भारत के एलीफैंट कॉरिडोरों से प्रमुख निष्कर्ष क्या है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

केंद्र सरकार द्वारा प्रकाशित एलीफैंट कॉरिडोर रिपोर्ट, 2023 में कई विसंगतियों की पहचान की गई है।

रिपोर्ट में देखी गई प्रमुख विसंगतियाँ:

  • कॉरिडोर/गलियारे की परिभाषा में विसंगतियाँ: आलोचकों का तर्क है कि कॉरिडोर का प्रारंभिक महत्त्व कम कर दिया गया है, क्योंकि ऐसे किसी भी स्थान को जहाँ हाथी आवागमन करते हैं,कॉरिडोर के रूप में संदर्भित करना सामान्य प्रचलन हो गया है।
    • इस रिपोर्ट में परिदृश्यों और आवासों को गलियारों के रूप में वर्गीकृत किया गया है तथा इसके बाद एलीफैंट कॉरिडोरों की संख्या में वृद्धि हुई है।
  • उत्तर और पूर्वोत्तर कॉरिडोर में विसंगतियाँ: आलोचकों का तर्क है कि पश्चिम बंगाल में कुछ क्षेत्र छोटे वन क्षेत्र होने के कारण हाथियों के लिये उपयुक्त हैं, लेकिन दक्षिण बंगाल में हाथियों के प्रवास वाले अधिकांश क्षेत्रों में कृषि का प्रभुत्व है।
    • रिपोर्ट में इन क्षेत्रों को अन्य हाथी परिदृश्यों से जोड़ने का प्रस्ताव है, जो कॉरिडोर के मूल लक्ष्य से भिन्न है।
    • विस्तृत कॉरिडोर मानव-हाथी संघर्ष को बढ़ा सकते हैं।
  • हाथियों के लिये खतरा: आलोचकों का तर्क है कि हाथियों के क्षेत्र के विस्तार के कारण विद्युत के झटकों और कुओं में गिरने से हाथियों की मौत की घटनाएँ भी बढ़ी हैं।

एलीफैंट कॉरिडोर पर प्रोजेक्ट एलीफैंट निर्देश:

  • वर्ष 2005-06 में प्रोजेक्ट एलीफैंट ने एलीफैंट कॉरिडोर के संबंध में राज्यों को निर्देश जारी किये। इसमें कहा गया है कि वन क्षेत्रों में कॉरिडोर को वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में उल्लिखित नियमों का पालन करना चाहिये।
    • इस बीच, राजस्व और निजी भूमि वाले क्षेत्रों को पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्रों के रूप में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 का अनुपालन करने का निर्देश दिया गया, संभावित रूप से लाल श्रेणी के उद्योगों पर प्रतिबंध लगाया गया।

हाथी गलियारा (एलीफैंट कॉरिडोर):

  • परिचय: 
    • एलीफैंट कॉरिडोरों को भूमि के एक खंड के रूप में वर्णित किया जा सकता है जो हाथियों को दो अथवा दो से अधिक अनुकूल आवास स्थानों के बीच आवागमन में सुलभता प्रदान करता है।
  • भारत के एलीफैंट कॉरिडोर से प्रमुख निष्कर्ष, 2023 रिपोर्ट:
    • इस रिपोर्ट में 62 नए गलियारों की वृद्धि पर प्रकाश डाला गया है, जो वर्ष 2010 के बाद से बने गलियारों में 40% की वृद्धि दर्शाते हैं। वर्तमान में भारत में कुल 150 गलियारे मौजूद हैं।
    • पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक हाथी गलियारे हैं, जिनकी कुल संख्या 26 है, जो कुल गलियारों का 17% है।
      • पूर्वी-मध्य क्षेत्र 35% (52 गलियारे) का योगदान देता है तथा उत्तर-पूर्वी क्षेत्र 32% (48 गलियारे) के साथ दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है।
      • दक्षिणी भारत में 32 हाथी गलियारे पंजीकृत हैं, जो कुल गलियारों का 21% है, जबकि उत्तरी भारत में सबसे कम 18 गलियारे हैं, जो कि कुल गलियारों का 12% हैं।
    • महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र और कर्नाटक की सीमा से लगे दक्षिणी महाराष्ट्र में हाथियों की आवाजाही बढ़ गई है।

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