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भारत और मालदीव के बीच द्विपक्षीय संबंधों में विद्यमान चुनौतियां क्या है? - श्रीनारद मीडिया

भारत और मालदीव के बीच द्विपक्षीय संबंधों में विद्यमान चुनौतियां क्या है?

भारत और मालदीव के बीच द्विपक्षीय संबंधों में विद्यमान चुनौतियां क्या है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप यात्रा के साथ एक विवाद उत्पन्न हुआ है जिससे भारत और मालदीव के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों में और गतिरोध आ गया है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब मालदीव के युवा कार्य मंत्रालय के तीन उप-मंत्रियों ने भारतीय प्रधानमंत्री की लक्षद्वीप यात्रा के प्रसंग में मालदीव के पर्यटन को ख़तरे की आशंका को देखते हुए भारत और भारतीय प्रधानमंत्री पर नकारात्मक टिप्पणियाँ की।

उप-मंत्रियों द्वारा की गई टिप्पणियों पर भारत में प्रतिक्रिया हुई जहाँ कई भारतीय हस्तियों ने भारतीयों को मालदीव के बजाय घरेलू पर्यटन स्थलों की खोज पर विचार करने के लिये प्रेरित किया। इस घटना ने भूभाग में ‘अतिराष्ट्रवाद’ के खतरों और दो दक्षिण एशियाई पड़ोसी देशों के बीच व्यापक सहयोग में व्याप्त हितों के नुकसान की आशंका को रेखांकित किया है।

भारत-मालदीव संबंध क्यों महत्त्वपूर्ण है?

  • रणनीतिक महत्त्व:
    • भारत की ‘नेवरहुड फर्स्ट’ नीति का केंद्र बिंदु: मालदीव की भारत के पश्चिमी तट से निकटता और हिंद महासागर से गुज़रते वाणिज्यिक समुद्री मार्गों के केंद्र पर इसकी अवस्थिति इसे भारत के लिये रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण बनाती है।
      • यह भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति के तहत भारत सरकार की प्राथमिकताओं का केंद्र बिंदु है।
    • मालदीव के लिये प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता के रूप में भारत:
      • मालदीव में वर्ष 1988 के तख्तापलट के प्रयास के दौरान भारत की त्वरित प्रतिक्रिया और तत्काल सहायता ने मालदीव के साथ भरोदेमंद और स्थायी मैत्रीपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों के विकास की नींव रखी। तब भारतीय सशस्त्र बलों ने ‘ऑपरेशन कैक्टस’ के तहत त्वरित कार्रवाई को अंजाम दिया था।
      • भारत वर्ष 2004 में मालदीव में सुनामी और दिसंबर 2014 में माले में जल संकट के दौरान भी मालदीव की सहायता करने वाला पहला देश रहा था।
      • मालदीव में खसरे के प्रकोप को रोकने के लिये जनवरी 2020 में भारत द्वारा टीके की 30000 खुराकों का त्वरित प्रेषण और कोविड-19 महामारी के दौरान भारत की तीव्र एवं व्यापक सहायता ने भी भारत की ‘प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता’ होने की साख को और मज़बूत किया।
    • एक शुद्ध सुरक्षा प्रदाता के रूप में भारत: मालदीव में भारत की रणनीतिक भूमिका के महत्त्व को वृहत रूप से चिह्नित किया जाता है, जहाँ भारत को एक शुद्ध सुरक्षा प्रदाता के रूप में देखा जाता है।
      • रक्षा साझेदारी को सुदृढ़ करने के लिये अप्रैल 2016 में दोनों देशों के बीच रक्षा के लिये एक व्यापक कार्ययोजना पर हस्ताक्षर किये गए।
      • दोनों देश हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) की रक्षा एवं सुरक्षा बनाए रखने में प्रमुख खिलाड़ी हैं; इस प्रकार भारत के नेतृत्व वाले ‘क्षेत्र में सभी के लिये सुरक्षा और विकास’ (Security And Growth for All in the Region- SAGAR) दृष्टिकोण में योगदान कर रहे हैं।
      • रक्षा सहयोग संयुक्त सैन्य अभ्यास के क्षेत्रों तक विस्तृत है जहाँ एकुवेरिन, दोस्ती, एकथा और ऑपरेशन शील्ड का आयोजन किया जाता है।
  • आर्थिक और व्यापारिक संलग्नताएँ:
    • पर्यटन अर्थव्यवस्था:
      • भारत मालदीव में पर्यटकों के सबसे बड़े स्रोतों में से एक है, जो अपनी अर्थव्यवस्था के संचालन के लिये पर्यटन पर बहुत अधिक निर्भर है।
      • वर्ष 2023 में मालदीव में सर्वाधिक पर्यटक भेजने वाले देशों में भारत शीर्ष पर रहा जिसकी बाज़ार हिस्सेदारी लगभग 11.8% थी।
    • व्यापार समझौते:
      • भारत वर्ष 2022 में मालदीव के दूसरे सबसे बड़े व्यापार भागीदार के रूप में उभरा। दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2021 में पहली बार 300 मिलियन अमेरिकी डॉलर का आँकड़ा पार कर गया।
      • 22 जुलाई 2019 को RBI और मालदीव मौद्रिक प्राधिकरण के बीच एक द्विपक्षीय यूएसडी करेंसी स्वैप समझौते पर हस्ताक्षर किये गए।
      • मालदीव से भारतीय आयात में मुख्य रूप से स्क्रैप धातु शामिल हैं, जबकि मालदीव में भारतीय निर्यात में विभिन्न प्रकार के इंजीनियरिंग और औद्योगिक उत्पाद, जैसे दवा एवं औषध, सीमेंट और कृषि उत्पाद शामिल हैं।

  • विकास और क्षमता निर्माण:
    • अवसंरचना परियोजनाएँ:
      • अगस्त 2021 में एक भारतीय कंपनी एफकॉन्स (Afcons) ने मालदीव में अब तक की सबसे बड़ी अवसंरचना परियोजना (ग्रेट माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट – GMCP) के लिये एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किये।
      • भारतीय क्रेडिट लाइन के अंतर्गत हनीमाधू अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा विकास परियोजना प्रति वर्ष 1.3 मिलियन यात्रियों को सेवा प्रदान करने के लिये एक नया टर्मिनल जोड़ेगी।
      • वर्ष 2022 में भारत के विदेश मंत्री द्वारा मालदीव में नेशनल कॉलेज फॉर पुलिसिंग एंड लॉ एनफोर्समेंट (NCPLE) का उद्घाटन किया गया।
    • स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र:
      • स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में भारत ने अत्याधुनिक कैंसर सुविधा स्थापित करने में मदद करने के अलावा इंदिरा गांधी मेमोरियल अस्पताल के विकास के लिये 52 करोड़ रुपए प्रदान किये हैं, जो मालदीव के विभिन्न द्वीपों पर 150 से अधिक स्वास्थ्य केंद्रों को जोड़ेगा।
    • शैक्षिक कार्यक्रम:
      • शिक्षा के क्षेत्र में, भारत ने वर्ष 1996 में तकनीकी शिक्षा संस्थान स्थापित करने में मदद की। भारत ने मालदीव के शिक्षकों एवं युवाओं को प्रशिक्षण और व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिये 5.3 मिलियन अमेरिकी डॉलर की परियोजना के तहत एक कार्यक्रम भी शुरू किया है।
      • भारत मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल (MNDF) के लिये सबसे बड़ी संख्या में प्रशिक्षण के अवसर प्रदान करता है, जो उनकी रक्षा प्रशिक्षण आवश्यकताओं के लगभग 70% की पूर्ति करता है।
  • सांस्कृतिक कनेक्टिविटी:
    • भारत और मालदीव प्राचीन काल से ही जातीय, भाषाई, सांस्कृतिक और धार्मिक संबंध साझा करते रहे हैं। मानवविज्ञानियों के अनुसार धिवेही (मालदीवियन भाषा) का उद्गम संस्कृत एवं पाली में पाया जाता है।
    • मालदीव में भारतीय प्रवासी समुदाय की संख्या लगभग 27,000 है। मालदीव में अधिकांश प्रवासी शिक्षक भारतीय नागरिक हैं।

भारत-मालदीव संबंधों में विद्यमान प्रमुख मुद्दे कौन-से हैं?

  • लक्षद्वीप का मुद्दा:
    • यह विवाद तब शुरू हुआ जब मालदीव के तीन उप-मंत्रियों ने भारतीय प्रधानमंत्री की हालिया लक्षद्वीप यात्रा के बाद भारत और प्रधानमंत्री के बारे में अपमानजनक टिप्पणियाँ कीं।
    • उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री की यात्रा की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि इसका उद्देश्य मालदीव के पर्यटन के लिये चुनौती पैदा करना है, जो अपनी समुद्र तट सुविधाओं के लिये प्रसिद्ध है।
    • भारत सरकार ने इस मुद्दे को मालदीव के सामने उठाया, जिसके बाद मालदीव सरकार ने इन मंत्रियों को निलंबित कर दिया।
    • इस विवाद के कारण कई भारतीयों ने मालदीव यात्रा की अपनी बुकिंग रद्द कर दी। यह घटना भूभाग में अतिराष्ट्रवाद के खतरों को रेखांकित करती है।
    • इस विवाद के संभावित प्रभाव मालदीव पर्यटन उद्योग के लिये चिंता का विषय है।
  • मालदीव में ‘इंडिया आउट’ अभियान:
    • भारत के ‘इंडिया आउट’ पहल में मालदीव में भारत के निवेश, दोनों देशों के बीच रक्षा साझेदारी और क्षेत्र में भारत के सुरक्षा प्रावधानों के बारे में संदेह पैदा कर शत्रुता को बढ़ावा देने की क्षमता है।
    • हाल ही में चुनी गई मालदीव सरकार पूर्व सरकार की ‘इंडिया फर्स्ट’ नीति का इस हद तक विरोध करती है कि भारतीय सैनिकों की वापसी के मुद्दे को को नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मुइज़ू के चुनाव घोषणापत्र में शामिल किया गया था।
  • संप्रभुता और सुरक्षा दुविधा:
    • मालदीव में लोकतांत्रिक व्यवस्था अभी भी अपने प्रारंभिक चरण में है, जो प्रमुख वैश्विक खिलाड़ियों से प्रभावित क्षेत्रीय सामाजिक-राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रही है।
    • चुनाव से पूर्व मालदीव में विपक्ष का मानना था कि मालदीव में भारतीय सैन्य उपस्थिति देश की राष्ट्रीय सुरक्षा एवं संप्रभुता के लिये खतरा है।
    • इसके विपरीत, तत्कालीन सरकार लगातार इस बात पर बल देती रही कि ‘इंडिया आउट’ अभियान देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये खतरा है। इसे एक ऐसे कारक के रूप में देखा गया जो इस द्वीप राष्ट्र को क्षेत्रीय सुरक्षा लाभ प्रदान करने वाले भागीदार देश भारत को नाराज कर सकता है।
      • भारत, मालदीव और श्रीलंका के बीच त्रिपक्षीय समुद्री सुरक्षा सहयोग बैठक वर्ष 2011 में स्थापित की गई थी।
  • हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण समझौते का निरसन:
    • उल्लेखनीय है कि हाइड्रोग्राफिक डेटा में अंतर्निहित रूप से दोहरी प्रकृति पाई जाती है, जिसमें समुद्र से एकत्र की गई जानकारी का उपयोग नागरिक और सैन्य उद्देश्यों के लिये किया जा सकता है।
    • मालदीव आशंका रखता है कि भारत की हाइड्रोग्राफिक गतिविधि ख़ुफ़िया संग्रह का एक रूप हो सकती है।
    • मालदीव ने हाल में अपने जल क्षेत्र में संयुक्त हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण के लिये भारत के साथ समझौते को रद्द करने का निर्णय लिया, जिससे भारतीय रणनीतिक हलकों में चिंता उत्पन्न हुई।
  • हिंद महासागर क्षेत्र में ‘चाइना फैक्टर’:
    • मालदीव दक्षिण एशिया में चीन के ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ संरचना में एक महत्त्वपूर्ण ‘पर्ल’ के रूप में उभरा है।
    • मालदीव में चीन ने भारी निवेश किया है और वह चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का भागीदार बन गया है।
    • भारत-मालदीव संबंधों को तब एक आघात लगा जब मालदीव ने वर्ष 2017 में चीन के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर किया।
    • ऐसी अटकलें लगाई जाती हैं कि चीन मालदीव में एक नौसैनिक अड्डा विकसित करने की योजना रखता है, जहाँ पिछले प्रस्तावों में संभावित सैन्य अनुप्रयोगों के बारे में चिंताओं का संकेत मिला है।
    • दक्षिण एशियाई देशों के जल क्षेत्र में चीन के समुद्र विज्ञान सर्वेक्षण से संघर्ष का एक खतरा उत्पन्न होता है क्योंकि यहाँ भारतीय हाइड्रोग्राफिक जहाज़ों की उपस्थिति है।

आगे की राह

  • भारत में पर्यटन स्थलों की खोज करना और उनका विकास करना:
    • अनन्वेषित स्थलों की खोज करना: भारत की तटरेखा पर कई प्रसिद्ध और अनदेखे समुद्र तट स्थल मौजूद हैं। यह भारत में तटीय अनन्वेषित एवं छिपे पर्यटन खजानों की संभावनाओं का पता लगाने और विकसित करने के लिये उपयुक्त अवसर है।
      • इन संभावित गंतव्यों में गोवा, केरल, लक्षद्वीप और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह जैसे स्थान शामिल हो सकते हैं।
    • पर्यटन सुविधाएँ विकसित करना: परिवहन, सड़कों और उपयोगिताओं जैसे बुनियादी ढाँचे में निवेश किया जाए। अनन्वेषित क्षेत्रों तक विश्वसनीय कनेक्टिविटी विकसित करें ताकि उन्हें पर्यटकों के लिये आसानी से सुलभ बनाया जा सके।
      • क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना – उड़े देश का आम नागरिक (RCS-UDAN) के अंतर्गत आने वाले मार्गों के कवरेज और संचालन को बेहतर बनाया जाना चाहिये।
  • गुजराल सिद्धांत पर आगे बढ़ना:
    • उच्च-स्तरीय राजनयिक संलग्नता: चिंताओं को दूर करने, भरोसे का निर्माण करने और खुले संचार को बढ़ावा देने के लिये नियमित और रचनात्मक राजनयिक संवाद को प्राथमिकता दिया जाए।
    • क्षेत्रीय गठबंधनों को सुदृढ़ करना: भारत को गुजराल सिद्धांत के सकारात्मक पहलुओं पर आगे बढ़ते हुए पारस्परिक लाभ के लिये क्षेत्रीय गठबंधनों और सहयोग को सुदृढ़ करना जारी रखना चाहिये।
    • स्थानीय लोगों के साथ राजनीतिक संलग्नता: वर्तमान में मालदीव में ‘इंडिया आउट’ अभियान को सीमित आबादी का समर्थन प्राप्त है, लेकिन इसे भारत सरकार द्वारा हल्के में नहीं लिया जाना चाहिये।
      • द्विपक्षीय संबंधों की मज़बूती एक भागीदार सरकार की अपनी नीतियों के लिये जनता का समर्थन जुटाने की क्षमता पर निर्भर करती है।
    • क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के लिये अटूट समर्थन: भारत को एक विकास भागीदार के रूप में मालदीव को व्यापक सामाजिक-आर्थिक विकास और क्षेत्र में लोकतांत्रिक एवं स्वतंत्र संस्थानों को मज़बूत करने की उनकी आकांक्षाओं को साकार करने में अटूट समर्थन प्रदान करना चाहिये।
  • अंतर्राष्ट्रीय मामलों में विवेक का प्रयोग:
    • अनावश्यक उकसावे से बचना: हालिया विवाद मालदीव जैसे छोटे देशों को पड़ोसी देशों से संबंध के मामले में विवेक बरतने की चेतावनी देता है, क्योंकि अनावश्यक उकसावे के हानिकारक परिणाम उत्पन्न हो सकते हैं।
      • अनावश्यक उकसावे के नकारात्मक परिणाम उत्पन्न हो सकते हैं, जो अंततः छोटे देश को अधिक नुकसान पहुँचा सकते हैं।
    • सोशल मीडिया वारियर्स की उत्तरदायी भूमिका:
      • राष्ट्रीय हित को बढ़ावा देने में सोशल मीडिया वारियर्स द्वारा निभाई जाती महत्त्वपूर्ण भूमिका को चिह्नित करना आवश्यक है, लेकिन उनका पड़ोसी देशों (इस मामले में मालदीव) के प्रति धमकीपूर्ण व्यवहार में शामिल होना प्रति-उत्पादक सिद्ध होगा।
      • ऐसे कृत्यों से चीन के मुकाबले भारत के राजनयिक लाभ के खोने की संभावना है।
  • चीन का मुकाबला करने के लिये एक व्यापक हिंद महासागर रणनीति तैयार करना:
    • समुद्री सुरक्षा को अधिकतम करना: भारत को हिंद महासागर में समग्र सुरक्षा वास्तुकला में योगदान करते हुए महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्गों में नेविगेशन की सुरक्षा एवं स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के प्रयासों में भाग लेना चाहिये।
    • संसाधनों को अधिकतम करना: भारत को मानवीय सहायता और आपदा राहत कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेकर क्षेत्रीय सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता बनाए रखनी चाहिये। भारत क्षेत्र में चीनी आक्रामकता का मुकाबला करने के लिये QUAD के माध्यम से सक्रिय रूप से संलग्न हो सकता है।
      • ‘प्रोजेक्ट मौसम’ को मालदीव को इससे लाभ प्राप्त कर सकने और भारत पर उसकी आर्थिक एवं अवसंरचनात्मक निर्भरता को बढ़ाने के लिये पर्याप्त अवसर प्रदान करना चाहिये।

हालिया विवाद के बावजूद, भारत का स्थायी क्षेत्रीय एवं भू-राजनीतिक महत्त्व यह सुनिश्चित करता है कि नई दिल्ली के साथ संबंधों को बढ़ावा देना मालदीव के लिये सर्वोच्च प्राथमिकता बनी रहेगी।

 

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