Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
पीएम-डिवाइन योजना क्या है? - श्रीनारद मीडिया

पीएम-डिवाइन योजना क्या है?

पीएम-डिवाइन योजना क्या है?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय ने पूर्वोत्तर क्षेत्र हेतु प्रधानमंत्री विकास पहल (Prime Minister’s Development Initiative for North Eastern Region- PM-DevINE) को अपडेट किया है।

पीएम-डिवाइन: 

  • केंद्रीय क्षेत्र की योजना के रूप में पीएम-डिवाइन योजना को केंद्रीय बजट 2022-23 के हिस्से के रूप में पेश किया गया था।
  • मंत्रिमंडल ने 12 अक्तूबर, 2022 को पीएम-डिवाइन योजना को मंज़ूरी दी। इसका  100% वित्तपोषण केंद्र सरकार द्वारा किया गया है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि संसाधन सीधे विकास पहल के लिये आवंटित किये जाएँ।
  • इस योजना को उत्तर-पूर्व क्षेत्र विकास मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा।
  • पीएम-डिवाइन के उद्देश्य:
    • बुनियादी ढाँचे का विकास: पीएम गतिशक्ति के अनुरूप पीएम-डिवाइन का लक्ष्य पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में निर्बाध कनेक्टिविटी और पहुँच सुनिश्चित करते हुए समेकित तरीके से बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को वित्तपोषित करना है।
    • सामाजिक विकास परियोजनाओं का समर्थन: NER की अनूठी आवश्यकताओं एवं चुनौतियों को पहचानते हुए यह योजना उन सामाजिक विकास परियोजनाओं का समर्थन करने का प्रयास करती है जो महत्त्वपूर्ण मुद्दों का समाधान करती हैं और क्षेत्र के निवासियों के जीवन की समग्र गुणवत्ता में सुधार करती हैं।
    • युवाओं और महिलाओं को सशक्त बनाना: पीएम-डिवाइन (PM-DevINE) विशेष रूप से NER के युवाओं और महिलाओं को लक्षित कर आजीविका के अवसर उत्पन्न करना चाहता है ताकि वे क्षेत्र के विकास एवं प्रगति में सक्रिय भागीदार बन सकें।
  • बजट आवंटन: 
    • इस योजना को केंद्रीय बजट 2022-23 में 1500 करोड़ रुपए का प्रारंभिक आवंटन प्राप्त हुआ।
    • वर्ष 2022-23 से वर्ष 2025-26 तक की 4 वर्ष की अवधि, जो 15वें वित्त आयोग की अवधि के शेष वर्षों के साथ संरेखित है, में इस योजना का कुल परिव्यय 6,600 करोड़ रुपए है।
    • वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान स्वीकृत परियोजनाओं की एक राज्य-वार एवं परियोजना-वार सूची तैयार की गई है जिसमें प्रत्येक परियोजना को संबंधित राज्यों की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये तैयार किया गया है।

पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास से संबंधित अन्य पहलें: 

  • उत्तर-पूर्व औद्योगिक विकास योजना (NEIDS)
  • उत्तर-पूर्वी परिषद (NEC)
  • उत्तर-पूर्व सड़क क्षेत्र विकास योजना
  • कनेक्टिविटी परियोजनाएँ: कलादान मल्टी-मोडल ट्रांज़िट प्रोजेक्ट (म्याँमार) और बांग्लादेश-चीन-भारत-म्याँमार (BCIM) कॉरिडोर
  • भारतमाला परियोजना (सुधार के लिये NER में 5,301 किमी. सड़क क्षेत्र)
  • RCS-UDAN (उड़ान को और अधिक किफायती बनाने के लिये) के तहत उत्तर-पूर्व को प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूप में रखा गया है।
  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक नई योजना, पूर्वोत्तर क्षेत्र हेतु प्रधानमंत्री विकास पहल (पीएम-डिवाइन/PM-DevINE) को मंज़ूरी दी।
    • पूर्वोत्तर क्षेत्र (NER) में विकास अंतराल को दूर करने के लिये केंद्रीय बजट 2022-23 में पीएम-डिवाइन की घोषणा की गई थी।

    पीएम-डिवाइन योजना:

    • परिचय:
      • यह 100% केंद्रीय वित्तपोषण के साथ केंद्रीय क्षेत्र की योजना है।
      • पीएम-डिवाइन योजना में वर्ष 2022-23 से 2025-26 (15वें वित्त आयोग की अवधि के शेष वर्षों) तक चार साल की अवधि में 6,600 करोड़ रुपए का परिव्यय होगा।
      • पीएम-डिवाइन पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिये उपलब्ध संसाधनों के अतिरिक्त है। यह मौजूदा केंद्र और राज्य की योजनाओं का विकल्प नहीं होगी।
    • कार्यान्वयन:
      • यह योजना पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास मंत्रालय द्वारा पूर्वोत्तर परिषद या केंद्रीय मंत्रालयों/ एजेंसियों के माध्यम से लागू की जाएगी।
    • उद्देश्य:
      • पीएम गति शक्ति में सम्मिलित रूप से बुनियादी ढाँचे को निधि देना;
      • एनईआर द्वारा महसूस की गई ज़रूरतों के आधार पर सामाजिक विकास परियोजनाओं का समर्थन करना;
      • युवाओं और महिलाओं के लिये आजीविका संबंधी कार्यों को सक्षम करना;
      • विभिन्न क्षेत्रों में विकास अंतराल को कम करना।

    भारत के लिये पूर्वोत्तर का महत्त्व:

    • सामरिक महत्त्व: पूर्वोत्तर भारत दक्षिण-पूर्व एशिया और उससे आगे का प्रवेश द्वार है। यह म्याँमार के लिये भारत का भूमि-पुल है।
      • भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति पूर्वोत्तर राज्यों को भारत के पूर्व की ओर संलग्नता की क्षेत्रीय अग्रिम पंक्ति पर रखती है।
    • सांस्कृतिक महत्त्व: पूर्वोत्तर भारत दुनिया के सबसे सांस्कृतिक रूप से विविध क्षेत्रों में से एक है। यह 200 से अधिक जनजातियों का घर है। लोकप्रिय त्योहारों में नगालैंड का हॉर्नबिल महोत्सव, सिक्किम का पांग ल्हाबसोल आदि शामिल हैं।
      • पूर्वोत्तर भारत दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों से मुक्त क्षेत्र है।
      • पूर्वोत्तर की संस्कृतियों की समृद्धता कपड़ों पर बनी चित्रकारी और इसके अत्यधिक विकसित लोक नृत्य रूपों जैसे बिहू (असम) में परिलक्षित होती है।
      • मणिपुर में पवित्र उपवनों में प्रकृति की पूजा करने की परंपरा है, जिसे उमंगलाई कहा जाता है।
    • आर्थिक महत्त्व: आर्थिक रूप से यह क्षेत्र चाय, तेल और लकड़ी जैसे प्राकृतिक संसाधनों में समृद्ध है।
      • यहाँ 50000 मेगावाट की जलविद्युत शक्ति और जीवाश्म ईंधन के प्रचुर भंडार के साथ एक स्थापित विद्युतगृह है।
    • पारिस्थितिक महत्त्व: पूर्वोत्तर भारत-बर्मा जैव विविधता हॉटस्पॉट का एक हिस्सा है। यह भारतीय उपमहाद्वीप में पक्षियों और पादपों की जैवविविधता में से एक का प्रतिनिधित्व करता है।

    पूर्वोत्तर भारत से संबंधित वर्तमान चुनौतियाँ:

    • शेष भारत से अलगाव: भौगोलिक कारणों और शेष भारत के साथ अविकसित परिवहन ढाँचे के कारण इस क्षेत्र तक पहुँच हमेशा कमज़ोर रही है।
    • कुशल बुनियादी ढाँचे का अभाव: बुनियादी ढाँचे यानी भौतिक (जैसे सड़क मार्ग, जलमार्ग, ऊर्जा आदि) के साथ-साथ सामाजिक बुनियादी ढाँचा (उदाहरण के लिये शैक्षणिक संस्थान, स्वास्थ्य सुविधाएँ) किसी भी क्षेत्र के मानव विकास और आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।।
      • पूर्वोत्तर राज्यों के आर्थिक पिछड़ेपन का एक प्रमुख कारण बुनियादी ढाँचागत सुविधाओं की खराब स्थिति है।
    • औद्योगिक विकास की धीमी गति: औद्योगिक विकास के मामले में पूर्वोत्तर ऐतिहासिक रूप से अविकसित रहा है।
    • प्रादेशिक संघर्ष: पूर्वोत्तर के भीतर मौजूदा अंतर-राज्यीय और अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्रीय संघर्ष रहे हैं, जो अक्सर ऐतिहासिक सीमा विवादों एवं भिन्न जातीय, आदिवासी या सांस्कृतिक समानता पर आधारित होते हैं। उदाहरण: असम-मिज़ोरम सीमा विवाद।
    • विद्रोह और राजनीतिक मुद्दे: उग्रवाद या आतंकवाद एक राजनीतिक हथियार है और अक्सर राजनीतिक, आर्थिक तथा सामाजिक कारणों से जन्म लेता है।
      • पूर्वोत्तर राज्यों ने अन्य भारतीय राज्यों से शोषण और अलगाव की भावना के साथ विद्रोही गतिविधियों एवं क्षेत्रीय आंदोलनों का उदय देखा है।

    पूर्वोत्तर में प्रमुख बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ:

    • रेल, सड़क और हवाई कनेक्टिविटी:
      • 4,000 किमी. सड़कें, 2,011 किमी. की 20 रेलवे परियोजनाएंँ और 15 हवाई कनेक्टिविटी परियोजनाएंँ विकसित की जा रही हैं।
    • जलमार्ग कनेक्टिविटी:
      • गंगा, ब्रह्मपुत्र व बराक नदियों के राष्ट्रीय जलमार्ग (गंगा पर NW-1, ब्रह्मपुत्र पर NW-2 और बराक पर NW-16) बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिये विकास के चरण में हैं।
    • ईस्टर्न वाटरवेज़ कनेक्टिविटी ट्रांसपोर्ट ग्रिड:
      • यह 5,000 किमी. नौगम्य जलमार्ग प्रदान करके पूर्वोत्तर को शेष भारत से जोड़ेगा। 
    • पूर्वोत्तर क्षेत्र विद्युत प्रणाली सुधार परियोजना (NERPSIP):
      • NERPSIP इंट्रा-स्टेट ट्रांसमिशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम को मज़बूत करने हेतु पूर्वोत्तर क्षेत्र के आर्थिक विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है।
      • सरकार विद्युत पारेषण और वितरण, मोबाइल नेटवर्क, 4जी तथा ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी से संबंधित परियोजनाओं पर भी ज़ोर दे रही है।

    आगे की राह

Leave a Reply

error: Content is protected !!