Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
मुख्य न्यायाधीश पहली बार मोदी के गणपति पूजा में शामिल होने पर क्या बोले? - श्रीनारद मीडिया

मुख्य न्यायाधीश पहली बार मोदी के गणपति पूजा में शामिल होने पर क्या बोले?

मुख्य न्यायाधीश पहली बार मोदी के गणपति पूजा में शामिल होने पर क्या बोले?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

देश के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के आवास पर पिछले महीने गणपति पूजा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हुए थे. इस पर विपक्षी कांग्रेस से लेकर रिटायर्ड जजों और कई जाने-माने वकीलों ने खूब सवाल उठाए थे. ऐसे में जब सीजेआई चंद्रचूड़ से सरकार में उच्च पदों पर बैठे लोगों से जजों की मुलाकात के बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने साफ कहा कि ‘हमें यह समझने की परिपक्वता होनी चाहिए कि इसका न्यायिक कार्य पर कोई असर नहीं पड़ता है.’

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, लोकसत्ता के मुख्य संपादक गिरीश कुबेर ने सीजेआई से पूछा कि क्या गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस या किसी अन्य अवसर जैसे त्योहारों पर उच्च न्यायापालिकाओं के सदस्यों और नेताओं के बीच बैठकें होती हैं. इस पर सीजेआई ने कहा, ‘मैं आपको बताना चाहता हूं कि राज्यों में एक परंपरा है कि राज्य के मुख्य न्यायाधीश और सीएम के बीच नियमित बैठकें होती हैं. अब लोग क्या सोचते हैं, वे क्यों मिलते हैं? आप कभी किसी निर्णय (न्यायिक) के लिए नहीं मिलते. और हमारी राजनीतिक व्यवस्था की परिपक्वता इस तथ्य में निहित है कि न्यायपालिका के प्रति बहुत अधिक सम्मान है, यहां तक कि राजनीतिक वर्ग में भी.’

‘चीफ जस्टिस और सीएम की मुलाकात जरूरी’
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अदालत में नए भवनों, जिलों में न्यायाधीशों के लिए आवास सहित न्यायिक बुनियादी ढांचे के लिए बजट सरकार की तरफ से मंजूर किए जाते हैं. उन्होंने कहा, ‘इसके लिए, मुख्य न्यायाधीश और सीएम की बैठक जरूरी हो जाती है. मैं उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश था… मैंने बॉम्बे हाईकोर्ट की प्रशासनिक समिति में काम किया. और किसी राज्य में, एक परंपरा है कि जब पहली बार मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति होती है, तो हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राज्य के CM के पास जाते हैं. दूसरी बार CM चीफ जस्टिस से मिलते हैं. ऐसी बैठकों के लिए एक अलग एजेंडा होता है.’

सीजेआई चंद्रचूड़ ने जोर देकर कहा, ‘निश्चित रूप से, हमें यह समझने की परिपक्वता होनी चाहिए कि इसका न्यायिक कामकाज पर कोई असर नहीं पड़ता है.’ उन्होंने कहा, ‘अगर स्वतंत्रता दिवस है, गणतंत्र दिवस है, किसी के घर शादी है, या कोई शोक है तो मुख्य न्यायाधीश भी मिलते हैं. हमें यह समझना होगा कि सरकार के तीन अंगों – विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका का एक ही लक्ष्य- राष्ट्र की बेहतरी के लिए समर्पित है. और जब तक हम इस प्रक्रिया पर भरोसा करते हैं, मुझे लगता है, हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि संवाद जारी रहना चाहिये.

कभी किसी न्यायिक मामले पर चर्चा नहीं होती

सीजेआई ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में कहा कि उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों (सीजे) और उनके बच्चों की शादी या दूसरे त्यौहारों पर कई बड़े राजनीतिक लोग उनसे मिलने उनके घर जाते हैं। इन अवसरों पर उनकी न्यायाधीशों के साथ बैठक भी होती है, लेकिन मैं एक भी ऐसा अवसर नहीं बता सकता, जब सीजेआई या सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने कभी भी केंद्र या राज्यों के प्रमुखों के साथ किसी न्यायिक मामले पर चर्चा की हो।

लोग सोचते हैं कि ये बैठकें क्यों होती हैं…

सीजेआई ने कहा, “लोग सोचते हैं कि ये बैठकें क्यों होती हैं, हमारी राजनीतिक व्यवस्था की परिपक्वता इस बात में निहित है कि राजनीतिक वर्ग में भी न्यायपालिका के प्रति बहुत अधिक सम्मान है. यह जगजाहिर है. न्यायपालिका का बजट राज्य से आता है. यह बजट न्यायाधीशों के लिए नहीं है. हमें नए न्यायालय भवन चाहिए, जिलों में न्यायाधीशों के लिए नए आवास चाहिए. इसके लिए मुख्य न्यायाधीश और मुख्यमंत्री की बैठकें जरूरी हैं.” मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वे पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं. “जब मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति होती है, तो वे मुख्यमंत्री के घर जाते हैं. फिर मुख्यमंत्री मुख्य न्यायाधीश के घर आते हैं. इन बैठकों में एजेंडा तय होता है. मान लीजिए, राज्य में 10 परियोजनाएं चल रही हैं, इंफ्रा क्या है, बजट क्या है? मुख्यमंत्री इन परियोजनाओं की प्राथमिकताएं बताते हैं. क्या इसके लिए आपको मिलना नहीं पड़ेगा? अगर यह कागजों पर होता रहेगा, तो काम कभी पूरा नहीं होगा.”

Leave a Reply

error: Content is protected !!