स्वच्छ भारत मिशन शहरी योजना से क्या लाभ होने वाला है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
स्वच्छ भारत दिवस के आलोक में स्वच्छ भारत मिशन-शहरी और ग्रामीण द्वारा 15 सितंबर से 2 अक्तूबर, 2023 के बीच वार्षिक रूप से स्वच्छता ही सेवा (SHS) पखवाड़ा का आयोजन किया गया था।
- इस पखवाड़े का लक्ष्य इंडियन स्वच्छता लीग 2.0, सफाई मित्र सुरक्षा शिविर और सामूहिक स्वच्छता अभियान जैसी विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से देश भर में करोड़ों नागरिकों को इसमें भागीदार बनाना है।
क्या है स्वच्छ भारत मिशन-शहरी
- परिचय:
- आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (Ministry of Housing and Urban Affairs) ने 2 अक्तूबर, 2014 को शहरी क्षेत्रों में स्वच्छता, सफाई और उचित अपशिष्ट प्रबंधन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (SBM-U) की शुरुआत एक राष्ट्रीय अभियान के रूप में की थी।
- इसका उद्देश्य पूरे भारत के शहरों और कस्बों को स्वच्छ एवं खुले में शौच से मुक्त बनाना है।
- स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 1.0:
- SBM-U का पहला चरण शौचालयों तक पहुँच और व्यवहार परिवर्तन को बढ़ावा देकर शहरी भारत को खुले में शौच से मुक्त (ODF) बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने पर केंद्रित था।
- SBM-U 1.0 अपना लक्ष्य हासिल करने में सफल रहा और 100% शहरी भारत को ODF घोषित किया गया।
- स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 (2021-2026):
- बजट 2021-22 में घोषित SBM-U 2.0, SBM-U के पहले चरण की ही निरंतरता है।
- SBM-U के दूसरे चरण का लक्ष्य ODF से आगे बढ़कर ODF+ और ODF++, तक जाना तथा शहरी भारत को कचरा-मुक्त बनाने पर ध्यान केंद्रित करना है।
- इसमें स्थायी स्वच्छता प्रथाओं, अपशिष्ट प्रबंधन एवं एक चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने पर बल दिया गया।
स्वच्छ भारत मिशन की उपलब्धियाँ:
- पिछले 9 वर्षों में 12 करोड़ शौचालय बनाए गए हैं, जिससे देश को खुले में शौच के संकट से मुक्ति मिली है और साथ ही कुल गाँवों में से 75% ने खुले में शौच मुक्त (ODF) प्लस का दर्जा प्राप्त कर लिया है।
- शहरी भारत खुले में शौच से मुक्त (ODF) हो गया है, सभी 4,715 शहरी स्थानीय निकाय (ULBs) पूरी तरह से ODF हो गए हैं।
- 3,547 ULBs कार्यात्मक तथा स्वच्छ सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालयों के साथ ओडीएफ+ हैं, साथ ही 1,191 ULBs पूर्ण मल कीचड़ प्रबंधन के साथ ODF++ हैं।
- 14 शहर Water+ प्रमाणित हैं, जिसमें अपशिष्ट जल के उपचार के साथ इसका इष्टतम पुन: उपयोग भी शामिल है।
SBM की कमियाँ:
- शौचालय के नियमित उपयोग में गिरावट:
- शौचालय तक पहुँच बढ़ाने में शुरुआती सफलता के बावजूद पृष्ठ पर वर्ष 2018-19 के बाद से ग्रामीण भारत में नियमित शौचालय के उपयोग में हुई गिरावट पर प्रकाश डाला गया है, जिससे कार्यक्रम की स्थिरता के बारे में चिंताएँ बढ़ गई हैं।
- हाशिये पर मौजूद समूहों पर असंगत प्रभाव:
- शौचालय के उपयोग में सबसे बड़ी गिरावट अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST), सामाजिक-आर्थिक समूहों के बीच देखी गई, जो दर्शाता है कि कार्यक्रम का लाभ समाज के सभी क्षेत्रों में समान रूप से नहीं प्राप्त हुआ है।
- स्थिरता संबंधी चिंताएँ:
- हाल के वर्षों में शौचालय के उपयोग में गिरावट आने से इस कार्यक्रम की उपलब्धियों की स्थिरता पर सवाल उठता है, जिससे SBM द्वारा लक्षित दीर्घकालिक प्रभाव और व्यवहार परिवर्तन के संबंध में संदेह पैदा होता है।
- शौचालय के उपयोग में स्थानिक भिन्नता:
- राष्ट्रीय स्तर पर वर्ष 2015-16 और वर्ष 2019-21 के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में किसी भी शौचालय (बेहतर या गैर-सुधारित) का नियमित उपयोग औसतन 46% से बढ़कर 75% हो गया।
- यह वृद्धि सभी जनसंख्या और सामाजिक-आर्थिक उप-समूहों तथा विशेष रूप से गरीब एवं सामाजिक रूप से वंचित समूहों के मामले में देखी गई।
- लेकिन वर्ष 2015-16 और 2018-19 के बीच अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोगों के लिये किसी भी शौचालय के नियमित उपयोग में क्रमशः 51 तथा 58% की वृद्धि देखी गई, यह सामान्य श्रेणी के लगभग समान स्तर पर पहुँच गई, जो दर्शाता है कि लाभ उठाने की प्रक्रिया विपरीत है।
- अमीर राज्यों में चुनौतियाँ:
- प्रगति के बावजूद अमीर राज्यों ने आर्थिक रूप से गरीब राज्यों की तुलना में शौचालय के उपयोग में मिश्रित प्रदर्शन और कम लाभ प्रदर्शित किया है, जो विभिन्न सामाजिक-आर्थिक संदर्भों में अनुरूप रणनीतियों की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
- तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और गुजरात जैसे राज्यों ने आर्थिक रूप से वंचित राज्यों की तुलना में नियमित शौचालय के उपयोग में कम प्रगति दिखाई है, जो दर्शाता है कि कार्यक्रम का सभी राज्यों में समान प्रभाव नहीं था।
- राष्ट्रीय स्तर पर वर्ष 2015-16 और वर्ष 2019-21 के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में किसी भी शौचालय (बेहतर या गैर-सुधारित) का नियमित उपयोग औसतन 46% से बढ़कर 75% हो गया।
खुले में शौच मुक्त स्थिति:
- ODF: किसी क्षेत्र को ODF के रूप में अधिसूचित या घोषित किया जा सकता है, यदि दिन के किसी भी समय एक भी व्यक्ति खुले में शौच करते हुए नहीं पाया जाता है।
- ODF+: यह दर्जा तब दिया जाता है जब दिन के किसी भी समय, एक भी व्यक्ति खुले में शौच करते हुए नहीं पाया जाता है और सभी सामुदायिक तथा सार्वजनिक शौचालय कार्यात्मक एवं अच्छी तरह से बनाए हुए हैं।
- ODF++: यह दर्जा तब दिया जाता है जब क्षेत्र पहले से ही ODF+ की स्थिति है और मल कीचड़/सेप्टेज तथा सीवेज को सुरक्षित रूप से प्रबंधित एवं उपचारित किया जाता है, जिसमें अनुपचारित मल कीचड़ और सीवेज को खुली नालियों, जल निकायों या क्षेत्रों में छोड़ा या डंप नहीं किया जाता है।
आगे की राह
- नियमित शौचालय उपयोग, स्वच्छता और सुरक्षित स्वच्छता प्रथाओं के महत्त्व पर बल देते हुए लक्षित व समुदाय-विशिष्ट अभियानों के माध्यम से व्यवहार परिवर्तन को बढ़ावा देने के प्रयासों को तीव्र करना चाहिये।
- स्वच्छता सुविधाओं एवं प्रथाओं का स्वामित्व लेने के लिये समुदायों को शामिल करना चाहिये, स्वच्छ व कार्यात्मक शौचालयों को बनाए रखने में ज़िम्मेदारी तथा गर्व की भावना को बढ़ावा देना चाहिये।
- कमज़ोर और हाशिये पर रहने वाले समूहों को लक्षित करके उन्हें स्वच्छता सुविधाओं तक पहुँच प्रदान कर जागरूकता व शिक्षा के माध्यम से निरंतर उपयोग पर ज़ोर देकर लाभों का समान वितरण सुनिश्चित करना चाहिये।
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