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भारत में हो रहे अवैध व्यापार का भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा? - श्रीनारद मीडिया

भारत में हो रहे अवैध व्यापार का भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

भारत में हो रहे अवैध व्यापार का भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

फिक्की कैस्केड/FICCI CASCADE द्वारा ‘हिडन स्ट्रीम्स: लिंकेज बिटवीन इलिसिट मार्केट्स, फाइनेंशियल फ्लो, ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड टेरेरिज़्म‘ शीर्षक से जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अवैध अर्थव्यवस्था का 1-10 के पैमाने पर कुल स्कोर 6.3 है, जो अन्य 122 देशों में से 5 के औसत स्कोर से अधिक है, जो एक बड़ी अवैध अर्थव्यवस्था का संकेत देता है।

फिक्की कैस्केड:

  • फिक्की कैस्केड/FICCI CASCADE (अर्थव्यवस्था को नष्ट करने वाली तस्करी और जालसाज़ी गतिविधियों के खिलाफ फिक्की की समिति), भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (Federation of Indian Chambers of Commerce and Industry- FICCI) की एक पहल है।
  • इसकी स्थापना 18 जनवरी, 2011 को भारत और विश्व स्तर पर जाली, पास-ऑफ एवं तस्करी के सामानों के अवैध व्यापार के गंभीर मुद्दे को उजागर करने हेतु की गई थी।

अवैध व्यापार:

  • अवैध व्यापार का तात्पर्य वस्तुओं एवं सेवाओं के अवैध आदान-प्रदान से है जो सरकारों या अंतर्राष्ट्रीय निकायों द्वारा स्थापित कानूनों, विनियमों या नियंत्रणों का अनुपालन नहीं करता है।
  • ये गतिविधियाँ कानूनी ढाँचे के बाहर होती हैं और इनमें अक्सर विभिन्न प्रकार की प्रतिबंधित सामग्री, जालसाज़ी, चोरी, तस्करी, कर चोरी, धन शोधन एवं अन्य अवैध गतिविधियाँ शामिल होती हैं।

रिपोर्ट के मुख्य तथ्य:

  • भारत में अवैध व्यापार का अवलोकन:
    • 2022-23 के वित्तीय वर्ष में 3.5 टन सोना, 18 करोड़ सिगरेट स्टिक्स, 140 मीट्रिक टन रेड सैंडर्स और 90 टन हेरोइन ज़ब्त की गई।
      • 122 देशों के औसत स्कोर 5.2 की तुलना में भारत का स्कोर 4.3 काफी कम है, जो संगठित अपराध अभिकर्त्ताओं की कम भागीदारी लेकिन आपराधिक नेटवर्क के महत्त्वपूर्ण प्रभाव का सुझाव देता है।
  • भारत में अवैध वित्तीय प्रवाह:
    • वैल्यू गैप इंडिया (2009-2018):
      • वर्ष 2009-2018 के दौरान अवैध आयात और निर्यात चालान के परिणामस्वरूप भारत को संभावित राजस्व में कुल 13 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ
        • असंगृहीत मूल्य वर्धित कर (VAT) की राशि कुल 3.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी, जो राजस्व अंतर में योगदान करती है।

  • भारत में आतंक और अपराध:
    • आतंकवाद और अपराध से निपटने में भारत ने वर्ष 2021 में क्रय शक्ति समता (Purchasing Power Parity- PPP) पर लगभग 1170 बिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च किये, जो देश के कुल सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product- GDP) का लगभग 6% है।
      • PPP वृहत आर्थिक विश्लेषण द्वारा उपयोग किया जाने वाला एक मीट्रिक है जो “बास्केट ऑफ गुड्स” दृष्टिकोण के माध्यम से विभिन्न देशों की मुद्राओं की तुलना करता है, जिससे उन्हें देशों के बीच आर्थिक उत्पादकता और जीवन स्तर की तुलना करने की अनुमति मिलती है।

  • भारत में ड्रग अर्थव्यवस्था:
    • स्वर्णिम त्रिकोण/गोल्डन ट्रायंगल (म्याँमार, लाओस व थाईलैंड) और स्वर्णिम अर्द्धचंद्र/गोल्डन क्रिसेंट(अफगानिस्तान, पाकिस्तान व ईरान) सहित प्रमुख ड्रग उत्पादक क्षेत्रों के पास का भारतीय क्षेत्र उन गतिविधियों से जुड़ा हुआ है जहाँ निषेध पदार्थों का आवागमन तथा वितरण शामिल हो सकता है।
    • भारत में अवैध नशीले ड्रग के व्यापार में वृद्धि देखी गई है, वर्ष 2006-2013 के दौरान 1,257 मामलों की तुलना में वर्ष 2014-2022 के दौरान नशीले ड्रग की ज़ब्ती के 3,172 मामले दर्ज़ किये गए।
    • बेंचमार्क औसत 5.4 की तुलना में 7.5 स्कोर के साथ कैनबिस की भारत में व्यापक उपस्थिति है। सिंथेटिक ड्रग व्यापार और हेरोइन व्यापार भी 6.5 के स्कोर के साथ बेंचमार्क औसत से अधिक है।

 

  • भारत में संगठित अपराध और अवैध अर्थव्यवस्था:
    • भारत में संगठित अपराध करने वालों का कुल स्कोर 122 देशों के औसत बेंचमार्क 5.2 की तुलना में 4.3 है।

      • हालाँकि 6 अंक के साथ आपराधिक नेटवर्क का भारत में बड़ा प्रभाव है, जो 122 देशों के औसत अंक 5.8 से अधिक है।
      • भारत में अवैध अर्थव्यवस्था का कुल स्कोर 6.3 है, जो 122 देशों में से 5 के औसत स्कोर से अधिक है।
        • इससे पता चलता है कि यद्यपि आपराधिक तत्त्व संख्या में कम किन्तु व्यापक हैं और विभिन्न प्रकार की गैरकानूनी गतिविधियों में संलग्न हैं, जिनमें नशीली दवाओं की बिक्री तथा मानव तस्करी के आलावा वन्यजीव उत्पादों में अवैध व्यापार शामिल हैं।
        • यह स्पष्ट विरोधाभास भारत में आपराधिक नेटवर्क की प्रभावशीलता के लिये ज़िम्मेदार हो सकता है, जो उनकी कम संख्या के बावजूद पर्याप्त अवैध वित्तीय प्रवाह करने में सक्षम बनाता है।

भारत में अवैध व्यापार से निपटने के लिये सरकार की पहलें:

  • आतंकी वित्तपोषण और जाली मुद्रा (TFFC) सेल
  • स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम (NDPS) 1985
  • नशीली दवाओं की मांग में कमी के लिये राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPDDR)
  • नशीली दवाओं के दुरुपयोग के नियंत्रण के लिये राष्ट्रीय कोष (NFCDA)
  • धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA)
  • PMLA (संशोधन) अधिनियम, 2012
  • तस्कर और विदेशी मुद्रा हेरफेरकर्ता (संपत्ति की जब्ती) अधिनियम, 1976
  • भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018
  • काला धन (अघोषित विदेशी आय एवं संपत्ति) और कर अधिरोपण अधिनियम, 2015
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