Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
भारत में मज़दूरी असमानता के लिये ज़िम्मेदार प्रमुख कारक क्या हैं? - श्रीनारद मीडिया

भारत में मज़दूरी असमानता के लिये ज़िम्मेदार प्रमुख कारक क्या हैं?

भारत में मज़दूरी असमानता के लिये ज़िम्मेदार प्रमुख कारक क्या हैं?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारतीय रिज़र्व बैंक के हालिया आँकड़े भारत के विभिन्न राज्यों में ग्रामीण मज़दूरी में भारी अंतर को उजागर करते हैं, जो कृषि और गैर-कृषि श्रमिकों की कमाई में गंभीर असमानताओं को दर्शाता है।

  • विभिन्न राज्यों में ग्रामीण मज़दूरी में भारी अंतर समान वितरण और नीतियों की आवश्यकता को रेखांकित करता है, जो इस असमानता को पाट सकते हैं, इससे देश भर में कृषि तथा गैर-कृषि श्रमिकों के लिये अधिक संतुलित आजीविका सुनिश्चित होगी।

RBI के ग्रामीण मज़दूरी डेटा की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?

  • ग्रामीण आर्थिक व्यवधान: वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान ग्रामीण अर्थव्यवस्था को रोज़गार और आय के स्तर को प्रभावित करने वाली कोविड-19 महामारी के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
    • इसके बाद वित्तीय वर्ष 2022-23 में बढ़ी हुई मुद्रास्फीति दरों और ब्याज दरों ने ग्रामीण मांग को काफी हद तक बाधित कर दिया।
    • इन कारकों ने देश भर के ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार के अवसरों और आय स्थिरता पर भारी प्रभाव डाला
  • ग्रामीण मज़दूरी असमानताएँ: मध्य प्रदेश में कृषि और गैर-कृषि श्रमिकों के लिये ग्रामीण मज़दूरी क्रमशः राष्ट्रीय औसत 229.2 रुपए और 246.3 रुपए से काफी कम है, जिससे ग्रामीण परिवारों की आजीविका प्रभावित हो रही है।
    • केरल में विभिन्न क्षेत्रों की तुलना में सबसे अधिक मज़दूरी दी जाती है, जहाँ ग्रामीण कृषि श्रमिक प्रतिदिन 764.3 रुपए कमाते हैं।
    • ग्रामीण निर्माण श्रमिकों की मज़दूरी के मामले में भी केरल और मध्य प्रदेश क्रमशः 852.5 रुपए और 278.7 रुपए दैनिक के साथ इस स्पेक्ट्रम के विपरीत छोर पर खड़े हैं।
  • राष्ट्रीय औसत वेतन:
    • कृषि श्रमिक: 345.7 रुपए
    • गैर-कृषि श्रमिक: 348 रुपए
    • निर्माण श्रमिक: 393.3 रुपए
  • स्थिर ग्रामीण आय वृद्धि: वर्ष 2022-23 में वेतन वृद्धि के बावजूद ग्रामीण आय की संभावनाएँ कम रहीं, जिससे वास्तविक ग्रामीण वेतन वृद्धि रुक गई, इससे अर्थव्यवस्था के असंगठित क्षेत्र में अपूर्ण सुधार का संकेत मिलता है।
    • उदाहरण के लिये मनरेगा में रोज़गार की मांग कम हो गई, लेकिन वर्ष 2022-23 में महामारी-पूर्व के स्तर से अधिक रही, जो विशेष रूप से असंगठित क्षेत्र में अपूर्ण सुधार का संकेत है।

भारत में मज़दूरी असमानता के लिये ज़िम्मेदार प्रमुख कारक क्या हैं?

  • आर्थिक विकास असमानताएँ: आर्थिक विकास के विभिन्न स्तरों वाले क्षेत्र या राज्य पर्याप्त आय अंतर दर्शाते हैं।
    • उन्नत औद्योगिक क्षेत्र कृषि-केंद्रित क्षेत्रों की तुलना में अधिक मज़दूरी वाला गैर-कृषि रोज़गार प्रदान करते हैं।
  • नीतिगत हस्तक्षेप: न्यूनतम मज़दूरी, श्रम नियमों और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के संबंध में विविध राज्य-स्तरीय नीतियाँ भी मज़दूरी में असमानताएँ पैदा करती हैं। कड़े श्रम कानूनों वाले राज्य अधिक आय की पेशकश कर सकते हैं लेकिन रोज़गार के कम अवसरों का भी सामना करना पड़ सकता है।
  • बाज़ार और मांग-आपूर्ति की गतिशीलता: मज़दूरी दरें अक्सर विशिष्ट कौशल या श्रम के लिये बाज़ार की मांग के अनुरूप होती हैं। कुछ क्षेत्रों में उच्च मांग और सीमित कार्यबल आपूर्ति वाले क्षेत्र उच्च मज़दूरी की पेशकश करते हैं।
  • जीवन यापन की लागत और जीवन स्तर: जीवन यापन की लागत, आवास व्यय और अन्य आवश्यक सुविधाओं में भिन्नता सीधे मज़दूरी में असमानताओं को प्रभावित करती है। उच्च जीवन स्तर या आवश्यकताओं की उच्च लागत वाले क्षेत्र अक्सर क्षतिपूर्ति के लिये उच्च मज़दूरी की पेशकश करते हैं।
  • भौगोलिक कारक और कृषि चक्र: मौसम की स्थिति और कृषि चक्र ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य की उपलब्धता को प्रभावित करते हैं। मौसमी उतार-चढ़ाव तथा कृषि गतिविधियों पर निर्भरता से मौसमी मज़दूरी में बदलाव आ सकता है।
  • प्रवासन और श्रम गतिशीलता: कम मज़दूरी वाले क्षेत्रों से उच्च भुगतान वाले क्षेत्रों की ओर श्रम की गतिशीलता मज़दूरी में असंतुलन उत्पन्न करती है, जिससे स्रोत और गंतव्य दोनों क्षेत्रों की मज़दूरी संरचनाएँ प्रभावित होती हैं।

भारत सरकार की संबंधित पहलें क्या हैं?

  • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MGNREGA)
  • आत्मनिर्भर भारत रोज़गार योजना (ABRY)
  • नेशनल कॅरियर सर्विस (NCS) परियोजना
  • दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM)
    • ग्रामीण स्वरोज़गार प्रशिक्षण संस्थान (RSETI)
  • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY)

आगे की राह

  • कृषि विविधीकरण: पशुपालनमत्स्यपालन और कृषि-प्रसंस्करण जैसे संबद्ध क्षेत्रों को बढ़ावा देकर ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं में विविधीकरण को प्रोत्साहित करना।
    • इससे पूरक आय स्रोत उत्पन्न हो सकते हैं, कृषि पर निर्भरता कम हो सकती है और समग्र आय में सुधार हो सकता है।
  • प्रौद्योगिकी अपनाना और नवाचार: उत्पादकता बढ़ाने के लिये कृषि पद्धतियों में तकनीक को एकीकृत करना। आधुनिक कृषि तकनीकों, मशीनरी और बाज़ार संपर्क तक पहुँच से ग्रामीण आय बढ़ सकती है।
  • आधारभूत अवसंरचनात्मक विकास: बेहतर सड़कों, सिंचाई प्रणालियों तथा कनेक्टिविटी सहित ग्रामीण बुनियादी ढाँचे में निवेश करना।
    • बेहतर बुनियादी ढाँचा आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित कर सकता है, रोज़गार के अवसर सृजित कर सकता है एवं ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योगों को आकर्षित कर सकता है, जिससे मज़दूरी बढ़ने की संभावना है।
  • प्रवासी श्रमिकों का कल्याण: प्रवासी श्रमिकों के अधिकारों तथा आजीविका की सुरक्षा के लिये नीतियों को लागू करना। इस कार्यबल के लिये उचित वेतन, पर्याप्त रहने की स्थिति एवं सामाजिक सुरक्षा लाभ सुनिश्चित करना राज्यों में श्रम के संतुलित वितरण को प्रोत्साहित कर सकता है।
  • कृषि-उद्यमिता को बढ़ावा देना: इच्छुक कृषि उद्यमियों को प्रोत्साहन, परामर्श तथा बाज़ार पहुँच प्रदान करके ग्रामीण उद्यमिता को प्रोत्साहित एवं समर्थन करना।
    • इसका व्यापक प्रभाव हो सकता है, नौकरियाँ सृजित हो सकती हैं तथा ग्रामीण आय में वृद्धि हो सकती है।

 

Leave a Reply

error: Content is protected !!