भ्रष्टाचार बोध सूचकांक 2023 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा भ्रष्टाचार बोध सूचकांक (Corruption Perceptions Index- CPI), 2023 जारी किया गया है जिसके अनुसार अधिकांश देशों ने सार्वजनिक क्षेत्र के भ्रष्टाचार का समाधान करने में बहुत कम अथवा कोई प्रगति नहीं की है।

  • CPI विश्व भर के 180 देशों तथा क्षेत्रों को उनके सार्वजनिक क्षेत्र के भ्रष्टाचार के अनुमानित स्तर के आधार पर 0 (अत्यधिक भ्रष्ट) से 100 (भ्रष्टाचार मुक्त) के पैमाने पर स्कोर करता है।
    • विश्व भर में गंभीर भ्रष्टाचार:
      • दो-तिहाई से अधिक देशों का स्कोर 50 से कम है जो दृढ़ता से इंगित करता है कि उनमें भ्रष्टाचार की गंभीर समस्याएँ मौजूद हैं।
      • वैश्विक औसत स्कोर केवल 43 पर रहा तथा अधिकांश देशों ने पिछले दशक की तुलना में कोई प्रगति नहीं की अथवा गिरावट आई
    • CPI 2023 की वैश्विक विशेषताएँ:
      • शीर्ष तीन देश: डेनमार्क 90 के स्कोर के साथ निरंतर छठे वर्ष सूचकांक में शीर्ष पर है, फिनलैंड और न्यूज़ीलैंड क्रमशः 87 तथा 85 के स्कोर के साथ दूसरे स्थान पर हैं।
        • सुव्यवस्थित रूप से संचालित न्यायिक प्रणालियों के कारण, ये देश विधिसम्मत शासन सूचकांक (Rule of Law Index) में भी शीर्ष देशों में शामिल हैं।
      • निम्न स्कोर प्राप्तकर्ता: सोमालिया, वेनेज़ुएला, सीरिया, दक्षिण सूडान और यमन अपने स्कोर क्रमशः 11, 13, 13, 13 के साथ सूचकांक में निचले स्थान पर हैं।
        • ये सभी देश लंबे समय से संकटों, अधिकतर सशस्त्र संघर्षों से प्रभावित हैं।
      • भारत की रैंक और स्कोर:
        • CPI 2023 में भारत 180 देशों में से 93वें स्थान पर था।
        • वर्ष 2023 में भारत का कुल स्कोर 39 था जो वर्ष 2022 में प्राप्त स्कोर 40 से कम है।
          • वर्ष 2022 में भारत 85वें स्थान पर था।

            ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल

            • ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन है जिसकी स्थापना वर्ष 1993 में बर्लिन (जर्मनी) में की गई थी।
            • इसका प्राथमिक उद्देश्य नागरिक सामाजिक भ्रष्टाचार-रोधी उपायों के माध्यम से वैश्विक भ्रष्टाचार का समाधान करना तथा भ्रष्टाचार से उत्पन्न होने वाली आपराधिक गतिविधियों की रोकथाम हेतु कार्रवाई करना है।
            • इसके सबसे उल्लेखनीय प्रकाशनों में ग्लोबल करप्शन बैरोमीटर और करप्शन परसेप्शन इंडेक्स शामिल हैं।

            भ्रष्टाचार बोध सूचकांक (CPI) 2023 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

    • न्याय तक पहुँच तथा भ्रष्टाचार:
      • रूल ऑफ लॉ इंडेक्स के अनुसार विश्व भर में न्यायिक प्रणालियों के संचालन में गिरावट देखी जा रही है।
        • रूल ऑफ लॉ इंडेक्स, वर्ल्ड जस्टिस प्रोजेक्ट (WJP) द्वारा प्रकाशित किया जाता है जो विश्व स्तर पर विधि के शासन को सुदृढ़ करने के लिये कार्य करने वाला एक स्वतंत्र संगठन है।
        • यह सूचकांक विधिसम्मत शासन के कई आयामों पर डेटा प्रदान करता है जिन्हें आगे 44 संकेतकों में विभाजित किया गया है।
      • रूल ऑफ लॉ इंडेक्स में सबसे कम स्कोर वाले देश CPI में भी बहुत कम स्कोर कर रहे हैं जो न्याय तक पहुँच तथा भ्रष्टाचार के बीच स्पष्ट संबंध को उजागर करता है।
    • भ्रष्टाचार में योगदान देने वाले कारक:
      • सत्तावादी और लोकतांत्रिक दोनों नेता न्याय को कमज़ोर कर रहे हैं। यह भ्रष्टाचार के लिये दंडमुक्ति को बढ़ा रहा है तथा यहाँ तक ​​कि अपराधियों हेतु परिणामों को समाप्त करके इसे प्रोत्साहित भी कर रहा है।
      • रिश्वतखोरी और सत्ता के दुरुपयोग जैसे भ्रष्टाचार भी दुनिया भर में कई अदालतों तथा अन्य न्यायिक संस्थानों में घुसपैठ कर रहे हैं।
      • जहाँ भ्रष्टाचार आम बात है, वहाँ कमज़ोर लोगों की न्याय तक पहुँच सीमित है, जबकि अमीर और शक्तिशाली लोग आम भलाई की कीमत पर पूरी न्याय प्रणाली पर कब्ज़ा कर लेते हैं।
    • मुख्य सिफारिशें:
      • भ्रष्टाचार तब तक बढ़ता रहेगा जब तक न्याय प्रणालियाँ गलत कामों को दंडित नहीं कर सकतीं और सरकारों पर नियंत्रण नहीं रख सकतीं। जब भ्रष्टाचार कायम रहता है और न्याय पैसे या राजनीति से प्रभावित होता है, तो इससे आम जनता को नुकसान होता है।
      • अब समय आ गया है कि बाधाओं को तोड़ा जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि लोगों को प्रभावी ढंग से न्याय मिल सके। हर कोई निष्पक्ष तथा समावेशी कानूनी प्रणाली का हकदार है जहाँ पीड़ितों की आवाज़ हर स्तर पर सुनी जाती है।

    CPI 2023 में भारतीय पड़ोसियों की स्थिति क्या है?

    • पाकिस्तान और श्रीलंका:
      • 180 देशों में पाकिस्तान 133वें और श्रीलंका 115वें स्थान पर है।
      • दोनों देश अपने-अपने कर्ज़ के बोझ और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहे थे।
      • हालाँकि दोनों देशों में मज़बूत न्यायिक निगरानी है, जो सरकार को नियंत्रण में रखने में मदद करती है।
        • पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय ने अपने संविधान के अनुच्छेद 19A के तहत पहले से प्रतिबंधित संस्थानों तक इस अधिकार का विस्तार करके नागरिकों के सूचना के अधिकार को मज़बूत किया।
    • बांग्लादेश:
      • बांग्लादेश (149वें स्थान पर) सबसे कम विकसित देश (LDC) की स्थिति से बाहर आया है, आर्थिक विकास से गरीबी में लगातार कमी और रहने की स्थिति में सुधार में मदद मिल रही है।
      • प्रेस के खिलाफ चल रही कार्रवाई के बीच सार्वजनिक क्षेत्र में सूचना का प्रवाह बाधित हो गया है।
    • चीन:
      • चीन (76वें स्थान पर) ने पिछले दशक में भ्रष्टाचार के लिये 3.7 मिलियन से अधिक सार्वजनिक अधिकारियों को दंडित करके अपनी आक्रामक भ्रष्टाचार विरोधी कार्रवाई की है। चीन में सार्वजनिक अधिकारी अक्सर अपनी आय बढ़ाने हेतु भ्रष्टाचार का उपयोग करते हैं।
      • हालाँकि सत्ता पर संस्थागत जाँच के बजाय सज़ा पर देश की भारी निर्भरता ऐसे भ्रष्टाचार विरोधी उपायों की दीर्घकालिक प्रभावशीलता पर संदेह पैदा करती है।

    भ्रष्टाचार क्या है?

    • परिचय:
      • कपटपूर्ण भ्रष्टाचार: यह तब होता है जब व्यक्ति या संस्थाएँ बेईमान या धोखाधड़ी वाले उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये मिलकर साजिश रचते हैं। इसमें सिस्टम या प्रक्रियाओं की अखंडता को कमज़ोर करने हेतु अक्सर पारस्परिक लाभ के लिये पार्टियों के बीच एक सहकारी प्रयास शामिल होता है।
      • अनिवार्य भ्रष्टाचार: भ्रष्टाचार के इस रूप में व्यक्तियों को बेईमान गतिविधियों में शामिल होने के लिये मजबूर या बाध्य किया जाअनिवार्यता है।
        • जो लोग अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हैं वे व्यक्ति हो सकते हैं या वे व्यवसायों या सरकारों जैसे संगठनों से संबंधित हो सकते हैं।
    • लोक सेवा में भ्रष्टाचार की व्यापकता के कारण:
      • संरक्षण: सिविल सेवा पदों का उपयोग राजनीतिक समर्थन के लिये पुरस्कार के रूप में या रिश्वत के बदले में किये जाने से व्यापक भ्रष्टाचार हो सकता है।
        • जब व्यक्तियों को योग्यता के बजाय वफादारी के आधार पर नियुक्त किया जाता है, तो यह सार्वजनिक संस्थानों की अखंडता को कमज़ोर करता है।
      •  वेतन असमानताएँ: निजी क्षेत्र की तुलना में लोक सेवकों के लिये कम वेतन वित्तीय दबाव उत्पन्न कर सकता है। कुछ कर्मचारी आय की असमानता को दूर करने और अपनी वित्तीय ज़रूरतों को पूरा करने के साधन के रूप में रिश्वत लेने का सहारा ले सकते हैं।
      • राजनीतिक विचारधारा का प्रभाव: राजनीतिक विचारधारा का प्रभाव भ्रष्टाचार-अनुकूल माहौल को बढ़ावा दे सकता है, जहाँ योग्यता के बावजूद भ्रष्टाचार समर्थकों को पुरस्कृत करना निष्पक्षता और जवाबदेही को कमज़ोर करता है।
        • यह व्यक्तियों को पद प्राप्त करने या इन पदों पर बने रहने के लिये भ्रष्टाचार का सहारा लेने हेतु मजबूर कर सकता है, जिससे एक अनैतिक चक्र कायम हो सकता है।

    भ्रष्टाचार के निहितार्थ क्या हैं?

    • लोगों और सार्वजनिक जीवन पर:
      • सेवाओं में गुणवत्ता का अभाव: भ्रष्टाचार युक्त तंत्र में, सेवा की गुणवत्ता कम या बिल्कुल न के बराबर होती है।
        • गुणवत्ता की मांग करने पर किसी व्यक्ति को इसके लिये भुगतान करना पड़ जाता है। यह नगर पालिका, बिजली, राहत राशि वितरण आदि कई क्षेत्रों में देखा व्याप्त है।
        • उचित न्याय का अभाव: न्यायपालिका तंत्र में भ्रष्टाचार के कारण अनुचित न्याय मिलता है और पीड़ितों को परेशानी हो सकती है।
          • साक्ष्यों की कमी या यहाँ तक कि साक्ष्य मिटा दिये जाने के कारण भी किसी अपराध को संदेहात्मक लाभ के रूप में प्रामाणित किया जा सकता है।
          • पुलिस व्यवस्था में भ्रष्टाचार के कारण जाँच प्रक्रिया दशकों से चल रही है।
        • अवसर की हानि और समय पर सेवा से इनकार: भ्रष्टाचार न केवल वित्तीय और स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियाँ उत्पन्न करता है, बल्कि व्यक्तियों के लिये अवसरों की हानि का कारण भी है।
          • समय पर सेवाओं, नौकरी के अवसरों और संसाधनों तक उचित पहुँच से इनकार असमानता को कायम रखता है तथा सामाजिक प्रगति में बाधा डालता है।
    • समाज पर:
      • सरकार में अविश्वास: मतदाता विश्वास के आधार पर प्रतिनिधियों को चुनते हैं, लेकिन यदि नेता भ्रष्टाचार में लिप्त हो जाते हैं, तो लोगों में विश्वास समाप्त हो जाता है और अगली बार मतदान करने से परहेज़ (मतदाता उदासीनता) कर सकते हैं।
      • मुखबिरी गतिविधियों को हतोत्साहित करना: भ्रष्टाचार ग्रस्त माहौल में, व्यक्तियों को प्रायः मुखबिरी गतिविधियों में शामिल होने से हतोत्साहित किया जाता है।
        • प्रतिशोध का डर, सामाजिक कलंक या प्रभावी सुरक्षा तंत्र की कमी भ्रष्ट प्रथाओं को उजागर करने में बाधा उत्पन्न करती है।
      • भ्रष्टाचार का नियमित (आम बात) हो जाना: जिन समाजों में भ्रष्ट आचरण सामान्य हो जाता है, वहाँ व्यक्ति धीरे-धीरे ऐसे व्यवहार को अपने दैनिक जीवन के नियमित हिस्से के रूप में स्वीकार कर लेते हैं। यह नैतिक संरचना को कमज़ोर करता है, जिससे सार्थक सुधारों को प्रेरित करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
    • अर्थव्यवस्था पर:
      • व्यवसाय करने में आसानी का अभाव: भ्रष्टाचार में प्रायः रिश्वत और दलाली शामिल होती है, जिससे व्यवसाय करने की लागत बढ़ जाती है।
      • विदेशी निवेश में कमी: सरकारी निकायों में भ्रष्टाचार के कारण विकासशील देशों में कई विदेशी निवेश वापस हो चुके हैं।
      • विकास का अभाव: किसी विशेष क्षेत्र में शुरू करने के इच्छुक कई नए उद्योग उस क्षेत्र के लिये अनुपयुक्त होने पर अपनी योजनाएँ बदल देते हैं।
        • यदि सड़कें, जल और ऊर्जा की समुचित व्यवस्था नहीं है, तो कंपनियाँ वहाँ अपना व्यवसाय शुरू नहीं करना चाहती हैं, जिससे उस क्षेत्र की आर्थिक प्रगति में बाधा आती है।
      • लालफीताशाही: लालफीताशाही का तात्पर्य चरम नौकरशाही प्रक्रियाओं, जटिल नियमों और प्रशासनिक विलंब से है, जो भ्रष्ट आचरण का माहौल बनाता है।
      • प्रतिस्पर्धा का अभाव: भ्रष्टाचार अक्सर कुछ व्यवसायों या व्यक्तियों के पक्ष में बाज़ारों में हेरफेर की ओर ले जाता है। इसके परिणामस्वरूप एकाधिकार या अल्पाधिकार हो सकता है, प्रतिस्पर्धा सीमित हो सकती है और नवाचार बाधित हो सकता है।
      • काले धन और काला बाज़ारी की व्यापकता: काला धन, जो कि सरकार को घोषित नहीं की गई आय है, के परिणामस्वरूप कर राजस्व कम हो जाता है।
        • यह आवश्यक सार्वजनिक सेवाओं और बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को वित्तपोषित करने की सरकार की क्षमता को सीमित करता है।
        • एक काला बाज़ारी का अस्तित्व औपचारिक अर्थव्यवस्था को कमज़ोर कर सकता है, क्योंकि कानूनी व्यवसायों को प्रतिबिंब रूप में काम करने वालों से अनुचित प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है।

    भ्रष्टाचार से निपटने के लिये भारतीय पहल क्या हैं? दंड संहिता, 1860

    • भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988
    • धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act), 2002 
    • विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010
    • कंपनी अधिनियम (The Companies Act), 2013 
    • लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013
    • केंद्रीय सतर्कता आयोग
    • केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (CPGRAMS)

    निष्कर्ष

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