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रेलवे में कवच प्रणाली क्या है? - श्रीनारद मीडिया

रेलवे में कवच प्रणाली क्या है?

रेलवे में कवच प्रणाली क्या है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

आंध्र प्रदेश के विजयनगरम ज़िले में दो यात्री ट्रेनों की भिडंत हो गई, यह दुखद घटना ट्रैफिक कोलिज़न अवॉइडेंस सिस्टम (Traffic Collision Avoidance Systems -TCAS) की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है। स्वदेशी “कवच” नामक प्रणाली के प्रयोग से इस दुर्घटना को रोका जा सकता था।

कवच प्रणाली क्या है? 

  • परिचय: 
    • कवच टक्कर-रोधी विशेषताओं के साथ एक कैब सिग्नलिंग ट्रेन नियंत्रण प्रणाली है जिसे अनुसंधान डिज़ाइन और मानक संगठन (Research Design and Standards Organisation- RDSO) द्वारा तीन भारतीय अनुबंधकारों के सहयोग से तैयार किया गया है।
      • इसे देश के राष्ट्रीय स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (ATP) प्रणाली के रूप में अपनाया गया है।
    • यह सेफ्टी इंटीग्रिटी लेवल-4 (SIL-4) मानकों का पालन करता है और मौजूदा सिग्नलिंग प्रणाली पर एक सतर्क निगरानीकर्त्ता के रूप में कार्य करता है, ‘लाल सिग्नल’ के निकट पहुँचने पर यह लोको पायलट को सचेत करता है तथा सिग्नल को पार करने से रोकने के लिये आवश्यकता पड़ने पर स्वचालित ब्रेक लगाता है।
      • आपातकालीन स्थितियों के दौरान यह प्रणाली SoS संदेश जारी करती है।
    • नेटवर्क मॉनिटर सिस्टम के माध्यम से इस प्रणाली में ट्रेन की गतिविधियों की केंद्रीकृत लाइव निगरानी की सुविधा उपलब्ध है।
      • तेलंगाना के सिकंदराबाद में भारतीय रेलवे सिग्नल इंजीनियरिंग और दूरसंचार संस्थान (IRISET) कवच के लिये ‘उत्कृष्टता केंद्र‘ हैं।
  • कवच के घटक: 
    • इच्छित मार्ग पर निर्धारित रेलवे स्टेशनों में कवच प्रणाली के इनस्टॉलेशन में तीन आवश्यक घटक शामिल हैं:
    • पहला घटक: रेलवे ट्रैक में रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) तकनीक का समावेश करना।
      • RFID वस्तुओं अथवा व्यक्तियों की पहचान करने के लिये रेडियो तरंगों का उपयोग करता है और भौतिक संपर्क या दूर से वायरलेस डिवाइस की जानकारी का स्वचालित आकलन करने के लिये विद्युत चुम्बकीय क्षेत्रों का उपयोग करता है।
    • दूसरा घटक: लोकोमोटिव, जिसे चालक के केबिन के रूप में जाना जाता है, में एक RFID रीडर, एक कंप्यूटर और ब्रेक इंटरफेस उपकरण लगाया जाता है।
    • तीसरा घटक: इसमें प्रणाली की कार्यक्षमता को बेहतर बनाने के लिये रेलवे स्टेशनों पर टॉवर और मॉडेम जैसे रेडियो बुनियादी ढाँचे भी शामिल हैं।
  • कवच प्रणाली के उपयोग से संबंधी चुनौतियाँ: 
    • लगभग 1,500 किलोमीटर की इसकी सीमित कवरेज और 50 लाख रुपए प्रति किलोमीटर की स्थापना लागत इसके समक्ष सबसे प्रमुख चुनौती है, जिससे 68,000 किलोमीटर के रेल नेटवर्क में इसे पूरी तरह से निष्पादित करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।

नोट: वर्तमान में भारतीय रेलवे ने सिग्नलिंग और टेलीकॉम बजट खंड के तहत 4,000 करोड़ रुपए का बजट रखा है, जिसमें विशेष रूप से कवच को लागू करने के लिये राष्ट्रीय रेल संरक्षण कोष (RRSK) के तहत 2,000 करोड़ रुपए शामिल हैं।

 

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