मौसम का बिगड़ा तेवर बिहार में आंधी के साथ बिजली गिरने की संभावना

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे उत्तर भारत में मौसम ने पलटी मार ली है। कई राज्यों में बारिश के चलते तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। आज सुबह होते ही राजधानी में तेज बारिश होने लगी, जिससे ठंडक फिर महसूस होने लगी है।  वहीं, पहाड़ों में भी तेज बारिश और बर्फबारी ने मौसम का मिजाज बदल दिया है। कई राज्यों में तो आफत की बरसात हो रही है।

दिल्लीवालों वीकेंड हुआ सुहावना

दिल्ली-एनसीआर में बारिश के चलते तापमान में गिरावट आई है। कई दिनों से तापमान बढ़ने के चलते फरवरी में ही गर्मी का अहसास होने लगा था, लेकिन आज बारिश के आते ही ठंडी हवाएं चलने लगी हैं।

यूपी-बिहार में भी बदला मौसम
यूपी में भी मौसम का मिजाज बदल चुका है। हिमाचल और उत्तराखंड में बारिश ने यूपी के मौसम पर असर छोड़ा है। ज्यादातर इलाकों में तापमान में गिरावट दर्ज की गई। मौसम विभाग के अनुसार, अभी अगले दो दिन तक आसमान में छिटपुट बादल जमे रहेंगे। पश्चिमी यूपी में जोरदार बार‍िश होगी। आज नोएडा, मेरठ, गाज‍ियाबाद व आसपास के ज‍िलों में गरज-चमक के साथ तेज बार‍िश हुई।

वहीं, बिहार में भी आंशिक रूप से बादल छाए रहे। इसके साथ ही मौसम विभाग ने कुछ जगहों पर यलो अलर्ट भी जारी किया है। कटिहार, भागलपुर, बांका, जमुई, मुंगेर व नवादा जिले के एक या दो स्थानों पर बादल गरजने के साथ बिजली गिरने की संभावना है।

पहाड़ों पर बर्फ का गिरना जारी, हिमाचल में बादल फटा

उत्‍तराखंड के पहाड़ी इलाकों में लगातार हो रही बर्फबारी और बारिश के कारण कर्फ्यू जैसी स्थित हो गई है। बर्फबारी के चलते कई मार्ग बंद हो गए हैं। सड़कों पर कई किमी तक बर्फ ही बर्फ पसरी हुई है। जिससे जन-जीवन अस्‍त-व्‍यस्‍त हो गया है। शनिवार को भी मौसम विभाग ने पूरे दिन भारी बर्फबारी की चेतावनी जारी की है। चंबा के पांगी घाटी के कोकरोलू गांव में हिमस्खलन से एक व्यक्ति बर्फ में दब गया था, जिसे ग्रामीणों ने सुरक्षित निकाला।
वहीं, कांगड़ा के बड़ा भंगाल घाटी के लुहारड़ी में बादल फटने से ऊहल नदी का जलस्तर बढ़ गया और इसके कारण बरोट बांध के गेट खोलने पड़े। रोहतांग में छह फीट, अटल टनल रोहतांग में साढ़े चार फीट,कोठह में चार फीट, किन्नौर में करीब डेढ़ फीट ताजा हिमपात हुआ है। 

ला-नीना से मौसम प्रभावित

आइएमडी ने मौसम में इस व्यापक बदलाव को ला-नीना का असर बताया है, जो प्रशांत महासागर के सतही जल के सामान्य से ज्यादा गर्म हो जाने के चलते बनता है और भारतीय महाद्वीप के मौसम को गहरे रूप से प्रभावित करता है। ला-नीना के चलते ही इस बार दिसंबर-जनवरी में ठंड भी ज्यादा नहीं पड़ी। फरवरी के पहले हफ्ते से ही मौसम ने करवट ले ली है और अप्रत्याशित रूप से तापमान बढ़ना शुरू हो गया।

अगले तीन महीने का मौसम पूर्वानुमान

भारत मौसम विभाग (आइएमडी) ने शुक्रवार को अगले तीन महीने का अनुमान जारी करते हुए कहा है कि गर्मी के मौसम में इस बार सामान्य से अधिक तापमान रह सकता है। उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में दिन के समय हीट वेव (लू) भी चल सकती है। साथ ही लू चलने के दिन पिछले कुछ वर्षों की तुलना में अधिक रह सकते हैं। तापमान में तीव्रता मार्च के दूसरे सप्ताह से शुरू हो सकती है। ऐसी स्थिति में रबी एवं गर्मा फसलों को नुकसान हो सकता है.

 भारी हिमपात और वर्षा से सीमांत में स्थिति आपदा काल जैसी बनी है। भारी हिमपात से बंद थल-मुनस्यारी मार्ग पर कालामुनि से मुनस्यारी के मध्य बर्फ हटाने का कार्य चल रहा है। मार्ग के आज खुलने के आसार नहीं हैं।मुनस्यारी-मिलम मार्ग बंद होने से उच्च मध्य हिमालयी लगभग एक दर्जन गांव अलग-थलग पड़े हैं। हिमपात होने से 11 केवी विद्युत लाइन और एलटी लाइन क्षतिग्रस्त हो चुकी है। हिमपात से पेड़ों की टहनियां टूटी हैं। धारचूला के कूलागाड़ के पास पहाड़ से गिरे पत्थर की चपेट में आने से मजदूर बाल-बाल बचे हैं। शनिवार अपराह्न तक उच्च हिमालय में हिमपात जारी रहा।

धारचूला में दोबाट और रांगुती के पास बंद टनकपुर-तवाघाट हाईवे खुल चुका है। तवाघाट-सोबला-दारमा मार्ग यातायात के लिए बंद है। लिपुलेख मार्ग बूंदी के पास तक खुला है। बूंदी से आगे भारी बर्फ होने से मार्ग बंद है।
नाचनी से मिली जानकारी के अनुसार तेजम और मुनस्यारी तहसील के होकरा, गोला, कोटा, खड़िक आदि स्थानों पर विद्युत लाइन क्षतिग्रस्त होने से क्षेत्र अंधेरे में डूबे हैं। धारचूला से मिली जानकारी के अनुसार कूलागाड़ के स्यांगठा नामक स्थान पेयजल लाइन टूटने से पानी हिलवेज कंपनी के कंटेनरों में जमा हो गया।
मजदूरों ने वर्षा के बीच रात खुले आसमान के नीचे व्यतीत की। इस स्थान पर पहाड़ की तरफ से बोल्डर भी गिरे, मजदूर बाल-बाल बचे। हिलवेज कंपनी द्वारा रात को मजदूरों की सुध नहीं लिए जाने से स्थानीय जनता में रोष व्याप्त है। निचले क्षेत्रों में जहां वर्षा से लोगों को राहत मिली वहीं बर्फीले क्षेत्रों में आफत बढ़ी है।

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