पूर्वोत्तर भारत में पर्यटन से संबंधित लाभ और चुनौतियाँ क्या है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

वर्ष 2022 के दौरान पूर्वोत्तर क्षेत्र में वृहद् स्तर (रिकॉर्ड) पर पर्यटन दर्ज किया गया, जिसमें 11.8 मिलियन से अधिक घरेलू पर्यटक तथा 100,000 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय  पर्यटक शामिल थे।

  • भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है तथा पहाड़ियों, पर्वतों एवं घाटियों सहित विविध परिदृश्यों का घर है।   
  • यह क्षेत्र अपेक्षाकृत अनावृत्त रहा है, लेकिन हाल में पर्यटन में वृद्धि के साथ अधिक लोग पूर्वोत्तर की सुंदरता और आकर्षण के प्रति आकर्षित हो रहे हैं।
  • यह भारत सरकार की डेस्टिनेशन नॉर्थ-ईस्ट इंडिया पहल का परिणाम है, जिसके तहत बड़े पैमाने पर बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा दिया जा रहा है।

शीर्ष गंतव्य:

  • अरुणाचल प्रदेश:
  • तवांग मठ: भारत के सबसे प्राचीन एवं सबसे बड़े बौद्ध मठों में से एक।
  • नामदफा राष्ट्रीय उद्यान: बाघ, उड़न गिलहरी और तेंदुओं सहित विविध वनस्पतियों एवं जीवों का घर।
  • असम:
    • कामाख्या मंदिर: देवी कामाख्या को समर्पित एक श्रद्धेय हिंदू मंदिर।
    • काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान: यह यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल एवं एक सींग वाले गैंडों का घर है।
    • मजुली द्वीप: ब्रह्मपुत्र नदी में स्थित विश्व का सबसे बड़ा नदी द्वीप एवं पूर्वोत्तर भारत में एक सांस्कृतिक केंद्र है।
  • मणिपुर:
    • लोकटक झील: पूर्वोत्तर भारत की सबसे बड़ी ताज़े पानी की झील और तैरता हुआ केइबुल लामजाओ राष्ट्रीय उद्यान है।
    • इंफाल युद्ध कब्रिस्तान: द्वितीय विश्व युद्ध में जान गँवाने वालों के लिये एक महत्त्वपूर्ण धार्मिक स्थल।
  • मेघालय:
    • नोहकलिकाइ जलप्रपात: भारत का सबसे ऊँचा जलप्रपात।
    • लिविंग रूट ब्रिज़: खासी और जयंतिया जनजातियों द्वारा बनाया गया एक अनूठा प्राकृतिक आश्चर्य।
  • मिज़ोरम:
    • फवंगपुई राष्ट्रीय उद्यान: मिज़ोरम की सबसे  ऊँची चोटी और विविध प्रकार की वनस्पतियों एवं जीवों का घर है।
    • सोलोमन का मंदिर: स्थानीय पादरी द्वारा निर्मित एक अनूठा धार्मिक स्थल, जो सोलोमन के बाइबिल मंदिर जैसा दिखता है।
  • नगालैंड:
    • हॉर्नबिल फेस्टिवल: इस त्योहार का नाम हॉर्नबिल पक्षी के नाम पर रखा गया है, जो नगा जनजातियों के लोकगीत और परंपरा के प्रतीक के रूप में प्रतिष्ठित है।
    • जुकू घाटी: यह घाटी अपने आश्चर्यजनक परिदृश्य और विविध वनस्पतियों एवं जीवों के लिये प्रसिद्ध है।
  • सिक्किम:
    • त्सोमगो झील: स्थानीय लोगों द्वारा इसे एक पवित्र झील माना जाता है और इनके अनुसार इस झील के पानी में औषधीय गुण हैं। यह झील बर्फ के पहाड़ों से घिरी हुई है तथा पहाड़ों से पिघलने वाली बर्फ से पोषित होती है।
    • रुमटेक मठ: यह सिक्किम का सबसे बड़ा प्रमुख बौद्ध मठ है।
  • त्रिपुरा:
    • नीरमहल पैलेस: रुद्रसागर झील के बीच में स्थित यह अनूठा पैलेस, हिंदू और इस्लामी स्थापत्य शैली के मिश्रण का एक अनूठा उदाहरण है। इसको अर्द्धचंद्राकार रूप में डिज़ाइन किया गया है जो तीन तरफ से जल से घिरा हुआ है।
    • उनाकोटी: शैलकृत मूर्तियों और नक्काशियों की विशेषता वाला यह एक महत्त्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। उनाकोटी में भगवान शिव की 30 फुट ऊँची प्रतिमा (सबसे बड़ी) है, जिसे उनाकोटिश्वर काल भैरव के नाम से जाना जाता है। इस स्थल पर कई झरने और प्राकृतिक चट्टानी संरचनाएँ हैं।

पूर्वोत्तर भारत में पर्यटन की संभावनाएँ:

  • साहसिक पर्यटन: पूर्वोत्तर क्षेत्र में ट्रेकिंग, पर्वतारोहण, रिवर राफ्टिंग और पैराग्लाइडिंग सहित साहसिक पर्यटन के कई अवसर उपलब्ध हैं।
    • गंगटोक, शिलॉन्ग आदि स्थलों की ओर विश्व भर से साहसिक गतिविधियों को पसंद करने वाले लोग आकर्षित हो सकते हैं।
  • जनजातीय समुदाय: पूर्वोत्तर क्षेत्र कई स्वदेशी जनजातीय समुदायों जैसे- मिस्मी, गारो, खासी, जयंतिया आदि का आवास स्थल है इनमें से प्रत्येक को इनकी अनूठी संस्कृति, भाषा और परंपराओं के लिये जाना जाता है।
    • पर्यटन से इन समुदायों को अपनी विरासत का प्रदर्शन करने के साथ आय के अवसर उपलब्ध हो सकते हैं।
  • शीतकालीन पर्यटन: पूर्वोत्तर क्षेत्र में सर्दियों के महीनों के दौरान भारी हिमपात होता है जिससे यह शीतकालीन पर्यटन के लिये एक आदर्श स्थान बन जाता है।
    • हालाँकि यह मौसम अपेक्षाकृत कम आकर्षण वाला रहता है तथा इसमें और भी विकास की संभावनाएँ हैं।
  • सतत् पर्यटन: पर्यटन के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिये सतत् पर्यटन को बढ़ावा दिया जाना चाहिये। इसमें अपशिष्ट प्रबंधन के साथ पर्यावरण अनुकूल आवास को बढ़ावा देना और स्थानीय समुदायों की सांस्कृतिक प्रथाओं का सम्मान करना शामिल है।
  • लाभ:
    • पर्यटन द्वारा रोज़गार सृजन एवं आय प्रोत्साहन के माध्यम से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलने की संभावना है।
    • इस क्षेत्र में अधिक पर्यटकों के आने से वस्तुओं और सेवाओं की मांग में वृद्धि होगी, जिससे यहाँ का विकास सुनिश्चित होगा।
  • चुनौतियाँ:
    • पर्यावरणीय प्रभाव: पर्यटन में वृद्धि के कारण प्रदूषण में वृद्धि हो सकती है, गंदगी एवं प्राकृतिक आवासों को नुकसान हो सकता है, जिसका पर्यावरण और वन्यजीवों पर दीर्घकालिक नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
    • सांस्कृतिक प्रभाव: पर्यटन के कारण पारंपरिक सांस्कृतिक प्रथाओं और विश्वासों में परिवर्तन हो सकता है, साथ ही सांस्कृतिक कलाकृतियों एवं प्रथाओं का वस्तुकरण भी हो सकता है, जो स्थानीय समुदायों की सांस्कृतिक विरासत को नष्ट कर सकता है।
    • कनेक्टिविटी: पूर्वोत्तर के तात्कालिक ढाँचे में सुधार के बावजूद कनेक्टिविटी की समस्या बनी हुई है। इस क्षेत्र में बेहतर सड़क और हवाई संपर्क द्वारा सुगम यात्रा सुनिश्चित कर पर्यटकों की संख्या में वृद्धि की जा सकती है।

आगे की राह 

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