एनीमिया मुक्त भारत योजना क्या है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री द्वार एनीमिया मुक्त भारत (Anaemia Mukt Bharat- AMB) रणनीति के बारे में जानकारी साझा की गई है।
- वर्ष 2018 में भारत सरकार द्वारा महिलाओं, बच्चों और किशोरों जैसे सुभेद्य आयु समूहों में एनीमिया को कम करने के लक्ष्य के साथ ABM रणनीति (AMB strategy) को शुरू किया गया।
- ABM रणनीति एक जीवन चक्र दृष्टिकोण पर आधारित है, जो 6X6X6 रणनीति के माध्यम से निवारक और उपचारात्मक तंत्र प्रदान करती है जिसमें छह लक्षित लाभार्थियों (Six Target Beneficiaries), छह हस्तक्षेप (Six Interventions) और रणनीति को लागू करने हेतु सभी हितधारकों के लिये छह संस्थागत तंत्र (Six Institutional Mechanisms) शामिल हैं।
प्रमुख बिंदु
एनीमिया के बारे में:
- यह एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें शरीर में रक्त की ज़रूरत को पूरा करने के लिये लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या या उसकी ऑक्सीजन वहन क्षमता अपर्याप्त होती है। यह क्षमता आयु, लिंग, धूम्रपान और गर्भावस्था की स्थितियों के साथ परिवर्तित होती रहती है।
- लौह (Iron) की कमी इसका सबसे सामान्य लक्षण है। इसके साथ ही फोलेट (Folet), विटामिन बी 12 और विटामिन ए की कमी, दीर्धकालिक सूजन व जलन, परजीवी संक्रमण तथा आनुवंशिक विकार भी एनीमिया के कारण हो सकते है।
- एनीमिया की गंभीर स्थिति में थकान, कमज़ोरी, चक्कर आना और सुस्ती इत्यादि समस्याएँ होती हैं। गर्भवती महिलाएँ और बच्चे इससे विशेष रूप से प्रभावित होते हैं।
- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2019-20 के अनुसार, भारतीय महिलाएँ और बच्चे अत्यधिक एनीमिक हैं।
- चरण I के तहत 22 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का सर्वेक्षण किया गया तथा इनमें से अधिकांश राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में आधे से अधिक बच्चे व महिलाएँ एनीमिक पाए गए।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, इसी प्रजनन आयु वर्ग की वे महिलाएँ जिनका हीमोग्लोबिन का स्तर 12 ग्राम प्रति डेसीलीटर (जी/डीएल) से कम है तथा पाँच साल से कम उम्र के जिन बच्चों में हीमोग्लोबिन का स्तर 11.0 ग्राम/डीएल से कम है, उन्हें एनीमिक माना जाता है।
AMB रणनीति की मुख्य विशेषताएँ:
एनीमिया को नियंत्रित करने के लिये अन्य सरकारी पहलें:
- स्वास्थ्य राज्य का विषय है और राष्ट्रीय कार्यक्रमों के कार्यान्वयन सहित स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं को मज़बूत करने की प्राथमिक ज़िम्मेदारी संबंधित राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सरकार की है।
- स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत राज्यों/केंद्रशासित क्षेत्रों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करता है।
- वीकली आयरन और फोलिक एसिड सप्लीमेंटेशन (WIFS): यह कार्यक्रम किशोरियों और लड़कों के बीच एनीमिया के उच्च प्रसार की घटनाओं से संबंधित चुनौती को पूरा करने के लिये लागू किया जा रहा है।
- WIFS के तहत आयरन फोलिक एसिड (IFA) टैबलेट का पर्यवेक्षित साप्ताहिक अंतर्ग्रहण शामिल है।
- कृमि संक्रमण को नियंत्रित करने के लिये एल्बेंडाज़ोल (Albendazole) के साथ द्विवार्षिक कृमिनाशक दवा दी जाती है।
- स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली और मातृ शिशु ट्रैकिंग प्रणाली: एनीमिया से पीड़ित विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं के मामलों की नियमित जाँच के लिये स्वास्थ्य सूचना प्रबंधन प्रणाली और बच्चों के लिये भी विशेष प्रणाली को लागू किया जा रहा है।
- एनीमिया हेतु गर्भवती महिलाओं की सार्वभौमिक जाँच: प्रसव पूर्व एनीमिया की जाँच भी गर्भवती महिलाओं की जाँच का एक हिस्सा है। सभी गर्भवती महिलाओं को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और उपकेंद्रों के माध्यम से प्रसव पूर्व अन्य सुविधाओं के साथ आयरन एवं फोलिक एसिड की गोलियाँ भी प्रदान की जाएंगी। इसके लिये ग्राम स्वास्थ और पोषण दिवसों का भी आयोजन किया जाएगा।
- प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षा अभियान (PMSMA): एनीमिया के मामलों का पता लगाने और उनका इलाज करने के लिये चिकित्सा अधिकारियों की मदद से हर महीने की 9 तारीख को विशेष एएनसी जाँच कराने पर ध्यान केंद्रित करने हेतु इसे शुरू किया गया है।
- एनीमिया के गंभीर मामलों से निपटने के लिये ज़िला अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में रक्तकोष भंडारण इकाइयों की स्थापना की जा रही है। पोषण अभियान के तहत भी एनीमिया नियंत्रण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
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