वन नेशन वन राशन कार्ड योजना क्या है? इसके समक्ष क्या-क्या चुनौतियाँ हैं?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
वन नेशन वन राशन कार्ड (ओएनओआरसी) योजना केंद्र में सत्तारूढ़ नरेंद्र मोदी सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसके तहत कोई भी जरूरतमंद राशनकार्ड धारक व्यक्ति देश के किसी भी हिस्से में स्थित सरकारी जनवितरण प्रणाली की दुकानों पर अपना कार्ड दिखाकर अपने हिस्से का सरकारी राशन उठा सकता है।
बता दें कि यह योजना प्रवासी श्रमिकों के खाद्यान्न जरूरतों की पूर्ति और उनके आर्थिक हितों की रक्षा करने के लिए लाई गई है। हालांकि इसका फायदा अन्य लोग भी उठा सकते हैं और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत देश के किसी भी हिस्से में अवस्थित उचित मूल्य की दुकान से सस्ता खाद्यान्न खरीद सकते हैं।
सनद रहे कि ओएनओआरसी योजना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत लागू की जा रही है। जिसके तहत प्रवासी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एमएनएफएसए), 2013 के लाभार्थी देश में कहीं भी अपनी पसंद के किसी भी उचित मूल्य की दुकान (एफपीएस) से अपने हिस्से के खाद्यान्न कोटे की खरीद कर सकते हैं।
यह प्रणाली उनके परिवार के सदस्यों को घर पर यदि कोई हो तो उसे राशन कार्ड पर शेष खाद्यान्न का दावा करने की अनुमति देती है। बता दें कि ओएनओआरसी का कार्यान्वयन अगस्त 2019 में शुरू किया गया था। वहीं, 2022 में असम प्रान्त, जो देश का 36 वां राज्य था, में यह योजना लागू हो चुकी है। इसी के साथ यह योजना पूरे देश में लागू हो चुकी है।
सभी एनएफएसए लाभार्थियों को उनके मौजूदा राशन कार्डों की सुवाह्यता के माध्यम से देश में कहीं भी उनकी खाद्य सुरक्षा के लिये आत्मनिर्भर बनने हेतु सशक्त बनाना है। इसके साथ ही उनकी पसंद के किसी भी उचित मूल्य की दुकान से उनके हकदार सब्सिडी वाले खाद्यान्न (आंशिक या पूर्ण) को निर्बाध रूप से उठाना है। इसके अलावा परिवार के सदस्यों को अपनी पसंद के उचित दर दुकान से अपने मूल स्थान/किसी भी स्थान पर उसी राशन कार्ड पर शेष/आवश्यक मात्रा में खाद्यान्न उठाने में सक्षम बनाना है।
पहला, अपवर्जन त्रुटि यानी कि आधार से लिंक्ड राशन कार्ड और स्मार्ट कार्ड के माध्यम से इस पीडीएस प्रक्रिया के डिजिटलीकरण को लीकेज कम करने के प्रयास के तहत आगे बढ़ाया गया है। हालाँकि आधार-सीडिंग के बाद भी अपवर्जन त्रुटियों (एक्सक्लूशन एरर) में वृद्धि हुई है। क्योंकि समाज के कई वर्ग ऐसे हैं जिनके पास अभी भी आधार कार्ड नहीं है और इस कारण वे खाद्य सुरक्षा से वंचित हो रहे हैं।
दूसरा, अधिवास-आधारित सामाजिक क्षेत्र योजनाएँ यानी कि न केवल पीडीएस बल्कि निर्धनता उन्मूलन, ग्रामीण रोज़गार, कल्याण और खाद्य सुरक्षा संबंधी अधिकांश योजनाएँ ऐतिहासिक रूप से अधिवास-आधारित पहुँच पर आधारित रही हैं और सरकारी सामाजिक सुरक्षा, कल्याण और खाद्य अधिकारों तक लोगों की पहुँच को उनके मूल स्थान या अधिवास स्थान तक के लिये सीमित रखती हैं।
तीसरा, एफपीएस पर आपूर्ति बाधित करना यानी कि किसी एफपीएस को प्राप्त उत्पादों का मासिक कोटा कठोरता से उससे संबद्ध लोगों की संख्या के अनुसार सीमित रखा गया है। वहीं, ओएनओआरसी जब पूर्णरूपेण कार्यान्वित होगा तब इस अभ्यास को समाप्त कर देगा, क्योंकि कुछ एफपीएस को नए लोगों के आगमन के कारण अधिक संख्या में कार्डधारकों को सेवा देनी होगी, जबकि कुछ अन्य एफपीएस लोगों के पलायन के कारण निर्धारित कोटे से कम लोगों को सेवा देंगे।
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