रेव पार्टी क्या होती है, जिसे करते हुए आर्यन पकड़ा गया; यहां इस्तेमाल होने वाले ड्रग्स.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
भारत में भी रेव पार्टी का कॉन्सेप्ट पॉपुलर हो रहा है। ऐसी पार्टियों में इलेक्ट्रॉनिक डांस म्यूजिक, डीजे, विजुअल इफेक्ट्स, फॉग मशीन का इस्तेमाल होता है। इसके लिए महंगी एंट्री फीस वसूली जाती है। पिछले एक दशक में हुई छापेमारी से जो बातें सामने आई हैं, उससे रेव पार्टियों की इमेज ड्रग्स और सेक्स के अड्डे के तौर पर बनी है। इसलिए ऐसी पार्टियों पर नारकोटिक्स एजेंसियों की नजर रहती है।
13 ग्राम कोकीन, 5 ग्राम एमडी, 21 ग्राम हशीश और 22 एमडीएमए की गोलियां। ये नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो यानी NCB की हालिया छापेमारी में जब्त किए गए ड्रग्स की लिस्ट है। इसी सिलसिले में शाहरुख खान के बड़े बेटे आर्यन की गिरफ्तारी हुई है। जब NCB ने रेड की, उस वक्त कॉर्डेलिया क्रूज पर रेव पार्टी चल रही थी।
म्यूजिक, डांस, ड्रग्स और सेक्स का पैकेज बन रहीं रेव पार्टियां
1950 के दशक में लंदन में कई लोगों ने पुराने ढर्रे से हटकर लाइफ स्टाइल चुनना शुरू कर दिया। उन्हें बोहेमियन कहा जाता है। उस दौर में धमाकेदार बोहेमियन पार्टी के लिए रेव शब्द का इस्तेमाल होता था। 1990 के दशक में टेक्नोलॉजी बढ़ने और डीजे का कॉन्सेप्ट आने के बाद रेव पार्टियां बढ़ गईं।
भारत में इस्तेमाल हो रहे ड्रग्स और उनका असर
ड्रग्स हमारे ब्रेन सिस्टम को प्रभावित करते हैं। इसलिए अलग-अलग ड्रग्स से हमारे सोचने, महसूस करने और काम करने में असर पड़ता है। इसी आधार पर ड्रग्स प्रमुख रूप से तीन तरह के होते हैं…
डिप्रेसेंटः ऐसे ड्रग्स जो फंक्शनल एक्टिविटी को धीमा कर देते हैं। ऐसे ड्रग्स को कम मात्रा में लेने पर शख्स रिलैक्स महसूस करता है, लेकिन ज्यादा मात्रा में लेने पर बेहोश या मौत तक हो सकती है। एल्कोहल, भांग, गांजा, हेरोइन, मॉरफीन इसके कुछ उदाहरण हैं।
हैलुसिनोजेन्सः ऐसे ड्रग्स लेने से शख्स को मतिभ्रम हो जाता है और वो वास्तविकता समझ नहीं पाता। उसे ऐसी चीजें सुनाई या दिखाई देने लगती हैं जो वास्तव में हैं ही नहीं। इससे घबराहट, मतली, इमोशनल और मेंटल समस्या हो सकती है। एलएसडी, मैजिक मशरूम और केटामाइन इस तरह के ड्रग्स के कुछ उदाहरण हैं।
स्टिमुलेंट्सः ऐसे ड्रग्स के सेवन से दिमाग को तेज गति से काम करने में मदद मिलती है। इससे हार्ट रेट, ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। इससे बुखार, नींद न आने जैसी समस्या होती है। कैफीन, निकोटीन, कोकीन और एमडीएमए इसके कुछ उदाहरण हैं।
ड्रोन से गिराकर, कार्गो में छिपाकर होती है ड्रग्स की सप्लाई
सितंबर में डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस ने गुजरात के मुंद्रा पोर्ट से 3 हजार किलो हेरोइन जब्त की। इसकी कीमत करीब 21 हजार करोड़ रुपए है। अफगान हेरोइन का ये कंसाइनमेंट ईरान के बंदर अब्बास पोर्ट से ‘सेमी प्रॉसेस्ड स्टोन पाउडर’ के नाम पर आया था। इससे पहले दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने फरीदाबाद से 354 किलो हेरोइन जब्त की थी, जिसकी कीमत 2500 करोड़ रुपए है। हाल के दिनों में ड्रग्स पकड़े जाने की तमाम घटनाएं बढ़ी हैं।
इस साल जनवरी से जुलाई 2021 तक एजेंसियों ने 3040 किलो हेरोइन, 4.30 लाख किलो पॉपी स्ट्रॉ, 3.35 लाख किलो गांजा और 215 किलो एसिटिक एन्हाइड्राइड बरामद किया है। इसके अलावा अफीम, मॉरफीन, हशीश, केटामाइन, कोकीन, मेथाक्वालोन, इपेड्रीन और अन्य फार्मा ड्रग्स भी बरामद की गई हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत में ज्यादातर ड्रग्स अफगानिस्तान, पाकिस्तान और म्यांमार के रास्ते आता है। इनकी सप्लाई के कई तरीके हैं…
- स्मगलर्स ड्रग्स के छोटे-छोटे पैकेट बनाकर बॉर्डर के पार फेंक देते हैं। 2016 में रिलीज हुई फिल्म उड़ता पंजाब में दिखाया गया था कि किस तरह पाकिस्तान से एक व्यक्ति ड्रग्स का पैकेट बॉर्डर फेंस के ऊपर से फेंकता है जो भारतीय खेत पर गिरता है। इसी तरह बाकी बॉर्डर्स पर भी सुरक्षाबलों से छिपाकर ड्रग्स की सप्लाई की जाती है। बॉर्डर पेट्रोलिंग बढ़ने के बाद स्मगलर्स ने अब ड्रोन का इस्तेमाल शुरू कर दिया है।
- कुछ ऐसे भी मामले सामने आए हैं जब लोग हेरोइन और कोकीन को टैबलेट की तरह लेकर देश में आ जाते हैं। कुछ लोग सामान में सिलवा लेते हैं या सीलबंद कपड़े, गैजेट्स वगैरह में रख लेते हैं।
- सबसे बड़ी मात्रा में और आसानी से समुद्र के रास्ते ड्रग्स आता है। टॉक स्टोन, जिप्सम पाउडर और बेसिल सीड के नाम पर बक्सों में ड्रग्स सप्लाई होती है।
भारत में 3 करोड़ से ज्यादा गंजेड़ी और 2.3 करोड़ अफीमची
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने 2019 में भारत में ड्रग्स के इस्तेमाल को लेकर एक रिपोर्ट जारी की थी। इसमें पाया गया कि भारत में 10-75 साल की उम्र के 16 करोड़ लोग शराब का सेवन करते हैं। इनमें से 5.2% ऐसे हैं जो शराब के बिना रह ही नहीं सकते। करीब 3.1 करोड़ लोग भांग और गांजा का सेवन करते हैं और करीब 2.3 करोड़ लोग अफीम का इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा करीब 10.7 लाख लोग कोकीन का इस्तेमाल करते हैं।
ग्लोबल बर्डेन डिजीज स्टडी 2017 के डेटा के मुताबिक दुनिया भर में हर साल अवैध ड्रग्स से 7.5 लाख लोगों की मौत होती है, जिसमें करीब 22 हजार भारत के लोग हैं। NCRB के डेटा के मुताबिक भारत में पिछले पांच साल में ड्रग्स से मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
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