियंता एवं गाँधी परिसर के निदेशक प्रो. प्रसून दत्त सिंह, डीडीयू के निदेशक प्रो. शिरीष मिश्र, संस्कृत विभाग के अध्यक्ष डॉ. श्याम कुमार झा, मीडिया अध्ययन विभाग के सहायक आचार्य डॉ. साकेत रमण, डॉ. उमा यादव, डॉ. सुब्रतो रॉय, डॉ. शिवेंद्र सिंह, डॉ.रवीश चंद्र वर्मा, डॉ. शेफालिका मिश्रा आदि मौजूद थे। मंच का संचालन तुशाल कुमार और पूजा कुमारी के द्वारा किया गया।

अतिथियों का परिचय अंशिका कुमारी, अपूर्वा त्रिवेदी एवं राशि कुमारी ने दिया। चर्चा सत्र में रुचि भारती, गजेंद्र कुमार, अदिति सिंह एवं अंशिका कुमारी द्वारा पूछे गए प्रश्नों का समुचित जवाब मुख्य वक्ता प्रो श्रीप्रकाश पांडेय के द्वारा दिया गया। संगोष्ठी का समापन राष्ट्रगान से हुआ।

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