राष्ट्रीय पोषण माह 2024 के क्या उद्देश्य है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 1 सितंबर, 2024 को मध्य प्रदेश के धार ज़िले में राष्ट्रीय पोषण माह 2024 शुरू किया।
- इसके अतिरिक्त महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को पोषण ट्रैकर पहल के लिये ई-गवर्नेंस 2024 (स्वर्ण) का राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुआ।
ई-गवर्नेंस के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार
- ये पुरस्कार प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (DARPG), कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय द्वारा वर्ष 2003 से प्रतिवर्ष प्रदान किये जाते हैं।
- पुरस्कार का उद्देश्य:
- ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में उपलब्धियों को मान्यता देना।
- स्थायी ई-गवर्नेंस पहलों को डिज़ाइन करने और लागू करने की प्रभावी पद्धतियों पर ज्ञान का प्रसार करना।
- सफल ई-गवर्नेंस समाधानों में वृद्धिशील नवाचारों को प्रोत्साहित करना।
- समस्याओं और जोखिमों को कम करने, मुद्दों को हल करने तथा सफलता के लिये योजना बनाने में अनुभवों को बढ़ावा देना एवं उनका आदान-प्रदान करना।
- सभी केंद्रीय मंत्रालय/विभाग, राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सरकारें, ज़िले, स्थानीय निकाय, केंद्रीय और राज्य सरकार के सार्वजनिक उपक्रम, शैक्षणिक/अनुसंधान संस्थान (सरकारी तथा गैर-सरकारी) इन पुरस्कारों के लिये आवेदन करने के पात्र हैं।
राष्ट्रीय पोषण माह क्या है?
- परिचय: यह एक वार्षिक अभियान है, जिसका उद्देश्य कुपोषण को दूर करना और बेहतर पोषण एवं स्वास्थ्य देखभाल को बढ़ावा देना है।
- यह दिवस पोषण अभियान (प्रधानमंत्री की समग्र पोषण योजना) के अंतर्गत प्रत्येक वर्ष सितंबर के महीने में मनाया जाता है।
- मुख्य केंद्र बिंदु: इसका उद्देश्य पोषण के विषय में जागरूकता बढ़ाना, आहार पद्धतियों में सुधार करना तथा बच्चों, किशोरों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं सहित कमज़ोर समूहों के बीच कुपोषण से निपटना है।
- यह ‘सुपोषित भारत’ के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के अनुरूप है।
- गतिविधियाँ: इसमें विभिन्न गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं, जैसे वृक्षारोपण अभियान, पोषक तत्त्वों का वितरण, सामुदायिक पहुँच कार्यक्रम, प्रदर्शनियाँ और शैक्षिक सत्र।
- उदाहरण के लिये राष्ट्रीय पोषण माह 2024 की शुरुआत “एक पेड़ माँ के नाम” नामक राष्ट्रव्यापी वृक्षारोपण अभियान के साथ हुई।
- राष्ट्रीय पोषण माह 2024 के मुख्य विषय है: एनीमिया, विकास निगरानी, पूरक आहार, पोषण भी पढ़ाई भी, बेहतर प्रशासन हेतु प्रौद्योगिकी, और एक पेड़ माँ के नाम।
पोषण अभियान क्या है?
- परिचय: इसे किशोरियों, गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और 6 वर्ष तक के बच्चों की पोषण संबंधी आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित करके कुपोषण को दूर करने के लिये मार्च 2018 में लॉन्च किया गया था।
- इसका कार्यान्वयन महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा किया जाता है।
- उद्देश्य: इसका लक्ष्य स्टंटिंग, अल्पपोषण, एनीमिया (छोटे बच्चों, महिलाओं और किशोर लड़कियों के बीच) तथा जन्म के समय वजन में कमी को क्रमशः 2%, 2%, 3% और 2% प्रतिवर्ष कम करना है।
- 0-6 वर्ष की आयु के बच्चों को लक्ष्य बनाकर स्टंटिंग और कम वजन की समस्या को कम करना।
- छोटे बच्चों (6-59 महीने) तथा 15-49 वर्ष की महिलाओं और किशोरियों में एनीमिया की व्यापकता को कम करना।
- पोषण अभियान के घटक:
- ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता पोषण दिवस (VHSND): यह लक्ष्य निर्धारण, क्षेत्रीय बैठकों और विकेंद्रीकृत योजना के माध्यम से समन्वय को बढ़ावा देता है।
- एकीकृत बाल विकास सेवाएँ-सामान्य अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर (ICDS-CAS): यह पोषण संबंधी स्थिति पर नज़र रखने के लिये सॉफ्टवेयर और विकास निगरानी उपकरणों का उपयोग करता है।
पोषण ट्रैकर क्या है?
- यह एक मोबाइल ऐप है, जो भारत में बच्चों और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य एवं पोषण पर नज़र रखता है।
- यह आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं (AWW) के लिये एक आवश्यक उपकरण के रूप में कार्य करता है, जो उनके हस्तक्षेपों की प्रगति और प्रभाव को दर्शाता है तथा वास्तविक समय पर निगरानी को सक्षम बनाता है।
- यह एक इंटरैक्टिव टूल है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों का उपयोग करके बच्चे के विकास को मापता है और प्राप्त इनपुट के आधार पर सुधारात्मक कार्रवाई के लिये सुझाव प्रदान करता है।
- आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ता 6 प्रकार के लाभार्थियों को पंजीकृत कर सकते हैं:
- गर्भवती महिलाएँ, स्तनपान कराने वाली माताएँ, 0-6 माह के बच्चे, 6 माह से 3 वर्ष के बच्चे, 3-6 वर्ष के बच्चे और 14-18 वर्ष की किशोरियाँ (विशेष रूप से आकांक्षी ज़िलों के लिये)।
एनीमिया
- इसकी विशेषता लाल रक्त कोशिकाओं की सामान्य से कम संख्या या इन कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन की कम सांद्रता है।
- लाल रक्त कोशिकाओं में पाया जाने वाला प्रोटीन हीमोग्लोबिन पूरे शरीर में ऑक्सीजन के संवहन के लिये आवश्यक है।
- कारण: आवश्यक पोषक तत्त्वों, विशेष रूप से आयरन, साथ ही फोलेट, विटामिन B 12 और विटामिन A का अपर्याप्त सेवन या अवशोषण एक महत्त्वपूर्ण कारण है।
- वैश्विक प्रसार: अनुमानतः 6-59 महीने की आयु के 40% बच्चे और लगभग 37% गर्भवती महिलाएँ एनीमिया से पीड़ित हैं।
- भारत में व्यापकता: राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 (वर्ष 2019-21) के अनुसार, यह किशोर लड़कों में 31.1% (15-19 वर्ष), किशोर लड़कियों में 59.1%, गर्भवती महिलाओं (15-49 वर्ष) में 52.2% और बच्चों (6-59 महीने) में 67.1% को प्रभावित करता है।
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