आसियान नेतृत्व और भारत की अपेक्षाएं क्या है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का संगठन एक क्षेत्रीय संगठन है जो एशिया-प्रशांत के उपनिवेशी राष्ट्रों के बढ़ते तनाव के बीच राजनीतिक और सामाजिक स्थिरता को बढ़ावा देने के लिये स्थापित किया गया था।
आसियान का आदर्श वाक्य ‘वन विजन, वन आइडेंटिटी, वन कम्युनिटी’ है।8 अगस्त आसियान दिवस के रूप में मनाया जाता है।आसियान का सचिवालय इंडोनेशिया के राजधानी जकार्ता में है।
नई पहलें:
- 24वीं आसियान-भारत वरिष्ठ अधिकारी बैठक (एसओएम) का आयोजन दिल्ली में किया गया।
- भारत और आसियान ने अपने संवाद संबंधों की 30वीं वर्षगांठ मनाई।
- भारत के साथ दूसरी आसियान डिजिटल मंत्रियों (एडीजीएमआईएन) की बैठक में, दोनों पक्षों ने क्षेत्र में भविष्य के सहयोग के लिये भारत-आसियान डिजिटल कार्य योजना 2022 को अंतिम रूप दिया।
सदस्य राष्ट्र
- इंडोनेशिया
- मलेशिया
- फिलीपींस
- सिंगापुर
- थाईलैंड
- ब्रुनेई
- वियतनाम
- लाओस
- म्यांमार
- कंबोडिया
आसियान की उत्पत्ति
- 1967 – आसियान घोषणापत्र (बैंकॉक घोषणा) पर संस्थापक राष्ट्रों द्वारा हस्ताक्षर करने के साथ आसियान की स्थापना हुई।
- आसियान के संस्थापक राष्ट्र हैं: इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और थाईलैंड।
- 1990 के दशक में – वर्ष 1975 में वियतनाम युद्ध के अंत और वर्ष 1991 में शीत युद्ध के बाद क्षेत्र में बदलती परिस्थितियों के बाद सदस्यता दोगुनी हो गई।
- ब्रुनेई (1984), वियतनाम (1995), लाओस और म्यांमार (1997), और कंबोडिया (1999) सदस्य राष्ट्रों में शामिल हुए।
- 1995 – दक्षिण पूर्व एशिया को परमाणु मुक्त क्षेत्र बनाने के लिये सदस्यों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किये।
- 1997 – आसियान विजन 2020 को अपनाया गया।
- 2003 – आसियान समुदाय की स्थापना के लिये बाली कॉनकॉर्ड द्वितीय।
- 2007 – सेबू घोषणा, 2015 तक आसियान समुदाय की स्थापना में तेजी लाने के लिये।
- 2008 – आसियान चार्टर लागू हुआ और कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौता हुआ।
- 2015 – आसियान समुदाय का शुभारंभ।
आसियान समुदाय में तीन स्तंभ शामिल हैं:
- आसियान राजनीतिक-सुरक्षा समुदाय
- आसियान आर्थिक समुदाय
- आसियान सामाजिक-सांस्कृतिक समुदाय
उद्देश्य
- दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के समृद्ध और शांतिपूर्ण समुदाय के लिये आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति तथा सांस्कृतिक विकास में तेजी लाने हेतु।
- न्याय और कानून के शासन के लिये सम्मान तथा संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों के पालन के माध्यम से क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को बढ़ावा देना।
- आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, तकनीकी, वैज्ञानिक और प्रशासनिक क्षेत्रों में सामान्य हित के मामलों पर सक्रिय सहयोग और पारस्परिक सहायता को बढ़ावा देना।
- कृषि और उद्योगों के अधिक उपयोग, व्यापार विस्तार, परिवहन और संचार सुविधाओं में सुधार और लोगों के जीवन स्तर सुधार में अधिक प्रभावी ढंग से सहयोग करने के लिये।
- दक्षिण पूर्व एशियाई अध्ययन को बढ़ावा देने के लिये।
- मौज़ूदा अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय संगठनों के साथ घनिष्ठ और लाभप्रद सहयोग बनाए रखने के लिये।
- स्वतंत्रता, संप्रभुता, समानता, क्षेत्रीय अखंडता और सभी देशों की राष्ट्रीय पहचान के लिये पारस्परिक सम्मान।
- बाहरी हस्तक्षेप या जबरदस्ती से मुक्त अपने राष्ट्रीय अस्तित्व का नेतृत्व करने का प्रत्येक राष्ट्र का अधिकार।
- एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना।
- शांतिपूर्ण तरीके से मतभेद या विवादों का निपटारा।
- शक्ति उपयोग अथवा उपयोग करने की चेतावनी का त्याग।
- आपस में प्रभावी सहयोग।
संस्था तंत्र
- सदस्य देशों के अंग्रेजी नामों के वर्णानुक्रम के आधार पर आसियान की अध्यक्षता प्रतिवर्ष परिवर्तित होती है।
- आसियान शिखर सम्मेलन: आसियान की सर्वोच्च नीति बनाने वाली संस्था, शिखर सम्मेलन, आसियान की नीतियों और उद्देश्यों के लिये दिशा निर्धारित करती है। चार्टर के तहत शिखर सम्मेलन एक वर्ष में दो बार होता है।
- आसियान मंत्रालयिक परिषद: शिखर सम्मेलन को समर्थन देने के लिये चार महत्वपूर्ण नए मंत्रालयिक निकाय स्थापित किये गए हैं।
- आसियान समन्वय परिषद (एसीसी)
- आसियान राजनीतिक-सुरक्षा समुदाय परिषद
- आसियान आर्थिक समुदाय परिषद
- आसियान सामाजिक-सांस्कृतिक समुदाय परिषद
- निर्णय लेना: आसियान में निर्णय लेने का प्राथमिक तरीका परामर्श और सहमति है।
- हालाँकि, चार्टर आसियान-X के सिद्धांत को सुनिश्चित करता है – इसका अर्थ है कि यदि सभी सदस्य राष्ट्र सहमति में हैं, तो भागीदारी के लिये एक सूत्र का उपयोग किया जा सकता है ताकि जो सदस्य तैयार हों वे आगे बढ़ सकें जबकि वे सदस्य जिन्हें कार्यान्वयन के लिये अधिक समय की आवश्यकता हो एक समय-रेखा लागू कर सकते हैं।
आसियान के नेतृत्व वाले मंच
- आसियान क्षेत्रीय मंच (एआरएफ): वर्ष 1993 में शुरू किया गया सत्ताईस सदस्यीय बहुपक्षीय समूह क्षेत्रीय विश्वास निर्माण और निवारक कूटनीति में योगदान करने के लिये राजनीतिक और सुरक्षा मुद्दों पर सहयोग हेतु विकसित किया गया था।
- आसियान प्लस थ्री: 1997 में शुरू किया गया परामर्श समूह आसियान के दस सदस्यों, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया को एक साथ लाता है।
- पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (ईएएस): यह पहली बार वर्ष 2005 में आयोजित हुआ था।शिखर सम्मेलन का उद्देश्य क्षेत्र में सुरक्षा और समृद्धि को बढ़ावा देना है। आमतौर पर आसियान, ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, न्यूजीलैंड, रूस, दक्षिण कोरिया और संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्राध्यक्ष इसमें भाग लेते हैं।आसियान एजेंडा सेटर के रूप में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है।
- आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक (एडीएमएम)-प्लस बैठक: एडीएमएम-प्लस क्षेत्र में शांति, स्थिरता और विकास के लिये सुरक्षा और रक्षा सहयोग को मजबूत करने के लिए आसियान और उसके आठ संवाद भागीदारों के लिये एक मंच है।
- एडीएमएम-प्लस देशों में दस आसियान सदस्य राज्य और आठ प्लस देश शामिल हैं, अर्थात् ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, न्यूजीलैंड, आरओके, रूसी संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका।
- पहला एडीएमएम-प्लस 2010 में वियतनाम के हनोई में आयोजित किया गया था।
शक्तियाँ और अवसर
- एकल रूप से अपने सदस्यों की तुलना में आसियान एशिया-प्रशांत व्यापार, राजनीतिक और सुरक्षा मुद्दों को अधिक प्रभावित करता है।
- जनसंख्या भाग – 1 जुलाई 2019 तक आसियान की जनसंख्या लगभग 655 मिलियन (विश्व जनसंख्या का 8.5%) थी।
आर्थिक परिदृश्य:
- विनिर्माण और व्यापार का प्रमुख वैश्विक केंद्र दुनिया में सबसे तेज़ी से बढ़ते उपभोक्ता बाज़ारों में से एक है।
- दुनिया की 7वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, 2050 तक इसे चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में रैंक करने का अनुमान है।
- आसियान के पास चीन और भारत के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी श्रम शक्ति है।
- मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए):
- आसियान-ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड मुक्त व्यापार क्षेत्र
- आसियान-चीन मुक्त व्यापार समझौते
- आसियान-भारत मुक्त व्यापार क्षेत्र
- आसियान – जापान मुक्त व्यापार क्षेत्र
- आसियान-कोरिया गणराज्य मुक्त व्यापार क्षेत्र
- आसियान-हांगकांग, चीन मुक्त व्यापार क्षेत्र
- क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी
- साझा चुनौतियों से निपटने के लिये आसियान ने ज़रूरी मानदंडों का निर्माण करके और तटस्थ वातावरण को बढ़ावा देकर क्षेत्रीय स्थिरता में योगदान दिया है।
चुनौतियाँ
- एकल बाज़ारों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में क्षेत्रीय असंतुलन।
- आसियान सदस्य राष्ट्रों के बीच अमीरी और गरीबी का अंतर बहुत ज्यादा है तथा आय असमानता भी अधिक है।
- सिंगापुर में प्रति व्यक्ति जीडीपी सबसे अधिक है लगभग 53,000 डॉलर (2016) जबकि कंबोडिया की प्रति व्यक्ति जीडीपी 1,300 डॉलर से भी कम है। कम विकसित देशों को क्षेत्रीय योजनाओं, प्रतिबद्धताओं को लागू करने के लिये संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ता है।
- सदस्यों राष्ट्रों की राजनीतिक प्रणाली अलग-अलग यथा लोकतंत्र, कम्युनिस्ट और सत्तावादी है।
- दक्षिण चीन सागर संगठन में दरार पैदा करने वाला मुख्य मुद्दा है।
- आसियान को मानव अधिकारों के प्रमुख मुद्दों पर विभाजित किया गया है। उदाहरण के लिये रोहिंग्याओं के खिलाफ म्यांमार में दरार।
- चीन के संबंध में एक एकीकृत दृष्टिकोण पर बातचीत करने में असमर्थता, विशेष रूप से दक्षिण चीन सागर में इसके व्यापक समुद्री दावों के जवाब में।
- आम सहमति पर अत्यधिक बल मुख्य दोष है, कठिन समस्याओं का सामना करने के बजाय टाल दिया जाता है।
- सहमति को लागू करने के लिये कोई केंद्रीय तंत्र नहीं है।
- अक्षम विवाद-निपटान तंत्र, चाहे आर्थिक हो या राजनीतिक।
भारत और आसियान
- आसियान के साथ भारत का संबंध उसकी विदेश नीति और एक्ट ईस्ट पॉलिसी की नींव का एक प्रमुख स्तंभ है।
- भारत के पास जकार्ता में आसियान और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (ईएएस) के लिये एक अलग-अलग मिशन हैं।
- भारत और आसियान में पहले से ही 25 साल की डायलॉग पार्टनरशिप, 15 साल की समिट लेवल इंटरेक्शन और 5 साल की स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप है।
आर्थिक सहयोग:
- आसियान भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
- आसियान के साथ भारत का अनुमानित व्यापार भारत के कुल व्यापार का लगभग 10.6% है।
- भारत के कुल निर्यात का आसियान से निर्यात लगभग 11.28% है।
- भारत और आसियान देशों के निजी क्षेत्र के प्रमुख उद्यमियों को एक मंच पर लाने के लिये वर्ष 2003 में ASEAN India-Business Council (AIBC) की स्थापना की गई थी।
सामाजिक-सांस्कृतिक सहयोग: आसियान के साथ पीपल-टू-पीपल इंटरैक्शन को बढ़ावा देने के लिये कार्यक्रम जैसे- भारत में आसियान छात्रों को आमंत्रित करना, आसियान राजनयिकों के लिये विशेष प्रशिक्षण पाठ्यक्रम, सांसदों का आदान-प्रदान आदि।
निधियाँ: आसियान देशों को निम्नलिखित निधियों से वित्तीय सहायता प्रदान की गई है:
- आसियान-भारत सहयोग कोष
- आसियान-भारत एस एंड टी (Science and Technology) डेवलपमेंट कोष
- आसियान-भारत ग्रीन फंड
दिल्ली घोषणा: आसियान-भारत रणनीतिक साझेदारी के तहत सहयोग के प्रमुख क्षेत्र के रूप में समुद्री डोमेन में सहयोग करना।
दिल्ली संवाद: आसियान और भारत के बीच राजनीतिक सुरक्षा और आर्थिक मुद्दों पर चर्चा के लिये वार्षिक ट्रैक 1.5 कार्यक्रम।
आसियान-भारत केंद्र (AIC): भारत और आसियान में संगठनों और थिंक-टैंकों के साथ नीति अनुसंधान, रक्षा तथा नेटवर्किंग गतिविधियों को शुरू करने के लिये।
राजनीतिक सुरक्षा सहयोग: भारत आसियान को अपने सभी क्षेत्रों में सुरक्षा और विकास के इंडो-पैसिफिक विजन के केंद्र में रखता है।
भारत के लिये आसियान का महत्त्व
- भारत को आर्थिक और सुरक्षा कारणों से आसियान देशों के साथ घनिष्ठ राजनयिक संबंध की आवश्यकता है।
- आसियान देशों के साथ संपर्क भारत को इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति में सुधार करने में मदद कर सकता है।
- कनेक्टिविटी परियोजनाएँ पूर्वोत्तर भारत को केंद्र में रखती हैं, जिससे पूर्वोत्तर राज्यों की आर्थिक वृद्धि सुनिश्चित होती है।
- आसियान देशों के साथ बेहतर व्यापार संबंधों का मतलब होगा कि चीन की मौजूदगी का प्रतिकार तथा क्षेत्र में और भारत के लिए आर्थिक वृद्धि और विकास।
- आसियान भारत-प्रशांत में नियम-आधारित सुरक्षा वास्तुकला में एक केंद्रीकृत स्थिति रखता है, जो भारत के लिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इसका अधिकांश व्यापार समुद्री सुरक्षा पर निर्भर है।
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