क्या हैं नए आईटी कानून, क्यों है इनकी जरूरत और क्या है इन पर विवाद?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
बीते 26 मई से नए आईटी नियम (New Information and Technology Rules 2021) लागू हो गए हैं। इन्हें 25 फरवरी 2021 को अधिसूचित किया था। इन नियमों ने भारत में ओटीटी प्लेटफार्मों और डिजिटल पोर्टलों के लिए शिकायत निवारण प्रणालियों का गठन करना अनिवार्य कर दिया है। इन नियमों के तहत बड़े डिजिटल प्लेटफार्मों (जिनके पास 50 लाख से ज्यादा यूजर्स हैं) को प्राप्त शिकायतों और उस पर की गई कार्रवाई के विवरण का उल्लेख करते हुए हर महीने अनुपालन रिपोर्ट प्रकाशित करने की बाध्यता है।
हालांकि इन नए आईटी नियमों ने केंद्र और कुछ सोशल मीडिया कंपनियों के बीच गतिरोध को भी जन्म दिया है। कंपनियों का कहना था कि सरकार की ओर से बनाए गए ये कानून असांविधानिक और प्रेस की स्वतंत्रता के खिलाफ हैं। वहीं सरकार का कहना है कि देश में कानून सर्वोच्च है और सभी को उसका पालन करना चाहिए। कमोबेश गतिरोध अब भी जारी है। ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि नए आईटी नियम क्या हैं… साथ ही केंद्र सरकार और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म आमने-सामने क्यों हैं…
नए आईटी नियम क्या हैं और क्यों हैं जरूरी
नए आईटी नियम 2021 के दिशानिर्देश कहते हैं कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को भारत में एक मुख्य अनुपालन अधिकारी और एक नोडल संपर्क अधिकारी नियुक्त करने की आवश्यकता होगी। नोडल संपर्क अधिकारी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ पूरे हफ्ते (24X7) समन्वय के लिए भारत में रहेगा। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को एक शिकायत अधिकारी नियुक्त करने की भी आवश्यकता होगी जो शिकायत निवारण तंत्र का कामकाज देखेगा। उसे प्राप्त शिकायतों और उन पर की गई कार्रवाई के विवरण के साथ सक्रिय रूप से हटाई गई सामग्रियों यानी कंटेंट के विवरण के साथ एक मासिक अनुपालन रिपोर्ट प्रकाशित करनी होगी।
नए आईटी नियम 2021 पर ताजा डेवलपमेंट
1. आईटी नियमों के खिलाफ वैधानिक प्रस्ताव
राज्यसभा में नए आईटी नियमों के खिलाफ एक वैधानिक प्रस्ताव पर चर्चा की उम्मीद है। एलजेडी सांसद एमवी श्रेयम्स कुमार की ओर से इस बारे में एक प्रस्ताव लाया गया है जिसमें केंद्र सरकार से इन नियमों को निरस्त करने की मांग की गई है। सांसद का दावा किया है कि ये नियम प्रेस की स्वतंत्रता के खिलाफ हैं। ये कानून पारंपरिक मीडिया को भी प्रभावित करेंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र का दावा है कि नियम सोशल मीडिया के लिए लाए गए हैं लेकिन इन कानूनों के तहत केंद्र का संयुक्त सचिव किसी वेबसाइट को ब्लॉक कर सकता है। यही वजह है कि देश के मीडिया हाउस इन नियमों को लेकर चिंतित हैं।
2. क्या केंद्र आईटी नियम का पालन न करने पर नए नोटिस भेज सकता है?
कुछ मीडिया रिपोर्टों में यह भी कहा गया है कि केंद्र सरकार नए आईटी नियमों का पालन नहीं करने पर कंपनियों को नए नोटिस भेजने की योजना बना रही है। केंद्र सरकार कंपनियों से जवाब मांगेगी कि उन्होंने इन आईटी नियमों का पालन क्यों नहीं किया। रिपोर्टों में यह भी कहा गया है कि केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव भी संसद के मानसून सत्र के समापन के बाद फेसबुक, ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के अधिकारियों और प्रतिनिधियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक कर सकते हैं।
3. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने नए आईटी नियमों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाले विभिन्न उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित मामलों की कार्यवाही पर रोक लगाने के लिए कोई अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया था। न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने केंद्र सरकार की उस याचिका को टैग कर कर दिया था जिसमें नए आईटी नियमों को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को विभिन्न उच्च न्यायालयों से शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने की मांग की गई थी।
विवादों पर सरकार का यह रहा है जवाब
सरकार का कहना है कि ये आईटी कानून सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले आम यूजर्स को मजबूती प्रदान करेगा। सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म के दुरुपयोग की बढ़ती घटनाओं से संबंधित मुद्दों के कारण यह कानून जरूरी हो गया था। सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इन कानूनों से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रभावित नहीं होती है।
भारतीय संविधान के तहत बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी है। स्वतंत्र न्यायपालिका और एक मजबूत मीडिया भारत के लोकतांत्रिक ढांचे का हिस्सा हैं। नए आईटी नियम सोशल मीडिया के आम यूजर्स को मजबूत बनाने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर दुर्व्यवहार के शिकार लोगों के पास उनकी शिकायतों के निवारण के लिए एक मंच होगा। सरकार का यह भी कहना है कि विभिन्न हितधारकों के साथ उचित चर्चा के बाद इन आईटी नियमों को अंतिम रूप दिया गया है।
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