भारत में सुशासन से संबंधित प्रमुख मुद्दे क्या है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
25 दिसंबर को भारत ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के अवसर पर सुशासन दिवस मनाया।
- वार्षिक तौर पर मनाया जाने वाला यह दिवस शासन व्यवस्था तथा सरकारी प्रक्रियाओं में उत्तरदायित्व के संबंध में नागरिक जागरूकता बढ़ाने का प्रयास करता है।
- इस अवसर पर एकीकृत सरकारी ऑनलाइन प्रशिक्षण (Integrated Government Online Training- iGOT) कर्मयोगी प्लेटफॉर्म पर तीन नई सुविधाओं, माई iGOT, ब्लेंडेड प्रोग्राम और क्यूरेटेड प्रोग्राम का शुभारंभ किया गया।
सुशासन क्या है?
- परिचय:
- शासन व्यवस्था उन प्रक्रियाओं, प्रणालियों तथा संरचनाओं को संदर्भित करती है जिनके माध्यम से संगठनों, समाजों अथवा समूहों को निर्देशित, नियंत्रित एवं प्रबंधित किया जाता है।
- सुशासन को मूल्यों के एक समूह के रूप में परिभाषित किया गया है जिसके माध्यम से एक सार्वजनिक संस्थान सार्वजनिक मामलों का संचालन करती है तथा सार्वजनिक संसाधनों का प्रबंधन इस तरह से करती है जो मानवाधिकारों, विधि सम्मत शासन एवं समाज की ज़रूरतों के अनुरूप हो।
- विश्व बैंक सुशासन को उन परंपराओं तथा संस्थानों के संदर्भ में परिभाषित करता है जिनके द्वारा किसी देश में प्राधिकार का प्रयोग किया जाता है। इनमें शामिल हैं:
- वह प्रक्रिया जिसके द्वारा सरकारों का चयन, निगरानी तथा प्रतिस्थापन किया जाता है।
- प्रभावी नीतियों को प्रभावी ढंग से तैयार कर उन्हें कार्यान्वित करने की सरकार की क्षमता।
- उन संस्थानों के प्रति नागरिकों तथा राज्य का सम्मान जो उनके बीच आर्थिक एवं सामाजिक संबंधों को नियंत्रित करते हैं।
- शासन व्यवस्था उन प्रक्रियाओं, प्रणालियों तथा संरचनाओं को संदर्भित करती है जिनके माध्यम से संगठनों, समाजों अथवा समूहों को निर्देशित, नियंत्रित एवं प्रबंधित किया जाता है।
सुशासन के मूल सिद्धांत:
विश्वव्यापी शासन संकेतक क्या है?
- विश्व बैंक की विश्वव्यापी शासन संकेतक परियोजना शासन के छह मूलभूत उपायों के आधार पर 200 से अधिक देशों का मूल्यांकन करती है।
- छह संकेतक हैं:
- अभिव्यक्ति और दायित्व
- राजनीतिक स्थिरता और हिंसा का अभाव
- सरकारी प्रभावशीलता
- नियामक गुणवत्ता
- विधि का शासन
- भ्रष्टाचार पर नियंत्रण
भारत में शासन से संबंधित प्रमुख मुद्दे क्या हैं?
- भ्रष्टाचार और नौकरशाही अक्षमता: भ्रष्टाचार बोध सूचकांक- 2022 में रिश्वतखोरी और सार्वजनिक धन के दुरुपयोग के बारे में चिंताओं को उजागर करते हुए भारत 180 देशों में 85वें स्थान पर था।
- असमानता और सामाजिक बहिष्कार: आर्थिक विकास के बावजूद, अमीर और गरीब के बीच बहुत बड़ा अंतर बना हुआ है। वर्ष 2022 की ऑक्सफैम रिपोर्ट से पता चला है कि भारत में सबसे अमीर 1% लोगों के पास देश की 40% से अधिक संपत्ति है, जबकि निम्न स्तरीय 50% के पास सिर्फ 3% संपत्ति है। इससे स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और अवसरों तक पहुँच में असमानताएँ बढ़ती हैं।
- नीतियों और योजनाओं का अप्रभावी कार्यान्वयन: कई अच्छे इरादे वाले सरकारी कार्यक्रम खराब निष्पादन के कारण प्रभावित होते हैं, जिससे उनका प्रभाव सीमित हो जाता है।
- वर्ष 2023 में CAG ने आयुष्मान भारत योजना में अनियमितताएँ पाईं, इसके अलावा CAG की एक अन्य रिपोर्ट में झारखंड में पुरुषों को विधवा पेंशन के हस्तांतरण पर प्रकाश डाला गया है।
- अपर्याप्त न्यायिक अवसंरचना: भारत के न्यायालय बड़े पैमाने पर लंबित मामलों के बोझ से दबे हुए हैं, जिससे विवाद समाधान और न्याय तक पहुँच में देरी हो रही है, खासकर हाशिये पर रहने वाले लोगों को।
- वर्ष 2023 में सर्वोच्च न्यायालय में 80,000 से अधिक मामले लंबित थे, जिससे कानूनी सहायता तक समय पर पहुँच को लेकर चिंताएँ बढ़ गईं।
- पर्यावरणीय गिरावट और जलवायु परिवर्तन: भारत को वायु प्रदूषण, जल की कमी और वनों की कटाई जैसी प्रमुख चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। वर्ष 2023 की विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट ने पर्यावरणीय नियमों के कमज़ोर प्रवर्तन को उजागर करते हुए कई भारतीय शहरों को विश्व स्तर पर सबसे प्रदूषित शहरों में स्थान दिया है।
- राजनीतिक ध्रुवीकरण और जवाबदेही का अभाव: बढ़ते पक्षपात और चुनावी लाभ पर ध्यान कभी-कभी भारत में दीर्घकालिक नीति नियोजन और लोक कल्याण पर भारी पड़ जाता है।
भारत में सुशासन से संबंधित प्रमुख पहल क्या हैं?
- पारदर्शिता और दायित्व:
- सूचना का अधिकार अधिनियम (2005): यह अधिनियम नागरिकों को सरकारी जानकारी तक पहुँचने, पारदर्शिता को बढ़ावा देने और भ्रष्टाचार को कम करने का अधिकार देता है।
- केंद्रीय लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (CPGRAMS): सरकारी विभागों के खिलाफ शिकायतें दर्ज करने और उन पर नज़र रखने के लिये ऑनलाइन मंच।
- ई-गवर्नेंस पहल: बढ़ी हुई दक्षता और कम मानवीय संपर्क के लिये सरकारी सेवाओं (जैसे, ऑनलाइन टैक्स फाइलिंग, संपत्ति पंजीकरण) का डिजिटलीकरण।
- सिटीज़न चार्टर: सरकारी एजेंसियों द्वारा सेवा मानकों और समय-सीमा के प्रति प्रतिबद्धता, जवाबदेही बढ़ाना।
- नागरिक भागीदारी और सशक्तीकरण:
- MyGov प्लेटफॉर्म: यह नागरिकों को नीतिगत चर्चाओं में भाग लेने, विचार प्रस्तुत करने और सरकार को प्रतिक्रिया प्रदान करने में सक्षम बनाता है।
- ग्राम सभाएँ: ग्रामीण क्षेत्रों में सहभागी निर्णय लेने के लिये ग्राम-स्तरीय बैठकें।
- शिक्षा का अधिकार अधिनियम (2009): समुदायों को सशक्त बनाते हुए 6-14 आयु वर्ग के बच्चों के लिये मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा सुनिश्चित करता है।
- विकेंद्रीकरण और स्थानीय शासन:
- 73वें और 74वें संवैधानिक संशोधन: स्थानीय लोकतंत्र को बढ़ावा देते हुए वित्तीय और प्रशासनिक शक्तियों के साथ पंचायतों (ग्राम परिषदों) तथा नगर पालिकाओं को सशक्त बनाना।
- आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम: भौगोलिक रूप से वंचित 112 ज़िलों में सामाजिक-आर्थिक संकेतकों में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
- स्मार्ट सिटी मिशन: बेहतर जीवन के लिये बुनियादी ढाँचे और प्रौद्योगिकी समाधान के साथ 100 शहरों का विकास।
- अन्य पहल:
- डिजिटल इंडिया कार्यक्रम: इसका उद्देश्य प्रौद्योगिकी तक व्यापक पहुँच के साथ भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज में बदलना है।
- प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण: बैंक खातों के माध्यम से सीधे लाभार्थियों को सब्सिडी और लाभ का हस्तांतरण, रिसाव और भ्रष्टाचार को कम करना।
- आधार कार्ड: नागरिकों के लिये विशिष्ट पहचान प्रणाली, वित्तीय समावेशन और सेवा वितरण को बढ़ावा देना।
- दिवाला और दिवालियापन संहिता (2016): यह खराब ऋण की समस्या को हल करने और व्यापार पुनरुद्धार की सुविधा प्रदान करने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करती है।
- यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI): भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) द्वारा विकसित त्वरित वास्तविक समय मोबाइल भुगतान प्रणाली।
- यह एकल मोबाइल एप का उपयोग करके निर्बाध अंतर-बैंक लेन-देन सक्षम बनाता है।
आगे की राह
- जनडेटा प्लेटफॉर्म: वैयक्तिकृत सेवाओं और नीतिगत निर्णयों में नागरिकों की प्रत्यक्ष भागीदारी के लिये ब्लॉकचेन तकनीक द्वारा समर्थित एक सुरक्षित डेटा प्लेटफॉर्म बनाए जाने की आवश्यकता।
- इसमें स्मार्ट गवर्नेंस डैशबोर्ड, विभिन्न सरकारी विभागों के लिये प्रमुख पहल की पारदर्शिता और पहुँच को बढ़ावा देना शामिल होना चाहिये।
- नौकरशाही में सुधार: प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना, लालफीताशाही को कम करना और सार्वजनिक सेवा के भीतर व्यावसायिकता तथा जवाबदेही को बढ़ाना भी महत्त्वपूर्ण है। विकास (वेरिएबल एंड इमर्सिव कर्मयोगी एडवांस्ड सपोर्ट) इस दिशा में एक आवश्यक कदम होगा।
- त्वरित न्यायिक सुधार: लंबित मामलों का समाधान करके न्यायालय प्रणाली के भीतर बुनियादी ढाँचे और दक्षता में सुधार करना और सभी के लिये न्याय तक त्वरित पहुँच सुनिश्चित करना। ई-कोर्ट और अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग इस दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- AI-संचालित शिकायत समाधान: एक AI संचालित प्रणाली विकसित करना जो सार्वजनिक शिकायतों का विश्लेषण, पैटर्न की पहचान करती है और स्वचालित रूप से उन्हें त्वरित समाधान के लिये संबंधित अधिकारियों को निर्देशित करती है।
- नागरिक सहभागिता की पुनः कल्पना: शहरी स्थानीय निकायों और पंचायतों की देख-रेख में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में समुदाय-आधारित नवाचार प्रयोगशालाएँ स्थापित करना, नागरिकों को सरकारी एजेंसियों के सहयोग से स्थानीय समस्याओं का स्थानीय समाधान खोजने के लिये सशक्त बनाना।
- भविष्योन्मुखी शिक्षा पाठ्यक्रम: आलोचनात्मक सोच, डिजिटल साक्षरता और डेटा विश्लेषण जैसे कौशल को शिक्षा प्रणाली में एकीकृत करना, भविष्य की पीढ़ियों को प्रौद्योगिकी-संचालित शासन परिदृश्य में सक्रिय भागीदारी के लिये तैयार करना।
इसलिये भारत को सतत् विकास लक्ष्य (SDG) 16: शांति, न्याय और मज़बूत संस्थानों के साथ संरेखित करते हुए “न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन” के सिद्धांत का पालन करना चाहिये।
अटल बिहारी वाजपेयी:
- 25 दिसंबर, 1924 को ग्वालियर, जो अब मध्य प्रदेश का हिस्सा है, में जन्मे अटल बिहारी वाजपेयी ने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान राजनीति में प्रवेश किया।
- 1996 और 1999 में प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया, जवाहरलाल नेहरू के बाद लगातार जनादेश हासिल करने वाले पहले व्यक्ति बने। (वर्तमान में नरेन्द्र मोदी)
- 9 लोकसभा और 2 राज्यसभा चुनाव जीते, 1994 में भारत के ‘सर्वश्रेष्ठ सांसद’ का खिताब अर्जित किया।
- 1994 में पद्म विभूषण प्राप्त हुआ और 2015 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया गया।