जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलनशीलता को बढ़ावा देने की आवश्यकता क्या है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा जारी अडैप्टेशन गैप रिपोर्ट, 2023 के नवीनतम संस्करण के अनुसार, विकासशील देशों को सार्थक अनुकूलन कार्यों हेतु इस दशक में प्रत्येक वर्ष कम से कम 215 बिलियन अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता है। वर्ष 2021 में अनुकूलन परियोजनाओं के लिये विकासशील देशों को लगभग 21 बिलियन अमेरिकी डॉलर दिये गए, जो विगत वर्षों की तुलना में लगभग 15% कम था।
- इस वर्ष की रिपोर्ट अनुकूलन अथवा अनुकूलन परियोजनाओं को पूरा करने के लिये धन की उपलब्धता पर केंद्रित है।
रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ:
- अनुकूलन वित्त अंतर:
- अनुकूलन वित्त अंतर का आशय अनुमानित अनुकूलन वित्तपोषण आवश्यकताओं तथा लागत व वित्त प्रवाह के बीच के अंतर से है जो समय के साथ और बढ़ गया है।
- अनुकूलन अंतर के वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय अनुकूलन वित्त प्रवाह से 10-18 गुना अधिक होने की संभावना है जो विगत अनुमानों की तुलना में लगभग 50% अधिक है।
- वर्तमान अनुकूलन वित्त अंतर अब प्रतिवर्ष 194-366 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है।
- वित्तपोषण के लिये लैंगिक समानता:
- अनुकूलन के लिये अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक वित्तपोषण का केवल 2%, जिसमें लैंगिक समानता को प्राथमिक लक्ष्य के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, का मूल्यांकन लैंगिक रूप से उत्तरदायी के रूप में किया गया है, शेष 24% या तो लिंग-विशिष्ट अथवा एकीकृत है।
- वित्तपोषण बढ़ाने हेतु सात उपाय:
- निजी वित्तपोषण:
- घरेलू व्यय एवं निजी वित्तपोषण संभावित रूप से अनुकूलन वित्त के महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं, घरेलू बजट कई विकासशील देशों में अनुकूलन के लिये वित्तपोषण का एक बड़ा स्रोत हो सकता है, जो सरकारी बजट के 0.2% से लेकर 5% तक हो सकता है।
- समग्र विश्व में जल, भोजन व कृषि; परिवहन एवं बुनियादी ढाँचा; पर्यटन जैसे अधिकांश क्षेत्रों में निजी क्षेत्र के अनुकूलन हस्तक्षेप में वृद्धि हुई है।
- घरेलू व्यय एवं निजी वित्तपोषण संभावित रूप से अनुकूलन वित्त के महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं, घरेलू बजट कई विकासशील देशों में अनुकूलन के लिये वित्तपोषण का एक बड़ा स्रोत हो सकता है, जो सरकारी बजट के 0.2% से लेकर 5% तक हो सकता है।
- आंतरिक निवेश:
- बड़ी कंपनियों द्वारा ‘आंतरिक निवेश’, वित्तीय संस्थानों द्वारा अनुकूलन में योगदान देने वाली गतिविधियों के लिये वित्त का प्रावधान और कंपनियों द्वारा अनुकूलन वस्तुओं एवं सेवाओं के प्रावधान की बहुत आवश्यकता है।
- इसके अलावा भारत में जलवायु वित्तपोषण और अनुकूलन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के विकल्प भी तलाशे जा सकते हैं।
- बड़ी कंपनियों द्वारा ‘आंतरिक निवेश’, वित्तीय संस्थानों द्वारा अनुकूलन में योगदान देने वाली गतिविधियों के लिये वित्त का प्रावधान और कंपनियों द्वारा अनुकूलन वस्तुओं एवं सेवाओं के प्रावधान की बहुत आवश्यकता है।
- वैश्विक वित्तीय ढाँचे का सुधार:
- रिपोर्ट में वैश्विक वित्तीय ढाँचे में सुधार का आह्वान किया गया है, ताकि बहुपक्षीय एजेंसियों विश्व बैंक या अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से जलवायु-संबंधी उद्देश्यों हेतु वित्त की अधिक और आसान पहुँच सुनिश्चित की जा सके, क्योंकि यह स्पष्ट हो गया है कि अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रवाह का मौजूदा स्तर जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये पर्याप्त नहीं है।
- निजी वित्तपोषण:
विकासशील देशों के लिये जलवायु वित्तपोषण संबंधी चिंताएँ:
- विकासशील देशों की सीमित क्षमता:
- जीवन, आजीविका और पारिस्थितिकी तंत्र को बचाने के लिये अनुकूलन आवश्यक है, विशेष रूप से सीमित लचीलेपन वाले विकासशील तथा आर्थिक रूप से कमज़ोर देशों में, क्योंकि इनके पास जलवायु परिवर्तन के चल रहे प्रभावों को नियंत्रित करने के लिये कोई तत्काल समाधान नहीं है। इन अनुकूलन उपायों के लिये पर्याप्त जलवायु वित्तपोषण की आवश्यकता होती है।
- विकासशील देशों द्वारा अनुकूलन उपायों की व्यवहार्यता:
- देश अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं के आधार पर विभिन्न अनुकूलन उपाय करते हैं जिनमें समुद्र तटीय क्षेत्रों को सुदृढ़ करना, द्वीपीय राष्ट्रों में समुद्री अवरोधों का निर्माण करना, उष्म प्रतिरोधी फसलों के साथ प्रयोग करना, जलवायु-लचीला बुनियादी ढाँचे का निर्माण करना, जल स्रोतों को सुरक्षित करना और स्थानीय आबादी को बढ़ते तापमान तथा उनके दुष्परिणाम से बेहतर ढंग से निपटने में मदद करने के लिये इसी तरह के प्रयास शामिल हैं।
- लेकिन ये अनुकूली उपाय सरकारों की बजटीय पहुँच से परे वित्तीय दायित्व थोपते हैं।
- देश अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं के आधार पर विभिन्न अनुकूलन उपाय करते हैं जिनमें समुद्र तटीय क्षेत्रों को सुदृढ़ करना, द्वीपीय राष्ट्रों में समुद्री अवरोधों का निर्माण करना, उष्म प्रतिरोधी फसलों के साथ प्रयोग करना, जलवायु-लचीला बुनियादी ढाँचे का निर्माण करना, जल स्रोतों को सुरक्षित करना और स्थानीय आबादी को बढ़ते तापमान तथा उनके दुष्परिणाम से बेहतर ढंग से निपटने में मदद करने के लिये इसी तरह के प्रयास शामिल हैं।
- विकसित देशों की ओर से सक्रियता का अभाव:
- अंतर्राष्ट्रीय जलवायु समझौतों के अनुसार, विकसित देश जलवायु परिवर्तन के अनुकूल विकासशील देशों के समर्थन हेतु वित्तीय सहायता और प्रौद्योगिकी प्रदान करने के लिये बाध्य हैं।
- विकसित देश विभिन्न सम्मेलनों और संधियों के बावज़ूद अपेक्षित धन जुटाने में विफल रहे हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय जलवायु समझौतों के अनुसार, विकसित देश जलवायु परिवर्तन के अनुकूल विकासशील देशों के समर्थन हेतु वित्तीय सहायता और प्रौद्योगिकी प्रदान करने के लिये बाध्य हैं।
- आवश्यकता से कम निधि की उपलब्धता:
- अधिकांश विकासशील देशों ने अपनी अनुकूलन आवश्यकताओं को अपनी जलवायु कार्य योजनाओं में सूचीबद्ध किया है, जिन्हें राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) कहा जाता है, जो जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में हर देश के योगदान का दस्तावेज़ीकरण करना चाहते हैं।
विकसित देशों द्वारा प्रयास:
- 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर का लक्ष्य:
- विकसित देशों ने वर्ष 2009 में ही वादा किया था कि वे वर्ष 2020 से प्रत्येक वर्ष जलवायु वित्त से कम से कम 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाएँगे, लेकिन समय सीमा के तीन वर्ष बाद भी, वह राशि प्राप्त नहीं हुई है।
- UNFCCC प्लेटफार्म:
- वर्तमान में अनुकूलन तथा अन्य सभी प्रकार की जलवायु आवश्यकताओं के लिये वित्त प्रवाह को बढ़ाने के प्रयास किये जा रहे हैं, जिसे जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क अभिसमय (UNFCCC) के माध्यम से जलवायु वित्त कहा जाता है।
- लेकिन जलवायु वित्त की आवश्यकता आसमान छू रही है और अब प्रत्येक वर्ष ट्रिलियन डॉलर होने का अनुमान है।
- वर्तमान में अनुकूलन तथा अन्य सभी प्रकार की जलवायु आवश्यकताओं के लिये वित्त प्रवाह को बढ़ाने के प्रयास किये जा रहे हैं, जिसे जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क अभिसमय (UNFCCC) के माध्यम से जलवायु वित्त कहा जाता है।
- ग्लासगो जलवायु सम्मेलन:
- वर्ष 2021 में ग्लासगो जलवायु सम्मेलन में विकसित देशों ने अनुकूलन के लिये अनुमोदित राशि को दोगुना करने की प्रतिबद्धता जताई थी।
- इसके अतिरिक्त एक अन्य समझौता यह भी है कि वर्ष 2025 तक प्रत्येक वर्ष 100 बिलियन अमरीकी डाॅलर से अधिक का एक नया जलवायु वित्तपोषण लक्ष्य निर्धारित किया जाएगा।
- वर्ष 2021 में ग्लासगो जलवायु सम्मेलन में विकसित देशों ने अनुकूलन के लिये अनुमोदित राशि को दोगुना करने की प्रतिबद्धता जताई थी।
- नया सामूहिक परिमाणित लक्ष्य:
- वर्ष 2025 तक अनुकूलन वित्त को दोगुना करना और वर्ष 2030 के लिये नया सामूहिक परिमाणित लक्ष्य जिस पर अभी विचार चल रहा है, विकासशील देशों की सहायता से जलवायु वित्त अंतर को कम करने में सहायक होगा।
जलवायु वित्तपोषण:
- परिचय:
- यह स्थानीय, राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय वित्तपोषण को संदर्भित करता है जिसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और शमन पहल को बढ़ावा देना है। यह सार्वजनिक, निजी या वित्तपोषण के वैकल्पिक स्रोतों से एकत्रित किया जा सकता है।
- यह शमन और अनुकूलन कार्यों का समर्थन करना चाहता है जो जलवायु परिवर्तन को संबोधित करेंगे।
- यह स्थानीय, राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय वित्तपोषण को संदर्भित करता है जिसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और शमन पहल को बढ़ावा देना है। यह सार्वजनिक, निजी या वित्तपोषण के वैकल्पिक स्रोतों से एकत्रित किया जा सकता है।
- साझा किंतु विभेदित उत्तरदायित्व (Common But Differentiated Responsibility- CBDR):
- UNFCCC, क्योटो प्रोटोकॉल और पेरिस समझौते में अधिक वित्तीय संसाधनों (विकसित देशों) वाले देशों से उन देशों को वित्तीय सहायता देने का आह्वान किया गया है जो कम संपन्न तथा अधिक असुरक्षित (विकासशील देश) हैं।
- यह CBDR के सिद्धांत के अनुरूप है।
- UNFCCC, क्योटो प्रोटोकॉल और पेरिस समझौते में अधिक वित्तीय संसाधनों (विकसित देशों) वाले देशों से उन देशों को वित्तीय सहायता देने का आह्वान किया गया है जो कम संपन्न तथा अधिक असुरक्षित (विकासशील देश) हैं।
- काॅन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़-26 (COP 26):
- UNFCC, COP26 में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को अपनाने के वैश्विक लक्ष्य को प्राप्त करने में विकासशील देशों का समर्थन करने के लिये नई वित्तीय प्रतिज्ञाएँ की गईं।
- COP26 में सहमत अंतर्राष्ट्रीय कार्बन व्यापार तंत्र के नए नियम अनुकूलन वित्तपोषण का समर्थन करेंगे।
- UNFCC, COP26 में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को अपनाने के वैश्विक लक्ष्य को प्राप्त करने में विकासशील देशों का समर्थन करने के लिये नई वित्तीय प्रतिज्ञाएँ की गईं।
- जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (IPCC), 2018:
- जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न मुद्दों से निपटने और पृथ्वी के औसत तापमान में वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे सीमित करने के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु जलवायु वित्त महत्त्वपूर्ण है, जैसा कि IPCC रिपोर्ट 2018 में कहा गया था।
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