क्या बदल रही है सरकारी विद्यालयों की सूरत!

क्या बदल रही है सरकारी विद्यालयों की सूरत!

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया, सीवान(बिहार):

देश के द्वितीय राष्ट्रपति और भारतीय संस्कृति के मर्मज्ञ शिक्षाविद डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन पर टीचर्स डे मनाया जा रहा है। ऐसे में शिक्षा जगत के तीन महत्वपूर्ण घटक शिक्षक,छात्र और शिक्षा विभाग की चर्चा स्वाभाविक है। ऐसे भी शिक्षा विभाग अपने कठोर निर्णयों और सक्रियता के लिए चर्चा में है। क्या शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक द्वारा लगातार प्रयास सुधारात्मक है या शिक्षकों के स्वाभिमान पर कुठाराघात है या उनके लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है?यह बहस का विषय हो सकता है। लेकिन एक सरकार द्वारा कुछ सकारात्मक पहल की जा रही है।

इसके तहत सरकारी विद्यालय लगातार बुनियादी और आधुनिक सुविधाओं से लैस हो रहे हैं। प्रबुद्धजन इसे सरकारी स्कूलों को प्राइवेट स्कूलों के समकक्ष खड़ा करने की कोशिश मान रहे हैं। एक एकाध सालों में विद्यालयों में कई तरह के सकारात्मक बदलाव आये हैं। आनंददायी कक्ष में नव नामांकित छोटे बच्चों का स्वागत,घरेलू परिवेश देने की कोशिश, चहक में खेल-खेल में शिक्षा देना, एफएलएम के माध्यम से शिक्षण को रुचिकर बनाना और अब विद्यालयों में प्राइमरी साइंस किट और माइक्रोस्कोप की उपलब्धता ये तमाम कोशिशें इस बात को इंगित करती हैं कि सरकारी स्कूलों की सूरत बदल रही है।

वहीं अपर मुख्य सचिव केके पाठक के शिक्षा विभाग की कमान संभालने के बाद कक्षाओं के नियमित संचालन नहीं होने की शिकायत तकरीबन दूर हो चुकी है। लेकिन बच्चों की कम उपस्थिति एक चुनौती के रुप में सामने आ रही है। समाज के बुद्धिजीवियों का मानना है कि सरकारी स्कूलों के बच्चे अभिवंचित समाज से आते हैं,जिन्हें पठन-पाठन के अलावे अन्य पारिवारिक कार्यों में हाथ बांटाना होता है। ऐसे में बच्चों को विद्यालय में रोक पाना थोड़ा मुश्किल जरुर है। हालांकि प्राइवेट स्कूलों के मुकाबले सरकारी स्कूलों में कई प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध हैं। विदित हो कि सरकारी स्कूलों में किताबें और यूनिफॉर्म भी मुफ्त में मिल जाते हैं। सरकारी स्कूलों में मिड डे मिल की व्यवस्था से बच्चों के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखा जाता है। उपस्करों से लैस अच्ची-खासी इमारत भी है। यह दीगर बात है कि किसी-किसी विद्यालय में छात्रों के अनुपात में शिक्षक नहीं हैं। खासकर अपग्रेडेड हाई स्कूलों में योग्य शिक्षकों की कमी है। हालांकि भरपाई के लिए सरकार प्रयत्नशील है।

अब सरकार के मिडिल स्कूलों में, जो साइंस किट उपलब्ध कराये गये हैं, इससे स्कूली परिवेश बदलता नजर आ रहा है। आजतक स्कूलों में बच्चे जो चित्र अपनी विज्ञान की किताबों में देखते रहे हैं, उन्हें प्राइमरी साइंस किट व माइक्रोस्कोप के सहारे प्रयोग कर साकार रुप का दर्शन करेंगे। मिडिल स्कूलों में साइंस किट उपलब्ध होने विद्यार्थी अब खुलकर प्रयोग कर सकेंगे। छात्रों की जानकारी को अपडेट रखने के लिए टीचराें को भी पर ट्रेनिंग दी जायेगी।

स्कूल की छठवीं, सातवीं व आठवीं कक्षा के छात्र रसायन,भौतिक और जीव विज्ञान के प्रयोगों को करेंगे। इधर उच्च विद्यालयों और उच्च माध्यमिक विद्यालयों को कंप्यूटर उपलब्ध कराया गया,जहां कक्षा छह से 12 वीं तक बच्चे कंप्यूटर की बेसिक जानकारी ले रहे हैं। समाज के प्रबुद्धजन इसे सरकारी स्कूलों में बदलाव की बयार मान रहे हैं। आधुनिक सुविधाओं से विद्यालयों का लैस होना शुभ संकेत माना जा सकता है।

यह भी पढ़े

मांझी पुलिस ने अंग्रेजी शराब लदी एक ट्रक को  किया जब्त

क्या बदल रही है सरकारी विद्यालयों की सूरत!

बिहार: छुट्टियों में कटौती का आदेश निरस्त, शिक्षकों के विरोध के बाद सरकार बैकफुट पर

बिना नक्शे की स्वीकृति के निर्माण पर रोक

Leave a Reply

error: Content is protected !!