Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
छापेमारी में बरामद पैसों का क्या करती है केन्द्रीय एजेंसियां? - श्रीनारद मीडिया

छापेमारी में बरामद पैसों का क्या करती है केन्द्रीय एजेंसियां?

छापेमारी में बरामद पैसों का क्या करती है केन्द्रीय एजेंसियां?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

अक्सर ऐसी खबरें सामने आती हैं कि ईडी, सीबीआई और चुनाव आयोग ने छापेमारी कर अलग-अलग जगह से करोड़ों रुपये, संपत्ति के कागजात और गहने जब्त किए है। जब्त किए गए एक-एक नोट का हिसाब रखा जाता है, लेकिन बहुत कम लोगों को पता होता है कि जब्त किए गए पैसे कहां जाते हैं और इसे किसलिए इस्तेमाल किया जाता है।

किन-किन आयोग और विभागों को छापेमारी कर के पैसे, गहने और संपत्ति को जब्त करने का अधिकार है। साथ ही, बताएंगे कि जब्त होने के बाद विभाग उन पैसों का क्या करता है। पिछले कुछ महीनों में चुनाव के पहले उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और पंजाब जैसे राज्यों में ईडी ने कई जगहों पर छापेमारी कर के भारी मात्रा में कैश बरामद किया गया है।

2002 में लागू हुआ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट

मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट साल 2002 में लागू किया गया था। उसके बाद से अब तक रिकॉर्ड के मुताबिक कुल 5,422 मामले दर्ज किए गए हैं, जिसमें कई हाई प्रोफाइल लोगों का नाम भी सामने आया है। इन मामलों में छापेमारी करते हुए 1.04 लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा संपत्ति अटैच की जा चुकी है। वहीं, अब तक कुल 400 से अधिक लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। हालांकि, सभी को इसमें दोषी नहीं पाया गया है, अब तक केवल 25 लोगों को ही दोषी ठहराया गया है।

ताबड़तोड़ हो रही है छापेमारी

पिछले एक साल में ईडी ने कई जगह छापेमारी कर करोड़ों की संपत्ति जब्त की है। जिसमें पश्चिम बंगाल का शिक्षक भर्ती घोटाला, झारखंड का अवैध खनन घोटाला यूपी चुनाव से पहले कई जगहों पर छापेमारी कर बरामद किए गए पैसे शामिल हैं। पैसे या गहने जब्त करने का काम प्रवर्तन निदेशालय, आयकर विभाग या चुनाव आयोग के अधिकारी करते हैं। आय से अधिक संपत्ति, मनी लॉन्ड्रिंग, अवैध संपत्ति रखने जैसे मामलों में कार्रवाई करते हुए छापेमारी की जाती है।

जिनके पास से पैसे जब्त किए गए हैं, उसके खिलाफ मामले दर्ज किया जाता है और अगर उसका दोष सिद्ध हो जाता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाती है। वहीं, यदि जिसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया, वो इस बात को साबित कर देता है कि जब्त किए गए पैसे अवैध नहीं है और उसका टैक्स जमा किया जाता है, तो ऐसे मामलों में जब्त किए गए पैसे वापस कर दिए जाते हैं।

जब्त किए गए कैश का क्या करती है ED और CBI?

यदि कहीं भी छापेमारी की जाती है, तो कानून के मुताबिक वह बरामद किए गए कैश जब्त कर सकती है। हालांकि, वो इन पैसों का इस्तेमाल नहीं कर सकती। पैसों के अलावा एजेंसियां संपत्ति और गहने भी जब्त कर सकती है। यदि किसी भी संपत्ति या गहने को लेकर किसी व्यक्ति के पास कागजात सही न हो, तो ऐसे मामले में वो भी जब्त कर लिए जाते हैं।

संपत्तियों और गहनों के साथ क्या करती हैं एजेंसियां?

जब्त की गई संपत्तियों और गहनों को एजेंसियां दोष सिद्ध होने के बाद नीलाम कर सकती है। कोर्ट में केस खत्म होने और दोष सिद्ध हो जाने के बाद केंद्रीय एजेंसियां गहने, गाड़ियां, घर, फ्लैट और बंगले जैसे अचल संपत्ति को नीलाम कर सकती है। इतना ही नहीं, यदि इन मामलों के कारण किसी अन्य पक्ष को किसी तरह का नुकसान हुआ हो या किसी तरह से प्रभावित हुए हो, तो उसके घाटे की पूर्ति इन्हीं नीलामी में मिले पैसों से की जाती है। उसके बाद जो भी पैसे बच जाते हैं, वो सरकारी खजाने में भेज दिए जाते हैं।

चुनाव आयोग जब्त किए गए पैसों का क्या करता है?

यदि चुनाव से पहले आयोग को पैसे बरामद होते हैं और उसे संदेह होता है कि यह अवैध तरीके से कमाए गए हैं, तो ऐसे में चुनाव आयोग यह मामला आयकर विभाग के हवाले कर देते हैं। इसके बाद आयकर विभाग अपने मुताबिक उन पैसों और मामलों की जांच करते हैं। यदि व्यक्ति सही साबित होता है, तो उसे पैसे वापस कर दिए जाते हैं, लेकिन अगर दोष सिद्ध हो जाता है, ये पैसे सरकार के खजाने में जमा करा दिए जाते हैं।

नियमानुसार, कोई भी पैसे सरकारी खजाने में तभी डाले जाते हैं, जब कोर्ट में चल रहे मामले में दोष सिद्ध हो जाता है और केस खत्म हो जाता है। जब तक कोर्ट में केस चलता है, तब तक एजेंसियां इन पैसों को अपने पास रखती है और जरूरत पड़ने पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की मदद ले सकती है। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले में कहा है कि ईडी द्वारा जब्त किए गए पैसों में से वो अपने पास 1 लाख करोड़ रुपये रख सकती है।

हर एक नोट का रखा जाता है हिसाब

छापेमारी के दौरान जो भी कैश बरामद किए जाते हैं, उसकी पूरी जानकारी रखी जाती है। मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून के तहत छापेमारी में जो भी पैसे जब्त किए जाते हैं, उसके लिए भारतीय स्टेट बैंक के अधिकारियों को बुलाया जाता है। इन अधिकारियों के साथ ही मौके पर एक स्वतंत्र गवाह को भी बुलाया जाता है। इसके बाद पैसों को लेकर कागजी कार्रवाई की जाती है।

ईडी जब्ती मेमो (Seizure Memo) में पैसों को लेकर पूरी जानकारी लिखती है। इसमें बताया जाता है कि जब्त किए गए पैसों में दो हजार, 500, 200 या 100 रुपये के कितने नोट बरामद किए गए हैं। इसके बाद इन नोटों को एसबीआई ब्रांच में ईडी के खाते में जमा करा दिए जाते हैं। अगर आरोपी इस पैसे का स्त्रोत नहीं बता पाता है, तो अंत में यह पैसा केंद्र सरकार का हो जाता है।

Leave a Reply

error: Content is protected !!