आम चुनाव 2024 और गठबंधन सरकारों की चुनौतियाँ क्या है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

1962 के बाद पहली बार कोई सरकार एक दशक तक लगातार दो कार्यकाल पूरा करने के बाद तीसरी बार सरकार में वापिस आई है।

  • हालाँकि, यह परिणाम एक पार्टी के प्रभुत्व के अंत का संकेत देता है और केंद्र में एक गठबंधन सरकार की वापसी का संकेत देता है।

गठबंधन सरकार क्या है?

  • परिचय:
    • गठबंधन सरकार को इस प्रकार परिभाषित किया जाता है कि जब कई राजनीतिक दल मिलकर सरकार बनाते हैं और एक साझा कार्यक्रम के आधार पर राजनीतिक सत्ता का प्रयोग करते हैं।
    • आधुनिक संसदों में गठबंधन आमतौर पर तब होता है जब किसी एक राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता।
    • यदि निर्वाचित सदस्यों के बहुमत वाली कई पार्टियाँ अपनी नीतियों से बहुत अधिक समझौता किये बिना एक साझा योजना पर सहमत हों, तो वे सरकार बना सकती हैं।
  • गठबंधन सरकार की विशेषताएँ:
    • गठबंधन का तात्पर्य सरकार बनाने के लिये कम-से-कम दो पार्टियों के अस्तित्व से है।
      • गठबंधन राजनीति की पहचान विचारधारा नहीं बल्कि व्यावहारिकता है।
    • गठबंधन की राजनीति स्थिर नहीं बल्कि गतिशील मामला है क्योंकि गठबंधन के घटक और समूह विघटित हो जाते हैं तथा नए समूह बनाते हैं।
    • गठबंधन सरकार न्यूनतम कार्यक्रम के आधार पर कार्य करती है, जो गठबंधन के सभी सदस्यों की आकांक्षाओं को संतुष्ट नहीं कर सकती।
  • चुनाव पूर्व और चुनाव पश्चात् गठबंधन:
    • चुनाव पूर्व गठबंधन काफी लाभदायक होते हैं क्योंकि यह पार्टियों को संयुक्त घोषणापत्र के आधार पर मतदाताओं को लुभाने के लिये एक साझा मंच प्रदान करता है।
    • चुनाव-पश्चात संघ का उद्देश्य मतदाताओं को राजनीतिक सत्ता साझा करने तथा सरकार चलाने में सक्षम बनाना है।

गठबंधन पर पुंछी और सरकारिया आयोग की सिफारिशें:

  • पुंछी आयोग की संस्तुति: पुंछी आयोग ने स्पष्ट नियम स्थापित किये कि राज्यपालों को त्रिशंकु विधानसभाओं में मुख्यमंत्रियों की नियुक्ति कैसे करनी चाहिये। ये दिशा-निर्देश राष्ट्रपति के लिये भी लागू हैं:
    • जिस पार्टी या पार्टियों के गठबंधन को विधानसभा में व्यापक समर्थन प्राप्त हो, उसे सरकार बनाने के लिये आमंत्रित किया जाना चाहिये।
    • यदि कोई चुनाव पूर्व समझौता या गठबंधन पर आधारित है, तो उसे एक राजनीतिक दल माना जाना चाहिये और यदि ऐसे गठबंधन को बहुमत प्राप्त होता है, तो ऐसे गठबंधन के नेता को राज्यपाल द्वारा सरकार बनाने के लिये बुलाया जाएगा।
    • यदि किसी भी पार्टी या चुनाव पूर्व गठबंधन को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है, तो राज्यपाल को यहाँ दर्शाए गए वरीयता क्रम के आधार पर मुख्यमंत्री का चयन करना चाहिये।
      • चुनाव पूर्व गठबंधन करने वाले दलों का समूह सबसे अधिक सीटें जीतता है।
      • सबसे बड़ी पार्टी द्वारा अन्य दलों के समर्थन से सरकार बनाने का दावा।
      • चुनाव के बाद का गठबंधन जिसमें सभी सहयोगी सरकार में शामिल होंगे।
      • चुनाव-पश्चात् गठबंधन जिसमें कुछ दल सरकार में शामिल होंगे तथा शेष दल निर्दलीय होंगे, जो सरकार को बाह्य समर्थन प्रदान करेंगे।
  • सरकारिया आयोग ने पाया था कि भारतीय संघवाद में समस्याएँ केंद्र और राज्यों के बीच परामर्श तथा संवाद की कमी के कारण उत्पन्न होती हैं।
    • यह पाया गया कि अंतर-राज्यीय परिषद ने तब कार्य किया जब राष्ट्रीय स्तर पर क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की प्रमुख भूमिका थी। यह गठबंधन सरकार की भूमिका को दर्शाता है जिसमें क्षेत्रीय दलों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।

2024 के आम चुनाव में अन्य घटनाक्रम:

  • महिलाएँ:
    • भारत ने वर्ष 2024 के आम चुनाव में लोकसभा के लिये 74 महिला सांसदों को चुना है, जो वर्ष 2019 की तुलना में चार कम और वर्ष 1952 में भारत के पहले चुनावों की तुलना में 52 अधिक है। सर्वाधिक 11 महिलाएँ पश्चिम बंगाल से चुनकर आई हैं।
    • ये 74 महिलाएँ निचले सदन की निर्वाचित संख्या का मात्र 13.63% हैं, जबकि दक्षिण अफ्रीका में यह संख्या 46%, ब्रिटेन में 35% तथा अमेरिका में 29% है।
    • इंदिरा गांधी भारत की पहली और एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रही हैं।

  • नोटा:
    • इंदौर विधानसभा में ‘इनमें से कोई नहीं’ (NOTA) विकल्प को 2 लाख से अधिक वोट प्राप्त हुए।
      • यह किसी भी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में अब तक नोटा को मिले सर्वाधिक वोटों की संख्या है।
    • नोटा का विकल्प पहली बार वर्ष 2014 के आम चुनावों में पेश किया गया था।
    • नोटा का कोई कानूनी प्रभाव नहीं है, क्योंकि यदि किसी सीट पर सबसे अधिक वोट नोटा को मिले हों, तो दूसरा सबसे सफल उम्मीदवार चुनाव जीत जाता है।
      • हरियाणा में नोटा को एक काल्पनिक उम्मीदवार माना गया है।

गठबंधन सरकार के गुण और दोष क्या हैं?

  • गुण:
    • गठबंधन सरकार विभिन्न दलों को एक साथ लाकर संतुलित निर्णय लेती है तथा विभिन्न हितधारकों के हितों को संतुष्ट करती है।
    • भारत की विविध संस्कृतियाँ, भाषाएँ और समूह, गठबंधन सरकारों को एकदलीय सरकारों की तुलना में अधिक प्रतिनिधिक एवं लोकप्रिय जनमत को प्रतिबिंबित करते हैं।
    • गठबंधन की राजनीति, एकदलीय सरकार की तुलना में क्षेत्रीय ज़रूरतों के प्रति अधिक सजग रहकर भारत की संघीय प्रणाली को मज़बूत बनाती है।
  • दोष:
    • ये अस्थिर हैं क्योंकि गठबंधन सहयोगियों के बीच नीतिगत मुद्दों पर असहमति होने के कारण सरकार गिर सकती है।
    • गठबंधन सरकार में प्रधानमंत्री का अधिकार सीमित होता है क्योंकि महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले उन्हें गठबंधन सहयोगियों से परामर्श करना आवश्यक होता है।
    • गठबंधन सहयोगियों के लिये ‘सुपर-कैबिनेट’ की तरह संचालन समिति, शासन में कैबिनेट के अधिकार को सीमित करती है।
    • गठबंधन सरकार में छोटी पार्टियाँ संसद में अपने पात्रता  से अधिक की मांग करके महत्त्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती हैं।
    • क्षेत्रीय दलों के नेता अपने क्षेत्र के विशिष्ट मुद्दों की वकालत करके राष्ट्रीय निर्णयों को प्रभावित करते हैं तथा गठबंधन वापसी के खतरे के तहत अपने हितों के अनुरूप कार्य करने के लिये केंद्र सरकार पर दबाव डालते हैं।
    • गठबंधन सरकार में, गठबंधन में शामिल सभी प्रमुख दलों के हितों के कारण मंत्रिपरिषद का विस्तार होता है।
    • गठबंधन सरकारों में, सदस्य अक्सर एक-दूसरे पर दोषारोपण करके गलतियों की ज़िम्मेदारी लेने से बचते हैं, इस प्रकार सामूहिक और व्यक्तिगत जवाबदेही दोनों से बचते हैं।

सुधारों में गठबंधन सरकारों की भूमिका क्या रही है?

  • ऐतिहासिक संदर्भ:
    • वर्ष 1991 के बाद से भारत में गठबंधन सरकारें देखने को मिली हैं, जहाँ अग्रणी पार्टियाँ बहुमत के आँकड़े यानि 272 सीटें प्राप्त करने से काफी दूर रही हैं।
    • गठबंधन सरकारों ने भारत के इतिहास में कुछ सबसे साहसिक आर्थिक सुधार लागू किये हैं।
  • पिछली गठबंधन सरकारों द्वारा किये गए उल्लेखनीय सुधार:
    • पी. वी. नरसिम्हा राव सरकार (1991-1996):
      • आर्थिक उदारीकरण (LPG सुधार): इस सरकार में लाइसेंस-परमिट राज को हटाकर अर्थव्यवस्था को उदार बनाया गया तथा वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा को अपनाया गया।
      • विश्व व्यापार संगठन की सदस्यता: भारत विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation) का सदस्य बन गया, जिससे वह वैश्विक अर्थव्यवस्था में और अधिक गहनता से एकीकृत हो गया।
    • देवेगौड़ा सरकार (जून 1996-अप्रैल 1997):
      • ड्रीम बजट: इन्हें वित्त मंत्री के तौर पर कर दरों को कम करने तथा करदाताओं एवं व्यवसायिकों के लिये अधिक अनुकूल आर्थिक माहौल को बढ़ावा देने के लिये जाना जाता था।
    • अटल बिहारी वाजपेयी सरकार (मार्च 1998-मई 2004):
      • राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन (Fiscal Responsibility & Budget Management- FRBM) अधिनियम: सरकारी उधारी को सीमित करके राजकोषीय अनुशासन लागू किया गया।
      • विनिवेश और बुनियादी ढाँचा: घाटे में चल रहे सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश पर ज़ोर दिया गया तथा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना जैसी योजनाओं के माध्यम से ग्रामीण बुनियादी ढाँचे में सुधार किया गया।
      • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000: भारत में ई-कॉमर्स क्षेत्र के तेज़ी से विकास के लिये आधार तैयार किया गया।
    • मनमोहन सिंह सरकार (2004-2014):
      • अधिकार-आधारित सुधार: शिक्षा का अधिकार अधिनियम, सूचना का अधिकार अधिनियम, भोजन का अधिकार और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MG-NREGA) जैसे विभिन्न सुधारात्मक उपाय लाए गए।
      • आर्थिक विनियमन: ईंधन की कीमतों को विनियमन मुक्त किया गया, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण आरंभ किया गया तथा आधार (Aadhaar) और GST प्रणालियों पर कार्य किया गया।

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