भारत के ऊर्जा क्षेत्र से संबंधित चुनौतियाँ क्या है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
भारत और पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (Organization of the Petroleum Exporting Countries- OPEC) के बीच ऊर्जा वार्ता के तहत छठी उच्च-स्तरीय बैठक 9 नवंबर, 2023 को ऑस्ट्रिया के वियना में OPEC के सचिवालय में आयोजित की गई।
- बैठक में तेल और ऊर्जा बाज़ारों के महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा हुई।
भारत-OPEC ऊर्जा वार्ता की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- बैठक में तेल और ऊर्जा बाज़ारों से संबंधित प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें उपलब्धता, सामर्थ्य तथा स्थिरता सुनिश्चित करने पर विशेष ज़ोर दिया गया, जो कि ऊर्जा बाज़ारों की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक हैं।
- बैठक दोनों पक्षों द्वारा OPEC और भारत के बीच बढ़ते सहयोग को बढ़ावा देने के महत्त्व को रेखांकित करने के साथ संपन्न हुई।
- वर्ल्ड ऑयल आउटलुक 2023 का अनुमान है कि भारत की अर्थव्यवस्था वर्ष 2022-2045 के बीच 6.1 प्रतिशत की औसत दीर्घकालिक वृद्धि के साथ सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली प्रमुख विकासशील अर्थव्यवस्था होगी और उसी दौरान वृद्धिशील वैश्विक ऊर्जा मांग 28 प्रतिशत से अधिक होगी।
- दोनों पक्षों ने वैश्विक आर्थिक विकास तथा ऊर्जा मांग में तीसरे सबसे बड़े ऊर्जा उपभोक्ता, कच्चे तेल के आयातक एवं चौथे सबसे बड़े वैश्विक तेल शोधक के रूप में भारत की महत्त्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार किया।
- बैठक में नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता, हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था तथा जलवायु परिवर्तन शमन के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों एवं पहलों को भी स्वीकार किया गया।
- भारत-ओपेक ऊर्जा वार्ता के तहत अगली उच्च स्तरीय बैठक वर्ष 2024 में भारत में आयोजित करने पर सहमति बनी।
पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन (OPEC) क्या है?
- पारिचय:
- पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन (Organization of the Petroleum Exporting Countries- OPEC) एक स्थायी, अंतर-सरकारी संगठन है, जिसका गठन वर्ष 1960 में बगदाद सम्मेलन में ईरान, इराक, कुवैत, सऊदी अरब एवं वेनेज़ुएला द्वारा किया गया था।
- इसका मुख्यालय वियना, ऑस्ट्रिया में है।
- पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन (Organization of the Petroleum Exporting Countries- OPEC) एक स्थायी, अंतर-सरकारी संगठन है, जिसका गठन वर्ष 1960 में बगदाद सम्मेलन में ईरान, इराक, कुवैत, सऊदी अरब एवं वेनेज़ुएला द्वारा किया गया था।
- उद्देश्य:
- OPEC का उद्देश्य सदस्य देशों के बीच पेट्रोलियम नीतियों का समन्वय एवं एकीकरण करना है, ताकि पेट्रोलियम उत्पादकों के लिये उचित व स्थिर कीमतें सुनिश्चित की जा सकें; उपभोक्ता देशों को पेट्रोलियम की आर्थिक रूप से उचित तथा नियमित आपूर्ति की जा सके जिससे संबद्ध उद्योग में निवेश करने वालों को पूंजी पर उचित लाभ मिलेगा।
- सदस्य देश:
- अल्जीरिया, अंगोला, कांगो, इक्वेटोरियल गिनी, गैबॉन, ईरान, इराक, कुवैत, लीबिया, नाइजीरिया, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात तथा वेनेज़ुएला इसके सदस्य हैं।
- OPEC के सदस्य देश विश्व के लगभग 30% कच्चे तेल का उत्पादन करते हैं।
- संगठन के अंतर्गत सऊदी अरब सबसे बड़ा एकल तेल आपूर्तिकर्त्ता है, जो प्रतिदिन 10 मिलियन बैरल से अधिक तेल का उत्पादन करता है।
- रिपोर्ट और आउटलुक:
- मासिक तेल बाज़ार रिपोर्ट, वार्षिक सांख्यिकीय बुलेटिन और विश्व तेल आउटलुक।
- ओपेक प्लस:
- वर्ष 2016 में अमेरिकी शेल तेल उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि के परिणामस्वरूप तेल की गिरती कीमतों के जवाब में ओपेक ने 10 अन्य तेल उत्पादक देशों के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किये, जिसे अब ओपेक प्लस के रूप में जाना जाता है।
- ओपेक प्लस में अब अज़रबैजान, बहरीन, ब्रुनेई, कज़ाखस्तान, मलेशिया, मैक्सिको, ओमान, रूस, दक्षिण सूडान और सूडान के साथ 13 ओपेक सदस्य देश शामिल हैं।
- ओपेक प्लस देश संयुक्त रूप से विश्व के कुल कच्चे तेल का लगभग 40% का उत्पादन करते हैं।
- वर्ष 2016 में अमेरिकी शेल तेल उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि के परिणामस्वरूप तेल की गिरती कीमतों के जवाब में ओपेक ने 10 अन्य तेल उत्पादक देशों के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किये, जिसे अब ओपेक प्लस के रूप में जाना जाता है।
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