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UGC मसौदा दिशा-निर्देशों में क्या शामिल है? - श्रीनारद मीडिया

UGC मसौदा दिशा-निर्देशों में क्या शामिल है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षण लागू करने हेतु विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission- UGC) के मसौदा दिशा-निर्देश महत्त्वपूर्ण चर्चा का विषय बन गए हैं जिसका मुख्य कारण कुछ विशेष मामलों में रिक्तियों को ‘अनारक्षित’ करने का प्रस्ताव है।

  • केंद्र सरकार तथा UGC ने स्पष्ट किया है कि विश्वविद्यालयों के संकाय पदों हेतु अनुसूचित जाति (SC)अनुसूचित जनजाति (ST)अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) तथा आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग (EWS) उम्मीदवारों के आरक्षित पदों पर सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों की भर्ती नहीं की जाएगी।

नोट:

  • डी-रिज़र्वेशन का तात्पर्य अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, OBC तथा EWS जैसी विशिष्ट श्रेणियों को आवंटित आरक्षित सीटों अथवा कोटा को संभावित रूप से समाप्त करने से है।

UGC मसौदा दिशा-निर्देशों में क्या शामिल है?

  • UGC ने वर्ष 2006 के दिशा-निर्देशों के बाद से किये गए परिवर्तनों तथा नए सरकारी निर्देशों पर विचार करते हुए उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षण लागू करने के लिये नए मसौदा दिशा-निर्देश तैयार करने के लिये एक समिति को कार्य सौंपा जिसकी अध्यक्षता लोक प्रशासन संस्थान के निदेशक डॉ. एच.एस राणा द्वारा की गई।
    • इसका उद्देश्य संबंधित मौजूदा नियमों को स्पष्ट करना तथा न्यायालय के निर्णयों के आधार पर कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (Department of Personnel and Training- DoPT) द्वारा  जारी परिपत्रों के अपडेट को शामिल करना था।
  • मसौदे में संकाय पदों में कोटा, आरक्षण रोस्टर तैयार करना, डी-रिज़र्वेशन, आरक्षण हेतु जाति के दावों का सत्यापन तथा संस्थानों में छात्रों के प्रवेश में आरक्षण जैसे पहलुओं को शामिल करने वाले विभिन्न अध्याय शामिल हैं।
  • रिक्तियों को अनारक्षित करने का मुद्दा बहस का प्रमुख कारक है क्योंकि यह आरक्षित संकाय पदों को संबंधित विश्वविद्यालय से पर्याप्त औचित्य के माध्यम से “विशेष मामलों” में अनारक्षित करने का प्रावधान करता है।
    • दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि SC/ST या OBC उम्मीदवारों के लिये आरक्षित स्थान को अनारक्षित घोषित किया जा सकता है यदि इन श्रेणियों के पर्याप्त उम्मीदवार उपलब्ध नहीं हैं।
    • ग्रुप A और ग्रुप B स्तर की नौकरियों के आरक्षण को रद्द करने का प्रस्ताव शिक्षा मंत्रालय को प्रस्तुत किया जाना चाहिये, जबकि ग्रुप C तथा D स्तर के पदों के लिये विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद से अनुमोदन की आवश्यकता होती है।

आरक्षण की समाप्ति पर हंगामा क्यों हुआ?

  • विरोध का कारण:
    • मसौदा दिशा-निर्देशों के अनुसार संकाय नौकरियों में गैर-आरक्षण का मार्ग खोलने की बात कही गई, जिससे सार्वजनिक रूप से विवादित स्थिति उत्पन्न हो गयी। यह वर्तमान शैक्षणिक मानकों के विपरीत है, जो निर्धारित करता है कि आरक्षण संकाय पदों को सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के लिये परिवर्तित नहीं किया जाता है।
      • विवाद तब पैदा हुआ जब इस प्रावधान ने ग्रुप A के पदों को बढ़ाकर ग्रुप B, C और D को भी इसमें शामिल कर दिया।
    • शिक्षा मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर सीधी भर्ती में SC, ST और OBC के लिये आरक्षित रिक्तियों के आरक्षण पर प्रतिबंध लगा रखा है।
      • ऐतिहासिक रूप से अधूरे कोटा पदों को पारंपरिक रूप से फिर से विज्ञापित किया जाता है और उपयुक्त उम्मीदवारों की पहचान होने तक विशेष भर्ती अभियान चलाए जाते हैं।
    • इसे आरक्षण के संवैधानिक आदेश के उल्लंघन और उच्च शिक्षा में हाशिये पर रहने वाले समुदायों के प्रतिनिधित्व तथा सशक्तीकरण के लिये खतरे के रूप में देखा गया।
  • UGC और सरकार की प्रतिक्रिया:
    • सार्वजनिक विवाद की स्थित के विरुद्ध, शिक्षा मंत्रालय और यूजीसी ने तुरंत स्पष्टीकरण जारी किया, जिसमें बल दिया गया कि आरक्षण को रद्द करने की अनुमति देने वाला कोई नया निर्देश नहीं है।
      • मंत्रालय के अनुसार केंद्रीय शैक्षिक संस्थान (Central Educational Institutions- CEI) अधिनियम, 2019, आरक्षित पदों के आरक्षण पर रोक लगाता है और सभी रिक्तियाँ 2019 अधिनियम के अनुसार भरी जानी चाहिये।
    • UGC अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि दिशा-निर्देश केवल मसौदा रूप में थे, उन्होंने आश्वासन दिया कि आरक्षण से संबंधित कोई भी प्रावधान अंतिम दस्तावेज़ का हिस्सा नहीं होगा।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग क्या है?

  • 28 दिसंबर, 1953 को तत्कालीन शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने औपचारिक तौर पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की नींव रखी थी। विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग, विश्‍वविद्यालय शिक्षा के मापदंडों के समन्‍वय, निर्धारण और अनुरक्षण हेतु वर्ष 1956 में संसद के अधिनियम द्वारा स्‍थापित एक स्‍वायत्‍त संगठन है।
  • विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) शिक्षा मंत्रालय के तहत काम करता है, केंद्र सरकार UGC में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और दस अन्य सदस्यों की नियुक्ति करती है।
    • अध्यक्ष ऐसे लोगों में से चुना जाता है जो केंद्र सरकार या किसी राज्य सरकार के अधिकारी नहीं होते हैं।
  • पात्र विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को अनुदान प्रदान करने के अलावा आयोग केंद्र तथा राज्य सरकारों को उच्च शिक्षा के विकास के लिये आवश्यक उपायों पर सलाह भी देता है।
  • यह बंगलूरू, भोपाल, गुवाहाटी, हैदराबाद, कोलकाता और पुणे में स्थित अपने 6 क्षेत्रीय कार्यालयों के साथ-साथ नई दिल्ली स्थित मुख्यालय से कार्य करता है।
  • यह फर्ज़ी विश्वविद्यालयों, स्वायत्त महाविद्यालयों, डीम्ड विश्वविद्यालय और दूरस्थ शिक्षा संस्थानों की मान्यता को भी नियंत्रित करता है।

आरक्षण को नियंत्रित करने वाले संवैधानिक प्रावधान

  • भारतीय संविधान में आरक्षण के लिये कई प्रावधान हैं। संविधान का भाग XVI केंद्र और राज्य विधायिका में SC एवं ST के आरक्षण से संबंधित है। 
  • संविधान के अनुच्छेद 15(4) और 16(4) ने राज्य तथा केंद्र सरकारों को SC एवं ST समुदाय के सदस्यों के लिये सरकारी सेवाओं में सीटें आरक्षित करने में सक्षम बनाया है।
    • संविधान (77वाँ संशोधन) अधिनियम, 1995 द्वारा संविधान में संशोधन कर अनुच्छेद 16 में एक नया खंड (4A) शामिल किया गया जिससे सरकार पदोन्नति के मामले में आरक्षण प्रदान करने में सक्षम हुई है।
    • इसके बाद आरक्षण के माध्यम से पदोन्नत SC एवं ST उम्मीदवारों को परिणामी वरिष्ठता प्रदान करने के लिये संविधान (85वाँ संशोधन) अधिनियम 2001 द्वारा अनुच्छेद 16(4A) में संशोधन किया गया।
  • अनुच्छेद 16(4B) राज्य को 50% आरक्षण सीमा को दरकिनार करते हुए अगले वर्ष में SC/ST की अधूरी रिक्तियों को भरने की अनुमति देता है।
  • अनुच्छेद 330 और 332 संसद तथा राज्य विधानसभाओं में SC एवं ST के लिये सीटों के आरक्षण के माध्यम से विशिष्ट प्रतिनिधित्व का अवसर प्रदान करते हैं।
  • पंचायतों और नगर पालिकाओं में भी अनुच्छेद 243D तथा 243T के तहत आरक्षण प्रावधान हैं।

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