आने वाली पीढ़ी को हम गर्व से बता पाएंगे कि…. थीं एक बिहार कोकिला, जिनके स्वर ने छठ महापर्व को वैश्विक स्वर दिया….
डॉ. गणेश दत्त पाठक
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
सुबह से ही बिहार की स्वर कोकिला शारदा सिन्हा के संबंध में दुखद खबर आती रही। सुबह सुबह ही सोशल मीडिया ने उन्हें दिवंगत घोषित कर दिया। फिर उनके पुत्र ने उनके लिए प्रार्थनाओं की गुहार लगाई। लेकिन शाम होते होते शारदा सिन्हा छठ के नहाय खाए के दिन विधाता के पास चली गई। निश्चित तौर पर छठ माता की कृपा से श्री हरि उन्हें अपने श्री चरणों में प्रतिष्ठित स्थान देंगे।
एक सरकारी अधिकारी पिता की लाडली बेटी, जिसे गाने का प्रशिक्षण मिला। जब अपने ससुराल में सार्वजनिक तौर पर गाना गया तो सास ने दो दिन खाना नहीं खाया। लेकिन जब शारदा सिन्हा का नैसर्गिक हुनर सामने आया तो वहीं सास उनकी सबसे बड़ी मार्गदर्शक और सहयोगी की भूमिका में भी सामने आई और शारदा सिन्हा अपनी स्वर साधना से वैश्विक पटल पर छा गई। बॉलीवुड ने भी उन्हें हाथो हाथ लिया। भोजपुरी गीतों को मर्यादित स्वरूप में गुनगुनाकर भोजपुरी अस्मिता के शुद्ध और संस्कारिक कलेवर को सामने लाती रही।
सूर्योपासना का महान पर्व छठ तो हर साल मनाया जाएगा। गाने भी बजेंगे। लेकिन जब शारदा सिन्हा के गाने बजेंगे तो आने वाली पीढ़ी जरूर पूछेगी कि ये आवाज किसकी है? …तो हम यह गर्व से जरूर बताएंगे.. थीं एक बिहार कोकिला, जिन्होंने छठ की सांस्कृतिक जीवंतता को वैश्विक स्तर पर स्वर दिया था।
हां, ये जरूर है कि बिहार कोकिला को मिले पद्मभूषण सम्मान पर स्वर थोड़ा ठहरेंगे। बिहार कोकिला शारदा सिन्हा के सांस्कृतिक योगदान को देखते हुए भारत रत्न का सम्मान तो मिलना ही चाहिए…
आपकी पावन स्मृति को सादर नमन बिहार कोकिला
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