मेरा गाँव, मेरी धरोहर कार्यक्रम क्या है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
भारत सरकार ने मेरा गाँव मेरी धरोहर (Mera Gaon, Meri Dharohar – MGMD) कार्यक्रम के तहत सभी गाँवों का मानचित्रण और दस्तावेज़ीकरण करने का निर्णय लिया है।
- इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य भारतीय गाँवों के जीवन, इतिहास और लोकाचार की विस्तृत जानकारी संकलित करना तथा इसे आभासी तथा वास्तविक समय के आगंतुकों (visitors) के लिये उपलब्ध कराना है।
- संस्कृति मंत्रालय कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये वित्तीय सहायता की एक योजना भी लागू कर रहा है जिसमें 8 घटक शामिल हैं जिसके माध्यम से सांस्कृतिक संगठनों को कला तथा संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये वित्तीय सहायता दी जाती है।
मेरा गाँव, मेरी धरोहर (MGMD) कार्यक्रम क्या है?
- सांस्कृतिक मानचित्रण पर यह राष्ट्रीय मिशन संस्कृति मंत्रालय के तहत इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (Indira Gandhi National Centre for the Arts -IGNCA) के समन्वय से संचालित किया जाता है।
- MGMD पर एक वेब पोर्टल भी लॉन्च किया गया है। MGMD कार्यक्रम भारतीय गाँवों के जीवन, इतिहास तथा लोकाचार की विस्तृत जानकारी संकलित करने एवं इसे आभासी व वास्तविक समय के आगंतुकों के लिये उपलब्ध कराने का प्रयास करता है।
- MGMD के तहत, सात व्यापक श्रेणियों के तहत जानकारी एकत्र की जाती है:
- कला एवं शिल्प गाँव
- पारिस्थितिकीय दृष्टि से उन्मुख गाँव
- भारत की पाठ्य एवं शास्त्रीय परंपराओं से जुड़ा स्कोलास्टिक गाँव
- रामायण, महाभारत और/या पौराणिक कथाओं तथा मौखिक महाकाव्यों से जुड़ा महाकाव्य गाँव
- स्थानीय और राष्ट्रीय इतिहास से जुड़ा ऐतिहासिक गाँव
- वास्तुकला विरासत गाँव
- कोई अन्य विशेषता जिसे उजागर करने की आवश्यकता हो जैसे मछली पकड़ने वाला गाँव, बागवानी गाँव, चरवाहा गाँव आदि।
- MGMD राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण मिशन (National Mission on Cultural Mapping – NMCM) का एक घटक है, जिसे आजादी का अमृत महोत्सव के एक भाग के रूप में शुरू किया गया है।
- MGMD के तहत 6.5 लाख गाँवों का सांस्कृतिक मानचित्रण किया जा रहा है और 2 लाख से अधिक गाँवों का मानचित्रण पहले ही किया जा चुका है तथा मिशन पोर्टल पर अपलोड किया जा चुका है जो राष्ट्रीय सांस्कृतिक कार्यस्थल के रूप में कार्य करता है।
राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण मिशन (NMCM) क्या है?
- परिचय:
- संस्कृति मंत्रालय ने भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं को पुनर्जीवित करने एवं ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाने में इसकी रचनात्मक क्षमता की पहचान करने व प्रलेखीकरण करने के लिये NMCM की स्थापना की।
- सांस्कृतिक मानचित्रण तीन स्तरों पर कार्य करता है:
- कलाकारों की राष्ट्रीय निर्देशिकाएँ तथा सांस्कृतिक क्षेत्र से संबंधित लोग।
- कला अभिव्यक्ति तथा कलाकार समुदायों/परंपरा के वाहकों की राष्ट्रीय डिजिटल सूची/रजिस्टर का निर्माण।
- कला प्रथाओं के संरक्षण के लिये नीतियाँ विकसित करना और साथ ही उनके अभ्यासकर्त्ताओं के लिये कल्याणकारी योजनाओं का कार्यान्वन करना।
- मिशन अधिदेश:
- व्यापक थल सर्वेक्षणों तथा प्रलेखीकरण की सहायता से सांस्कृतिक मानचित्रण के माध्यम से एक राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार करना।
- भावी पीढ़ियों के लिये इस देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित, सुरक्षित, पुनर्जीवित तथा प्रसारित करना।
- डिजिटल प्लेटफॉर्म तथा लोकसंपर्क गतिविधियों का माध्यम से पूरे देश में एक सुदृढ़ “सांस्कृतिक जीवंतता” का परिवेश विकसित करना।
कला और संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु वित्तीय सहायता की योजना क्या है?
- यह एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है जिसका उद्देश्य देश में विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों तथा संगठनों का समर्थन करना है। इस योजना में 8 घटक शामिल हैं तथा प्रत्येक का एक अलग उद्देश्य एवं वित्तपोषण आवंटन है।
- कला और संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु वित्तीय सहायता की योजना में निम्नलखित 8 घटक शामिल हैं:
- राष्ट्रीय उपस्थिति वाले सांस्कृतिक संगठनों को वित्तीय सहायता:
- कला और संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिये राष्ट्रीय उपस्थिति वाले प्रतिष्ठित सांस्कृतिक संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान करना।
- यह अनुदान ऐसे संगठनों को प्रदान किया जाता है जो अखिल भारतीय गुणों के साथ भारत में पंजीकृत उचित रूप से गठित प्रबंध निकाय हैं तथा जिनके पास पर्याप्त कार्य बल है एवं सांस्कृतिक गतिविधियों हेतु विगत 5 वर्षों में से किन्हीं 3 वर्षों के दौरान 1 करोड़ रुपए अथवा उससे अधिक की राशि का व्यय करने का ट्रैक रिकॉर्ड है।
- अधिकतम अनुदान: 1 करोड़ रुपए।
- कल्चरल फंक्शन एंड प्रोडक्शन ग्रांट (CFPG):
- इसके तहत सेमिनारों, सम्मेलनों, अनुसंधान, कार्यशालाओं, त्योहारों, प्रदर्शनियों तथा प्रस्तुतियों सहित विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों के लिये वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
- अधिकतम अनुदान: 5 लाख से लेकर 20 लाख (विशिष्ट परिस्थितियों में) तक का अनुदान।
- हिमालय की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिये वित्तीय सहायता:
- अनुसंधान, प्रशिक्षण और प्रसार के माध्यम से हिमालय की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देना तथा उन्हें संरक्षित करना।
- वित्तीयन: इस दिशा में कार्य करने वाले संगठन को प्रति वर्ष 10 लाख रुपए से लेकर 30 लाख (विशिष्ट परिस्थितियों में) तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
- बौद्ध/तिब्बती संगठन के संरक्षण एवं विकास के लिये वित्तीय सहायता:
- इस योजना के तहत बौद्ध/तिब्बती सांस्कृतिक और परंपरा के प्रचार-प्रसार तथा वैज्ञानिक विकास एवं संबंधित क्षेत्रों में अनुसंधान में लगे मठों सहित स्वैच्छिक बौद्ध/तिब्बती संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
- योजना घटक के अंतर्गत वित्त पोषण की मात्रा एक संगठन के लिये प्रति वर्ष 30 लाख रुपए तक है, जिसे असाधारण मामलों में 1 करोड़ रुपए तक बढ़ाया जा सकता है।
- स्टूडियो थियेटर सहित भवन निर्माण अनुदान हेतु वित्तीय सहायता:
- स्टूडियो थियेटर, ऑडिटोरियम, रिहर्सल हॉल आदि जैसे सांस्कृतिक बुनियादी ढाँचे के निर्माण के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करना।
- अधिकतम अनुदान: मेट्रो शहरों में 50 लाख रुपए तक और गैर-मेट्रो शहरों में 25 लाख रुपए तक।
- संबद्ध सांस्कृतिक गतिविधियों के लिये वित्तीय सहायता:
- त्योहारों और प्रमुख आयोजनों के दौरान सांस्कृतिक गतिविधियों के लिये ऑडियो-विजुअल चश्मे (Audio-Visual Spectacles) को बढ़ाने हेतु संपत्ति बनाने में संगठनों का समर्थन करना।
- अधिकतम अनुदान: ऑडियो:1 करोड़ रुपए, ऑडियो+वीडियो: 1.50 करोड़ रुपए।
- अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिये योजना:
- यह योजना भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत और विविध सांस्कृतिक परंपराओं को पुनरोद्धार तथा प्रचार के माध्यम से सुरक्षित रखने के लिये वर्ष 2013 में संस्कृति मंत्रालय द्वारा शुरू की गई थी।
- घरेलू उत्सव और मेले:
- इस योजना का उद्देश्य संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित ‘राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव’ आयोजित करने में सहायता करना है।
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