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भारत में वामपंथी उग्रवाद से संबंधित क्या मुद्दे है? - श्रीनारद मीडिया

भारत में वामपंथी उग्रवाद से संबंधित क्या मुद्दे है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

एक घोषणा में गृह मंत्रालय ने खुलासा किया कि वर्ष 2022 से भारत वामपंथी उग्रवादियों से संबंधित घटनाओं का अलग डेटा बना रहा है।

  • वामपंथी उग्रवाद कई दशकों से भारत में एक गंभीर सुरक्षा चुनौती रहा है, विशेषकर नागरिक अशांति और सशस्त्र संघर्षों से प्रभावित क्षेत्रों में।
  • परिचय:
    • वामपंथी उग्रवाद, जिसे वामपंथी आतंकवाद या कट्टरपंथी वामपंथी आंदोलनों के रूप में भी जाना जाता है, उन राजनीतिक विचारधाराओं और समूहों को संदर्भित करता है जो क्रांतिकारी तरीकों के माध्यम से महत्त्वपूर्ण सामाजिक एवं राजनीतिक परिवर्तन की वकालत करते हैं।
    • वामपंथी उग्रवादी समूह अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिये सरकारी संस्थानों, कानून प्रवर्तन एजेंसियों या निजी संपत्ति को निशाना बनाते हैं।
    • भारत में वामपंथी उग्रवाद आंदोलन की शुरुआत वर्ष 1967 में पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी में हुए विद्रोह से हुई थी।
  • भारत में स्थिति: 
    • केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है कि वामपंथी उग्रवाद से संबंधित हिंसा में वर्ष 2010 की तुलना में वर्ष 2022 में 76% की कमी आई है।
      • इसके अतिरिक्त हिंसा के भौगोलिक प्रसार में भी कमी आई है क्योंकि वर्ष 2010 में 96 ज़िलों की तुलना में वर्ष 2021 में केवल 46 ज़िलों में वामपंथी उग्रवाद से संबंधित हिंसा की सूचना मिली है।

  • वामपंथी उग्रवाद के लिये ज़िम्मेदार कारक: वर्ष 2006 की डी. बंदोपाध्याय समिति ने नक्सलवाद के प्रसार के प्राथमिक कारणों के रूप में आर्थिक, सामाजिक-राजनीतिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में आदिवासियों के विरुद्ध शासन संबंधी अंतराल एवं व्यापक भेदभाव की पहचान की।
    • सामाजिक-आर्थिक असमानताएँ: भारत में अत्यधिक सामाजिक-आर्थिक असमानताएँ हैं, जहाँ आबादी का बड़ा हिस्सा गरीबी में रहता है तथा बेरोज़गारी एवं बुनियादी सुविधाओं तक पहुँच की कमी जैसे मुद्दों का सामना करता है।
      • वामपंथी चरमपंथी समूहों ने ऐतिहासिक रूप से इन शिकायतों का लाभ उठाया है और उनका उपयोग हाशिये पर रहने वाले समुदायों का समर्थन हासिल करने के लिये किया है।
    • भूमि अलगाव और विस्थापन: भूमि अधिकार और भूमि हस्तांतरण का मुद्दा भारत में कई ग्रामीण समुदायों के लिये एक प्रमुख चिंता का विषय रहा है।
      • विकास परियोजनाओं और औद्योगिक उद्देश्यों के लिये भूमि अधिग्रहण के कारण कभी-कभी पर्याप्त मुआवज़े या पुनर्वास के बिना स्थानीय समुदायों का विस्थापन होता है।
        • यह नक्सली आंदोलन का केंद्र बिंदु रहा है.
    • आदिवासी अधिकार: भारत बड़ी संख्या में आदिवासियों निवास करते हैं, जो अपनी विशिष्ट संस्कृतियों और परंपराओं के साथ स्वदेशी समुदाय हैं।
      • वामपंथी उग्रवादी समूह अक्सर आदिवासी अधिकारों की वकालत करते हैं और उनके संसाधनों के कथित शोषण एवं उनकी पैतृक भूमि से विस्थापन का विरोध करते हैं।
  • सरकारी पहल:
    • ‘वामपंथी उग्रवाद को संबोधित करने के लिये राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना 2015: इस योजना में एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाया गया जिसमें शासन, सुरक्षा और विकास के विभिन्न पहलू शामिल थे।
      • इसका उद्देश्य वामपंथी उग्रवाद से निपटने और इसके प्रसार को रोकने के लिये सुरक्षा बलों की क्षमताओं में वृद्धि करना है।
      • यह स्थानीय समुदायों के अधिकारों और विशेषाधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करता है ताकि चरमपंथी विचारधारा को बढ़ावा देने वाले समर्थनों को कम किया जा सके।
      • यह उग्रवाद के मूल कारणों को दूर करने और स्थानीय समुदायों के जीवन में सुधार लाने के लिये प्रभावित क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक विकास पर भी ध्यान केंद्रित करता है।
    • किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015: वर्ष 2015 में अधिनियमित किशोर न्याय अधिनियम, वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित बच्चों, विशेष रूप से संकटग्रस्त परिस्थितियों में रहने वाले बच्चों की सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिनमें शामिल हैं:
      • कानून के साथ संघर्ष में बच्चे (CCL): वामपंथी उग्रवाद से संबंधित अवैध गतिविधियों में शामिल बच्चों को इस अधिनियम के माध्यम से देखभाल और सुरक्षा प्रदान की जाती है।
      • देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता वाले बच्चे (CNCP): जो बच्चे सशस्त्र संघर्षों, नागरिक अशांति या प्राकृतिक आपदाओं से पीड़ित या प्रभावित हैं, उन्हें इस अधिनियम के तहत देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता के रूप में पहचाना जाता है।
      • आपराधिक अभियोजन: अधिनियम यह स्पष्ट करता है कि किसी भी गैर-राज्य, स्वयंभू आतंकवादी समूह या संगठन द्वारा किसी भी उद्देश्य के लिये बच्चों की भर्ती या उपयोग करने पर आपराधिक मुकदमा चलाया जाएगा।
    • समाधान (SAMADHAN): यह वामपंथी उग्रवाद की समस्या का वन-स्टॉप समाधान है। इसमें विभिन्न स्तरों पर बनाई गई अल्पकालिक नीतियों से लेकर दीर्घकालिक नीति तक सरकार की संपूर्ण रणनीति शामिल है। समाधान का अर्थ है-
      • S- स्मार्ट लीडरशिप,
      • A- आक्रामक रणनीति,
      • M- प्रेरणा और प्रशिक्षण,
      • A- कार्रवाई योग्य बुद्धिमत्ता,
      • D- डैशबोर्ड आधारित KPI (मुख्य प्रदर्शन संकेतक) और KRA (मुख्य परिणाम क्षेत्र),
      • H- प्रौद्योगिकी का उपयोग,
      • A- प्रत्येक थिएटर के लिये कार्य योजना,
      • N- वित्तपोषण तक पहुँच नहीं।
  • सामुदायिक जुड़ाव और संवाद: सरकार, सुरक्षा बलों और प्रभावित समुदायों के बीच संचार के खुले चैनलों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
    • साथ ही, सामुदायिक नेताओं, गैर-सरकारी संगठनों और धार्मिक संस्थानों को संघर्षों में मध्यस्थता करने तथा स्थानीय मुद्दों को संबोधित करने में भूमिका निभाने के लिये प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
  • युवा उद्यमिता और स्टार्टअप इन्क्यूबेशनयुवाओं को अपनी ऊर्जा और रचनात्मकता को व्यावसायिक उद्यमों में लगाने के लिये प्रोत्साहित करने हेतु प्रभावित क्षेत्रों में उद्यमिता तथा स्टार्ट-अप इन्क्यूबेशन केंद्र स्थापित करना।
    • यह आर्थिक विकास और आत्मनिर्भरता के लिये एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान कर सकता है।
  • पारिस्थितिक और सतत् विकास योजना: ऐसी परियोजनाएँ शुरू करना जो उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में सतत् विकास और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करें।
    • पर्यावरण संरक्षण प्रयासों में स्थानीय समुदायों को शामिल करके स्वामित्व और ज़िम्मेदारी की भावना को बढ़ावा दिया जा सकता है, जिससे उग्रवाद कम हो सकता है।
  • स्थानीय शांति दूतों को सशक्त बनाना: समुदायों के भीतर प्रभावशाली व्यक्तियों की पहचान करना और उन्हें सशक्त बनाना जो शांति को बढ़ावा देने और चरमपंथी विचारों का मुकाबला करने के लिये प्रतिबद्ध हैं।
    • उन्हें सद्भाव और समझ के संदेश फैलाने के लिये संसाधन और सहायता प्रदान करना।
  • सामाजिक प्रभाव बॉण्ड: उग्रवाद का मुकाबला करने पर केंद्रित सामाजिक पहलों में निजी निवेश को आकर्षित करने के लिये सामाजिक प्रभाव बॉण्ड की शुरुआत करना।
    • निवेशकों को इन योजनाओं की सफलता के आधार पर रिटर्न प्राप्त होगा, जिससे प्रभावशाली कार्यक्रमों के लिये प्रोत्साहन मिलेगा।
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