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मानसिक स्वास्थ्य के लिये भारतीय सेना के सक्रिय उपाय क्या है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारतीय सेना द्वारा अपने रैंकों के अंतर्गत आत्महत्या तथा भ्रातृहत्या के गंभीर मुद्दे को स्वीकार करते हुए अपने कर्मियों के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के लिये महत्त्व पूर्ण कदम उठाए गए हैं।

  • डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ साइकोलॉजिकल रिसर्च (DIPR) के सहयोग से अगस्त 2023 में शुरू किये गए एक व्यापक अध्ययन में सेना सैनिकों तथा उनके परिवारों को प्रभावित करने वाले तनाव कारकों को समझने एवं कम करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
  • DIPR भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के अधीन एक संस्थान है, जो रक्षा तथा सुरक्षा क्षेत्र का समर्थन करने के लिये मनोविज्ञान व मानव व्यवहार के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास के लिये कार्य करता है।

नोट:

  • सेना में भ्रातृहत्या (Fratricide) का तात्पर्य एक सैनिक या सुरक्षाकर्मी द्वारा अपने सहयोगियों की हत्या करना है।
  • आत्महत्या और भ्रातृहत्या किसी व्यक्ति द्वारा उच्च स्तर के तनाव के कारण किये गए कृत्य हैं, जो मुख्य रूप से घरेलू समस्याओं, पारिवारिक विवादों, अलगाव की भावना और/या पेशेवर खतरों के अलावा निराशा के कारण होते हैं।
  • संसद में दी गई जानकारी के अनुसार, वर्ष 2019 से 2021 तक सालाना 2 भ्रातृहत्या के मामले सामने आए, जिनमें से एक मामला वर्ष 2021 में दर्ज किया गया।
    • वर्ष 2016, 2017 और 2018 के दौरान सेना में संदिग्ध आत्महत्या के मामलों की संख्या क्रमशः 104, 75 और 80 थी।

सेना कर्मियों को किन तनावों का सामना करना पड़ता है?

  • सर्विस थिंक टैंक यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया (USI) ने एक अध्ययन में पाया कि पिछले दो दशकों में ऑपरेशनल और नॉन-ऑपरेशनल तनाव के कारण सेना के जवानों के बीच तनाव के स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
    • ऑपरेशनल तनाव: सैन्य सेवा की प्रकृति और शर्तों से संबंधित, जैसे
      • उग्रवाद-विरोधी और आतंकवाद-विरोधी (CI/CT) वातावरण में लंबे समय तक संपर्क में रहना, जिसमें उच्च जोखिम, अनिश्चितता तथा हिंसा शामिल है।
      • बार-बार स्थानांतरण और परिवार से अलगाव, जिसका प्रभाव सैनिकों के व्यक्तिगत तथा सामाजिक जीवन पर पड़ता है।
      • पर्याप्त सुविधाओं और बुनियादी ढाँचे का अभाव, विशेषकर सुदूर एवं कठिन क्षेत्रों में।
    • नॉन-ऑपरेशनल तनाव: सैन्य सेवा के संगठनात्मक और व्यक्तिगत पहलुओं से संबंधित, जैसे
      • खराब नेतृत्व, वरिष्ठों का उदासीन रवैया, और आदेश की क्रम में विश्वास तथा भरोसे की कमी।
      • आपात्कालीन स्थिति में भी छुट्टी से इनकार और शिकायत निवारण तंत्र की कमी।
      • परिवार से संबंधित विवाद, वित्तीय समस्याएँ, वैवाहिक मुद्दे या स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ।
      • विशेषकर अधिकारियों के बीच नौकरी से संतुष्टि, कॅरियर में प्रगति और मान्यता में कमी।

सेना के भीतर मानसिक कल्याण हेतु क्या पहल लागू की गई हैं?

  • सलाह और दिशा-निर्देश:
    • सेना ने अगस्त 2023 में एक एडवाइज़री जारी की, जिसमें तनाव और मनोवैज्ञानिक मुद्दों के समाधान के लिये प्रत्येक इकाई में अधिकारियों, धार्मिक शिक्षकों और चयनित अन्य रैंकों की नियुक्ति पर ज़ोर दिया गया।
      • सलाहकार तनाव के स्तर में वृद्धि के लिये ज़िम्मेदार कारकों, चेतावनी संकेतों और हस्तक्षेप उपायों को संबोधित करने हेतु दिशा-निर्देश प्रदान करता है।
  • साइकोमेट्रिक आकलन:
    • सैन्य कर्मियों और उनके परिवारों की मानसिक स्वास्थ्य के आकलन के लिये तीन नोडल सैन्य स्टेशनों पर एक सिविल एजेंसी (दिशा किरण) के सहयोग सहित पायलट परियोजनाएँ शुरू की जा रही हैं।
  • प्रशिक्षण कार्यक्रम:
    • विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम लागू किये जाते हैं- जैसे रक्षा मनोवैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान (DIPR) में 30 अधिकारियों का वार्षिक प्रशिक्षण और कमांड अस्पतालों, बेस अस्पतालों और सैन्य अस्पतालों में चार सप्ताह के लिये “धार्मिक शिक्षक परामर्शदाता पाठ्यक्रम” का संचालन।
  • यूनिट मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता पाठ्यक्रम:
    • जूनियर कमीशंड अधिकारियों और गैर-कमीशंड अधिकारियों को उनकी इकाइयों के भीतर मनोवैज्ञानिक चिंताओं को संबोधित करने के कौशल से लैस करने के लिये 12-सप्ताह का यूनिट मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता पाठ्यक्रम आयोजित किया जाता है।
    • भारतीय सेना ने सभी रैंकों के मानसिक कल्याण हेतु समर्थन बढ़ाने के लिये सभी प्रमुख सैन्य स्टेशनों में नागरिक परामर्शदाताओं को नियुक्त किया है।
  • हेल्पलाइन: 
    • तत्काल परामर्श सेवाएँ प्रदान करने वाली हेल्पलाइनें सभी कमान मुख्यालयों में स्थापित की गई हैं।
  • मनोरोग केंद्र:
    • इन्हें चिकित्सा सेवा महानिदेशालय के तहत प्रमुख सैन्य स्टेशनों पर स्थापित किया गया है।
  • समग्र दृष्टिकोण: 
    • इन उपायों में योग, ध्यान, खेल और मनोरंजन गतिविधियाँ, उदारीकृत छुट्टी नीतियाँ, सैन्य स्टेशनों में सुविधाओं में सुधार, सैनिकों के लिये पारस्परिक मित्र प्रणाली एवं त्वरित शिकायत निवारण तंत्र शामिल हैं।
    • मानसिक कल्याण, वित्तीय प्रबंधन और घरेलू मुद्दों पर नियमित सेमिनार आयोजित किये जाते हैं।
  • सतत् मूल्यांकन और सुधार:
    • चल रहे अध्ययन, प्रशिक्षण कार्यक्रम और सहयोगी परियोजनाएँ मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों के समाधान में निरंतर मूल्यांकन और सुधार के लिये सेना की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।

मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित सरकारी पहल:

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