जम्मू-कश्मीर आरक्षण विधेयक एवं जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2023 क्या है?

जम्मू-कश्मीर आरक्षण विधेयक एवं जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2023 क्या है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

लोकसभा ने जम्मू-कश्मीर आरक्षण विधेयक एवं जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 पारित किया है।

  • यह विधेयक उन लोगों के प्रतिनिधित्व से संबंधित है जिनका अस्तित्व अपने ही देश में शरणार्थी के रूप में है। साथ ही यह विधेयक जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से विस्थापित हुए लोगों के लिये एक सीट आरक्षित करता है।

पृष्ठभूमि:

  • अनुच्छेद 370 के निरसन से पूर्व, जम्मू-कश्मीर में लोकसभा तथा विधानसभा सीटों के परिसीमन को लेकर अलग-अलग नियम थे।
  • अनुच्छेद 370 के निरसन और इस क्षेत्र को केंद्रशासित प्रदेश के रूप में बदले जाने के बाद मार्च 2020 में एक परिसीमन आयोग का गठन किया गया था।
  • इस आयोग का कार्य न केवल जम्मू-कश्मीर की सीटों, बल्कि असम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश एवं नगालैंड की सीटों का परिसीमन करना था तथा इस कार्य के पूर्ण होने के लिये एक वर्ष की समयसीमा तय की गई थी।
  • हाल ही में इस आयोग द्वारा परिसीमन प्रक्रिया पूरी होने के परिणामस्वरूप जम्मू-कश्मीर की विधानसभा सीटों की संख्या 107 से बढ़कर 114 हो गई

ये दो विधेयक क्या हैं?

  • जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023:
    • इसकी मदद से जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 की धारा 2 में संशोधन किया जाएगा।
      • जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) तथा अन्य सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के सदस्यों को नौकरियों और व्यावसायिक संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण प्रदान करता है।
    • संशोधन विधेयक के अनुसार व्यक्तियों के एक वर्ग जिन्हें पहले “कमज़ोर और वंचित वर्ग (सामाजिक जाति)” के रूप में  जाना जता था, को अब  “अन्य पिछड़ा वर्ग” के रूप में वर्णित किया जा सकता है।
  • जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023:
    • यह विधेयक 2019 के अधिनियम में संशोधन करने तथा कश्मीरी प्रवासियों एवं PoK से विस्थापित व्यक्तियों को विधानसभा में प्रतिनिधित्व प्रदान करने का प्रयास करता है।
    • इसमें कश्मीरी प्रवासी समुदाय से दो सदस्यों को नामित करने का प्रावधान है, जिसमें एक महिला सदस्य होगी तथा पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर (PoK) से विस्थापित व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक व्यक्ति को विधानसभा में नामित करने की उपराज्यपाल की शक्ति होगी।
    • इस विधेयक में जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सीटों की कुल संख्या 107 से बढ़ाकर 114 करने का प्रस्ताव है, जिनमें से 7 अनुसूचित जाति के सदस्यों के लिये और 9 सीटें अनुसूचित जनजाति के विधायकों के लिये आरक्षित होंगी।
      • विधेयक के अनुसार, पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर के लिये विधानसभा की 24 सीटें आरक्षित की गई हैं।
      • इसलिये विधानसभा की संबद्ध प्रभावी शक्ति 83 है, जिसे संशोधन द्वारा बढ़ाकर 90 करने का प्रयास किया गया है।

ज़ीरो टेरर प्लान अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण से कैसे संबद्ध है?

  • ज़ीरो टेरर प्लान जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद को खत्म करने के लिये भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक व्यापक रणनीति को संदर्भित करता है। यह योजना पिछले तीन वर्षों से प्रभावी है और वर्ष 2026 तक पूर्ण कार्यान्वयन हेतु निर्धारित है।
  • जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से क्षेत्र में आतंकवाद में उल्लेखनीय गिरावट आई है।

परिसीमन क्या है?

  • निर्वाचन आयोग के अनुसार, परिसीमन किसी देश या विधायी निकाय वाले प्रांत में क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों (विधानसभा या लोकसभा सीट) की सीमाओं को तय करने या फिर से तैयार करने का कार्य है।
  • परिसीमन की कवायद एक स्वतंत्र उच्चाधिकार प्राप्त पैनल द्वारा की जाती है जिसे परिसीमन आयोग के नाम से जाना जाता है, जिसके आदेशों पर कानून का प्रभाव होता है और किसी भी अदालत द्वारा उस पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है।
    • 1952, 1962, 1972 और 2002 के अधिनियमों के आधार पर चार बार वर्ष 1952, 1963, 1973 और 2002 में परिसीमन आयोगों का गठन किया गया है।
  • किसी निर्वाचन क्षेत्र को उसकी जनसंख्या के आकार (पिछली जनगणना आधार) के आधार पर फिर से परिभाषित करने की कवायद पिछले कई वर्षों से की जा रही है।
  • किसी निर्वाचन क्षेत्र की सीमा बदलने के अलावा इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप राज्य में सीटों की संख्या में भी बदलाव हो सकता है।
  • इस अभ्यास में संविधान के अनुसार SC और ST के लिये विधानसभा सीटों का आरक्षण भी शामिल है।

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