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भारत-मिस्र के संबंध, अवसर और चुनौतियाँ क्या है? - श्रीनारद मीडिया
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भारत-मिस्र के संबंध, अवसर और चुनौतियाँ क्या है?

भारत-मिस्र के संबंध, अवसर और चुनौतियाँ क्या है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारत के प्रधानमंत्री ने भारत और मिस्र के बीच द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा करने के लिये वर्ष 1997 के बाद पहली बार मिस्र का दौरा किया है।

  • मिस्र की सरकार ने भारत के प्रधानमंत्री को देश के सर्वोच्च सम्मान- ऑर्डर ऑफ द नाइल से सम्मानित किया।
नोट: वर्ष 1915 में स्थापित ‘ऑर्डर ऑफ द नाइल’ मिस्र अथवा मानवता के लिये अमूल्य सेवाएँ प्रदान करने वाले राष्ट्राध्यक्षों, राजकुमारों (Princes) और उपराष्ट्रपतियों को प्रदान किया जाता है।

प्रमुख बिंदु

  • रणनीतिक साझेदारी समझौता: भारत और मिस्र के बीच रणनीतिक साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किया जाना दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों के लिये काफी महत्त्व रखता है। इसके प्रमुख घटक इस प्रकार हैं:
    • राजनीतिक
    • रक्षा और सुरक्षा
    • आर्थिक जुड़ाव
    • वैज्ञानिक और शैक्षणिक सहयोग
    • सांस्कृतिक और जनसंपर्क
  • समझौता ज्ञापन: भारत और मिस्र के बीच कृषि, पुरातत्त्व और पुरावशेष तथा प्रतिस्पर्द्धा कानून के क्षेत्र में तीन समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये गए जिनका उद्देश्य इन क्षेत्रों में सहयोग में वृद्धि करना है।
  • द्विपक्षीय चर्चाएँ: भारत के प्रधानमंत्री और मिस्र के राष्ट्रपति ने G-20 में बहुपक्षीय सहयोग, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन तथा स्वच्छ ऊर्जा सहयोग सहित विभिन्न विषयों पर चर्चा की।
  • मिस्र मंत्रिमंडल में भारत इकाई/इंडिया यूनिट:
    • भारतीय प्रधानमंत्री ने मार्च, 2023 में भारत-मिस्र संबंधों को बढ़ाने के लिये मिस्र के राष्ट्रपति द्वारा मिस्र मंत्रिमंडल में गठित उच्च स्तरीय मंत्रियों के एक समूह, भारतीय इकाई (India Unit) से मुलाकात की।
  • कॉमनवेल्थ वार ग्रेव सेमेट्री: भारत के प्रधानमंत्री ने हेलियोपोलिस कॉमनवेल्थ वार ग्रेव सेमेट्री में प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मिस्र और अदन में अपनी जान गँवाने वाले 4,300 से अधिक भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
  • G-20 शिखर सम्मेलन में मिस्र की भागीदारी: सितंबर में आयोजित होने वाले आगामी G-20 शिखर सम्मेलन में मिस्र को “अतिथि देश” के रूप में नामित किया गया है जिससे इन दोनों के बीच द्विपक्षीय संबंध और मज़बूत होंगे।
  • अल-हकीम मस्जिद: भारत के प्रधानमंत्री ने काहिरा में स्थित 11वीं सदी की अल-हकीम मस्जिद का दौरा किया, जिसे भारत के दाऊदी बोहरा समुदाय द्वारा बहाल किया गया था।
    • यह मस्जिद वर्ष 1012 में बनाई गई थी और यह काहिरा की चौथी सबसे पुरानी मस्जिद है। दाऊदी बोहरा मुसलमान फातिमी इस्माइली तैयबी विचारधारा का पालन करने हेतु जाने जाते हैं एवं 11वीं शताब्दी में भारत में अपनी उपस्थिति स्थापित करने से पहले मिस्र में पैदा हुए थे।

भारत-मिस्र संबंध:

  • इतिहास:
    • विश्व की दो सबसे पुरानी सभ्यताओं, यथा- भारत और मिस्र के बीच संपर्क का इतिहास काफी पुराना है और इसका पता सम्राट अशोक के समय से लगाया जा सकता है।
      • अशोक के अभिलेखों में टॉलेमी-द्वितीय के तहत मिस्र के साथ उसके संबंधों का उल्लेख है।
    • आधुनिक काल में महात्मा गांधी और मिस्र के क्रांतिकारी साद जगलुल का साझा लक्ष्य ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करना था।
      • 18 अगस्त, 1947 को राजदूत स्तर पर राजनयिक संबंधों की स्थापना की संयुक्त रूप से घोषणा की गई थी।
    • वर्ष 1955 में भारत और मिस्र ने एक मित्रता संधि पर हस्ताक्षर किये। वर्ष 1961 में भारत और मिस्र ने यूगोस्लाविया, इंडोनेशिया एवं घाना के साथ गुटनिरपेक्ष आंदोलन (Non-Aligned Movement- NAM) की स्थापना की।
    • वर्ष 2016 में भारत और मिस्र ने राजनीतिक-सुरक्षा सहयोग, आर्थिक जुड़ाव, वैज्ञानिक सहयोग तथा लोगों के बीच संबंधों के सिद्धांतों पर एक नए युग के लिये नई साझेदारी बनाने के अपने इरादे को रेखांकित करते हुए एक संयुक्त घोषणापत्र जारी किया।
  • द्विपक्षीय व्यापार:
    • वर्ष 2022-23 में मिस्र के साथ भारत का व्यापार 6,061 मिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 17% कम है।
      • इस व्यापार का लगभग एक-तिहाई हिस्सा पेट्रोलियम से संबंधित था।
    • वर्ष 2022-23 में भारत मिस्र का छठा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, जबकि मिस्र भारत का 38वाँ व्यापारिक भागीदार है।
    • भारत ने मिस्र में 50 परियोजनाओं में निवेश किया है, जिसका कुल मूल्य 3.15 बिलियन अमेरिकी डॉलर है। मिस्र ने भारत में 37 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है।
  • रक्षा सहयोग:
    • दोनों देशों की वायु सेनाओं ने 1960 के दशक में लड़ाकू विमानों के विकास पर सहयोग किया और भारतीय पायलटों ने 1960 के दशक से 1980 के दशक के मध्य तक मिस्र के अपने समकक्षों को प्रशिक्षित किया।
      • भारतीय वायु सेना (Indian Air Force- IAF) और मिस्र की वायु सेना दोनों ही फ्राँसीसी राफेल लड़ाकू जेट से युक्त हैं।
    • वर्ष 2022 में दोनों देशों के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किये गए जिसके तहत सैन्य अभ्यास में भाग लेने और प्रशिक्षण में सहयोग करने का निर्णय लिया गया है।
    • भारतीय सेना और मिस्र की सेना के बीच पहला संयुक्त विशेष बल अभ्यास, “अभ्यास चक्रवात- I” 14 जनवरी, 2023 को राजस्थान के जैसलमेर में संपन्न हुआ।
  • सांस्कृतिक संबंध:
    • वर्ष 1992 में काहिरा में मौलाना आज़ाद सेंटर फॉर इंडियन कल्चर (MACIC) की स्थापना हुई। यह केंद्र दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देता रहा है।

भारत के लिये अवसर और चुनौतियाँ:

  • अवसर:
    • धार्मिक उग्रवाद का मुकाबला: भारत का लक्ष्य क्षेत्र में उदारवादी देशों का समर्थन करके और सामाजिक सुधारों को बढ़ावा देकर धार्मिक उग्रवाद का मुकाबला करना है।
      • भारत ने इसे खाड़ी क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी (Key Player) के रूप में पहचाना है क्योंकि यह धर्म पर उदार रुख रखता है, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और सऊदी अरब (जिन्होंने मिस्र में पर्याप्त निवेश किया है) के साथ मज़बूत संबंध रखता है।
    • रणनीतिक रूप से स्थित: मिस्र स्वेज़ नहर के साथ रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है, जिसके माध्यम से वैश्विक व्यापार के 12% का परिचालन किया जाता है।
      • मिस्र के साथ द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाकर भारत इस क्षेत्र में अपने लक्ष्यों को आगे बढ़ाने की उम्मीद करता है।
    • भारतीय निवेश: मिस्र काहिरा और अलेक्जेंड्रिया में बुनियादी ढाँचा मेट्रो परियोजनाओं, स्वेज़ नहर आर्थिक क्षेत्र, स्वेज़ नहर के दूसरे चैनल तथा काहिरा उपनगर में एक नई प्रशासनिक राजधानी में भारत द्वारा निवेश किये जाने की अपेक्षा करता है।
      • 50 से अधिक भारतीय कंपनियों ने मिस्र में 3.15 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश किया है।
    • समान सामाजिक-आर्थिक स्थितियाँ: मिस्र एक बड़ा देश (जनसंख्या 105 मिलियन) और अर्थव्यवस्था (378 बिलियन अमेरिकी डॉलर) है। यह राजनीतिक रूप से स्थिर है और इसकी सामाजिक-आर्थिक स्थितियाँ काफी हद तक भारत के समान हैं।
      • मिस्र का सबसे बड़ा आयात परिष्कृत पेट्रोलियम, गेहूँ (दुनिया का सबसे बड़ा आयातक), कार, मक्का और फार्मास्यूटिकल्स हैं जिनकी आपूर्ति करने में भारत सक्षम है।
    • बुनियादी ढाँचा विकास: इसके अलावा मिस्र सरकार का एक महत्त्वाकांक्षी बुनियादी ढाँचा विकास एजेंडा है, जिसमें 49 मेगा परियोजनाएँ शामिल हैं जिनमें न्यू काहिरा (58 बिलियन अमेरिकी डॉलर), 25 बिलियन अमेरिकी डॉलर का परमाणु ऊर्जा संयंत्र और 23 बिलियन अमेरिकी डॉलर का हाई-स्पीड रेल नेटवर्क का निर्माण शामिल है।
      • 2015-19 के दौरान मिस्र दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक था। यह भारत के लिये एक अवसर के रूप में है।
  • चुनौतियाँ:
    • मिस्र में आर्थिक संकट: मिस्र की अर्थव्यवस्था की विशाल वित्तीय प्रतिबद्धताएँ एक स्थिर अर्थव्यवस्था, महामारी, वैश्विक मंदी और यूक्रेन संघर्ष के साथ मेल खाती हैं।
      • इसके परिणामस्वरूप पर्यटन में गिरावट आई है और अनाज जैसे आयात महँगे हो गए हैं। वार्षिक मुद्रास्फीति 30% से ऊपर है तथा फरवरी 2022 से मुद्रा ने अपना आधे से अधिक मूल्य खो दिया है।
    • भीषण ऋण और विदेशी मुद्रा: मिस्र का विदेशी ऋण 163 बिलियन अमेरिकी डॉलर (GDP का 43%) से अधिक है तथा इसकी शुद्ध विदेशी परिसंपत्ति -24.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।
      • गंभीर विदेशी मुद्रा स्थिति ने सरकार को जनवरी 2023 में बड़ी विदेशी मुद्रा घटक वाली परियोजनाओं को स्थगित करने तथा गैर-आवश्यक खर्चों में कटौती का आदेश जारी करने के लिये मजबूर कर दिया था।
    • चीन का बढ़ता प्रभाव: चीन के संबंध में मिस्र को लेकर भारत की चिंताएँ चीन के बढ़ते आर्थिक प्रभाव, रणनीतिक क्षेत्रों में बढ़ती उपस्थिति, द्विपक्षीय व्यापार समझौतों के इर्द-गिर्द घूमती हैं जिनका भारत के क्षेत्रीय हितों एवं सुरक्षा पर संभावित प्रभाव हो सकता है।
      • मिस्र के साथ चीन का द्विपक्षीय व्यापार वर्तमान में 15 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है जो वर्ष 2021-22 के भारत के 7.26 बिलियन अमेरिकी डॉलर से दोगुना है।
      • मिस्र के राष्ट्रपति चीनी निवेश को लुभाने के लिये विगत आठ वर्षों के दौरान सात बार चीन की यात्रा कर चुके हैं।

आगे की राह

  • भारत को मौजूदा अवसरों के साथ मिस्र में अपने प्रदर्शन को सावधानीपूर्वक संतुलित करने की आवश्यकता है।
  • भारत को विभिन्न नवाचारों जैसे- EXIM क्रेडिट लाइन, वस्तु विनिमय तथा रुपए व्यापार के माध्यम से मिस्र के आकर्षक अवसरों में भागीदारी के लिये प्रबंधनीय पर्यावरण-राजनीतिक जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है।
  • हालाँकि भारत को 1980 और 1990 के दशक में इराक के अपने अनुभव को दोहराने से बचना चाहिये जब अपनी कड़ी मेहनत से अर्जित निर्माण परियोजना के बकाए को तब तक के लिये स्थगित कर दिया गया था जब तक कि अंततः भारतीय करदाता द्वारा भुगतान नहीं किया गया था।

 

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