गुटनिरपेक्ष आंदोलन के 19वें शिखर सम्मेलन की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

कंपाला में गुटनिरपेक्ष आंदोलन (Non Aligned Movement-NAM) के 19वें शिखर सम्मेलन की मेज़बानी करने वाले युगांडा के राष्ट्रपति योवेरी मुसेवेनी ने 1970 के दशक में ईदी अमीन द्वारा भारतीयों के निष्कासन पर खेद व्यक्त किया।

  • मैंने युगांडा में भारतीय प्रवासियों की उपलब्धियों की प्रशंसा की है और वैश्विक दक्षिण में भारत की भूमिका की सराहना की है।

गुटनिरपेक्ष आंदोलन के 19वें शिखर सम्मेलन की विशेषताएँ 

  • NAM का 19वाँ शिखर सम्मेलन “साझा वैश्विक समृद्धि के लिये सहयोग को गहरा करना” विषय पर कंपाला, युगांडा में आयोजित किया गया था।
    • अज़रबैजान के बाद युगांडा ने वर्ष 2027 तक के लिये इसकी अध्यक्षता ग्रहण की है।
  • शिखर सम्मेलन ने कंपाला घोषणा को अपनाया, जिसमें इज़रायली सैन्य आक्रामकता की निंदा की गई और घिरे गाज़ा पट्टी में मानवीय सहायता की अनुमति देने के लिये संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव को लागू करने का आह्वान किया गया।
  • भारत के विदेश मंत्री ने 19वें NAMशिखर सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्त्व किया, जिसमें गाजा संकट के स्थायी समाधान का मार्ग प्रशस्त किया गया। उन्होंने मानवीय संकट में तत्काल राहत की आवश्यकता पर बल दिया और पश्चिम एशियाई क्षेत्र में संघर्ष के प्रसार को रोकने का आग्रह किया।
  • NAM की स्थापना वर्ष 1961 में नव स्वतंत्र देशों के पाँच नेताओं– यूगोस्लाविया के जोसिप ब्रोज़ टीटो, मिस्र के गमाल अब्देल नासिर, भारत के जवाहरलाल नेहरू, इंडोनेशिया के सुकर्णो और घाना के क्वामे नक्रुमाह- की पहल के माध्यम से बेलग्रेड, यूगोस्लाविया में की गई थी।
    • इसका गठन शीत युद्ध के दौरान उन राज्यों के एक संगठन के रूप में किया गया था जो औपचारिक रूप से खुद को संयुक्त राज्य अमेरिका या सोवियत संघ के साथ जोड़ना नहीं चाहते थे बल्कि स्वतंत्र या तटस्थ रहना चाहते थे।
    • वर्तमान में आंदोलन में 120 सदस्य देश, 17 पर्यवेक्षक देश और 10 पर्यवेक्षक संगठन हैं।
    • NAM के पास कोई स्थायी सचिवालय या औपचारिक संस्थापक चार्टर, अधिनियम या संधि नहीं है।
    • यह शिखर सम्मेलन आमतौर पर हर तीन साल में होता है।

ईदी अमीन के शासनकाल में युगांडा में भारतीयों का क्या हुआ?

  • अगस्त 1972 में, युगांडा के तानाशाह ईदी अमीन ने युगांडा में रहने और काम करने वाले भारतीयों तथा अन्य एशियाई लोगों को निष्कासित करने का आदेश दिया।
    • लगभग 80,000 भारतीयों को अपनी संपत्ति और व्यवसाय छोड़कर, 90 दिनों के भीतर देश छोड़ने के लिये मजबूर होना पड़ा।
  • इस निष्कासन का युगांडा की अर्थव्यवस्था पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा, जिसे कुशल श्रमिकों, उद्यमियों और निवेशकों की हानि का सामना करना पड़ा।

भारत-युगांडा संबंध कैसे रहे हैं?

  • राजनीतिक संबंध:
    • भारत और युगांडा के बीच एक शताब्दी से अधिक पुराने ऐतिहासिक संबंध हैं। भारतीय पहली बार 20वीं सदी की शुरुआत में युगांडा आए थे।
      • भारत के स्वतंत्रता संग्राम ने युगांडा के शुरुआती कार्यकर्त्ताओं को उपनिवेशवाद से लड़ने के लिये प्रेरित किया और अंततः युगांडा ने वर्ष 1962 में स्वतंत्रता हासिल की।
    • भारत ने वर्ष 1965 में युगांडा में अपनी राजनयिक उपस्थिति स्थापित की। 1970 के दशक की शुरुआत में राष्ट्रपति अमीन के शासनकाल के दौरान, लगभग 60,000 भारतीयों/पीआईओ को निष्कासित कर दिया गया था। हालाँकि, वर्ष 1979 में अमीन को सत्ता से बेदखल करने के बाद, युगांडा की सफल सरकारों ने निष्कासित भारतीयों को वापस लौटने और अपनी संपत्तियों तथा नागरिकता को पुनः प्राप्त करने के लिये आमंत्रित किया।
  • भारतीय प्रवासी:
    • भारतीय समुदाय युगांडा के साथ सबसे मज़बूत और सबसे टिकाऊ आर्थिक तथा सांस्कृतिक संबंध प्रस्तुत करता है।
    • बैंक ऑफ युगांडा और युगांडा राजस्व प्राधिकरण के आँकड़ों के अनुसार, भारतीय नागरिक/पीआईओ, जो युगांडा की आबादी का 0.1% से कम हैंयुगांडा के प्रत्यक्ष करों में लगभग 70% का योगदान करते हैं।
    • ‘इंडिया डे’, एक वार्षिक समारोह है, जो भारतीय संस्कृति को प्रदर्शित करता है और हज़ारों आगंतुकों को आकर्षित करता है। यह आयोजन भारतीय और युगांडा समुदायों को एक साथ लाने का काम करता है।
  • रक्षा:
    • भारत युगांडा के रक्षा कर्मियों के लिये प्रशिक्षण पाठ्यक्रम आयोजित करता है।
  • वाणिज्यिक संबंध:
    • युगांडा अल्प विकसित देशों (Least Developed Countries- LDC) के लिये भारत की शुल्क मुक्त प्रशुल्क वरीयता (Duty Free Tariff Preference- DFTP) योजना का लाभार्थी रहा है।
      • युगांडा को भारतीय निर्यात की प्रमुख वस्तुओं में भेषजीय उत्पाद, वाहन, प्लास्टिक, कागज़ व पेपरबोर्ड, कार्बनिक रसायन इत्यादि शामिल हैं।
      • युगांडा से भारत में आयात की जाने वाली प्रमुख वस्तुओं में सब्ज़ियाँ तथा कुछ जड़ें व कंद, कॉफी, चाय, मेट एवं मसाले और कोको व कोको उत्पादन हेतु विधि शामिल हैं।
      • भारत तथा युगांडा के बीच दोहरा कराधान परिहार समझौता (Double Taxation Avoidance Agreement) वर्ष 2004 से प्रभावी है।
        • DTAA दो अथवा दो से अधिक देशों के बीच हस्ताक्षरित एक कर संधि है। इसका मुख्य उद्देश्य संबद्ध देशों में करदाता की एक ही आय पर दो बार कर लगाने से बचाना है।
          • DTAA उन मामलों में कार्यान्वित होता है जहाँ करदाता एक देश में निवास करता है तथा दूसरे देश में आय अर्जित करता है।
  • छात्रवृत्तियाँ और क्षमता निर्माण प्रशिक्षण कार्यक्रम:

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