भारत को पर्यटन से क्या लाभ हैं?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

  • समृद्ध सांस्कृतिक विरासत: भारत भाषाओं, धर्मों और परंपराओं का संगम है। ताजमहल, हम्पी तथा जयपुर के किले जैसे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल यहाँ के इतिहास और संस्कृति में रुचि रखने वाले पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
  • प्राकृतिक सौंदर्य: भारत में हिमालय का 70% भाग (अनेक साहसिक खेलों और ट्रैकिंग के लिये कई अवसर हैं) मौजूद है।
    • 7,000 किलोमीटर लंबी तटरेखा (जल क्रीड़ा एवं समुद्र तट पर्यटन के लिये आदर्श)। भारत में ऊष्ण और शीत दोनों प्रकार के रेगिस्तान हैं।
    • व्यापक वन क्षेत्र जो पारिस्थितिक पर्यटन को बढ़ावा देने में सहायक हो सकता है।
    • भारत की जैव विविधता में अद्वितीय वनस्पतियाँ तथा जीव-जंतु मौजूद हैं, जिनमें जिम कॉर्बेट और काज़ीरंगा जैसे राष्ट्रीय उद्यान भी शामिल हैं।
  • साहसिक पर्यटन की संभावना: ट्रैकिंग, रिवर राफ्टिंग, पैराग्लाइडिंग और वन्यजीव सफारी जैसी गतिविधियों की शृंखला के साथ, भारत साहसिक पर्यटन हेतु एक प्रमुख गंतव्य बनने की ओर अग्रसर है।
  • किफायती यात्रा विकल्प: भारत में यात्रा की लागत कई पश्चिमी देशों की तुलना में अपेक्षाकृत कम है, जिससे यह विभिन्न आय समूहों के लिये सुलभ है और इस प्रकार विविध प्रकार के पर्यटकों को आकर्षित करता है।
  • गर्मजोशी भरा आतिथ्य: “अतिथि देवो भव” (अतिथि भगवान है) की भारतीय नीति आगंतुकों के लिये गर्मजोशी और स्वागतपूर्ण अनुभव सुनिश्चित करती है।
  • स्थानीय लोग सामान्यतः पर्यटकों की सहायता करने और उनके साथ अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को साझा करने के लिये उत्सुक रहते हैं, जिससे उनका समग्र अनुभव बेहतर होता है।
  • पाक-कला/क्यूलिनेरी की विविधता: देश अपने क्षेत्रों में विभिन्न पाक-कला के अनुभवों का दावा करता है, जो शाकाहारी और माँसाहारी दोनों प्रकार के व्यंजनों के लिये जाना जाता है। इसके लोकप्रिय स्ट्रीट फूड की पेशकश उन खाद्य प्रेमियों को पसंद आती है जो प्रामाणिक स्थानीय स्वाद की तलाश में रहते हैं।
  • बढ़ता बुनियादी ढाँचा: भारत, भारतमाला जैसी पहलों के तहत हवाई अड्डों के विस्तार, रेलवे सुधार और राजमार्ग विकास के माध्यम से पर्यटन बुनियादी ढाँचे को बढ़ा रहा है।
    • आतिथ्य और कौशल विकास कार्यक्रमों में निवेश का उद्देश्य सेवा की गुणवत्ता में सुधार लाना तथा आगंतुकों की बढ़ती संख्या को समायोजित करना है।
  • कनेक्टिविटी में वृद्धि: दूरदराज के पर्यटन स्थलों तक पहुँच में सुधार के लिये वंदे भारत ट्रेनों और बुनियादी ढाँचे के विकास जैसी परिवहन पहलों में निवेश करना चाहिये।
  • कर सरलीकरण: पर्यटकों और व्यवसायों के लिये लागत कम करने हेतु कम वस्तु एवं सेवा कर (GST) दरों सहित सुव्यवस्थित कर सुधारों का समर्थन करना।
  • सुरक्षा को प्राथमिकता देना: सुरक्षा के प्रति पर्यटकों का विश्वास बढ़ाने के लिये पर्यटन पुलिस की स्थापना करना और सख्त सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू करना।
  • कौशल विकास: सेवा की गुणवत्ता और सांस्कृतिक संवेदनशीलता में सुधार के लिये पर्यटन कार्यबल के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रमों में निवेश करना।
  • डिजिटल तकनीक का लाभ उठाना: डिजी यात्रा ऐप जैसी मौजूदा पहलों को बढ़ावा देना और बहुभाषी समर्थन की सुविधा हेतु भाषिणी का लाभ उठाना, जिससे सभी उपयोगकर्त्ताओं के लिये एक सहज यात्रा अनुभव सुनिश्चित हो सके।
    • इसके अतिरिक्त, गंतव्यों की दृश्यता बढ़ाने और यात्रा की योजना को सुव्यवस्थित करने के लिये सोशल मीडिया व यात्रा वेबसाइटों का उपयोग करना चाहिये।
  • स्टेकेशन ट्रेंड को अपनाना: मैरियट और ओबेरॉय जैसी प्रमुख होटल शृंखलाएँ तनाव से राहत तथा शानदार पलायन प्रदान करने वाले क्यूरेटेड अनुभव प्रदान करके स्टेकेशन ट्रेंड को अपना रही हैं। स्टेकेशन को बढ़ावा देकर होटल ऑक्यूपेंसी दरों को बढ़ा सकते हैं और आस-पास के आकर्षणों व सेवाओं पर व्यय बढ़ाकर स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे सकते हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय साझेदारियाँ: स्वास्थ्य और सुरक्षा नियमों को अपनाते हुए पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये रूस जैसे देशों के साथ यात्रा की संभावना तलाशना।
    • सिस्टर सिटीज़ की अवधारणा सांस्कृतिक आदान-प्रदान, आर्थिक सहयोग और पर्यटन पहलों में आपसी समर्थन को बढ़ावा देकर इन साझेदारियों को बढ़ा सकती है।
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