यूक्रेन पर हमला के पीछे क्‍या है पुतिन की मंशा?

यूक्रेन पर हमला के पीछे क्‍या है पुतिन की मंशा?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
0
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
0
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

रूस और यूक्रेन का विवाद अब एक युद्ध का रूप ले चुका है। पूरी दुनिया की नजरें इन दोनों देशों के अलावा यूरोप और अमेरिका पर भी लगी हुई हैं। लेकिन क्‍या आप रूस के यूक्रेन पर हमले की असल वजह के बारे में जानते हैं। यदि नहीं तो आज हम इसके बारे में आपको बता देते हैं। इससे पहले अआपको बता देते हैं कि रूस के विघटन के बाद जो देश अलग हुए थे उनमें यूक्रेन भी एक था।

रूस के साथ में उस वक्‍त क्रीमिया भी था जिसको वर्ष 2014 में रूस ने आजाद कर अपने नियंत्रण में ले लिया था। इसके अलावा यूक्रेन के डोनबास, लुहांस्‍क और डोनेस्‍तक में रूसी समर्थकों बहुसंख्‍यक हैं। यूक्रेन के बाहर की बात करें तो बेलारूस, जार्जिया पूरी तरह से रूस के साथ हैं। इसका अर्थ ये भी है कि यूक्रेन रूस से पूरी तरह से घिरा हुआ है। अब हम उन कारणों की बात करते हैं जिसकी वजह से रूस को यूक्रेन पर हमले का कदम उठाना पड़ा है।

इसकी सबसे बड़ी वजह अमेरिका द्वारा यूक्रेन को नाटो संगठन में शामिल करने की कवायद है। अमेरिका के वर्चस्‍व वाले इस संगठन में 30 देश शामिल हैं जिनमें से अधिकतर यूरोप के ही हैं। हालांकि इसमें सबसे अधिक जवान अमेरिका के ही हैं। रूस पर दबाव बनाने और अपने पुराने विवादों के कारण अमेरिका लगातार इस तरह की कवायद करता रहा है। अमेरिका पहले से ही रूस पर प्रतिबंध लगाकर उसको दबाव में लाने की कवायद कर चुका है।

हालांकि उसकी ये चाल अब तक काम नहीं आई थी। अब वो यूक्रेन के सहारे इस काम को करना चाहता है। रूस की चिंता ये है कि यदि यूक्रेन नाटो के साथ चला जाता है तो उसकी सेना और उसके हथियारों के दम पर अमेरिका उसको नुकसान पहुंचाने में आशिंक रूप से सफल हो सकता है।

इस हमले की दूसरी वजह अमेरिका और पश्चिमी-यूरोपीय देशों का नार्ड स्‍ट्रीम 2 पाइपलाइन पर रोक लगाना भी शामिल है। आपको बता दें कि रूस ने इस परियोजना पर अरबों डालर का खर्च किया है। रूस इसके जरिये फ्रांस, जर्मनी समेत समूचे यूरोप में गैस और तेल की सप्‍लाई करना चाहता है। इससे पहले ये सप्‍लाई जिस पाइपलाइन के जरिए होती थी वो यूक्रेन से जाती थी। इसके लिए रूस हर वर्ष लाखों डालर यूक्रेन को अदा करता था। नई पाइपलाइन के बन जाने से यूक्रेन की कमाई खत्‍म हो जाएगी। यूक्रेन के रूस से अलगाव की एक बड़ी वजह में ये भी शामिल है।

तीसरी वजह ये है कि रूस नहीं चाहता है यूक्रेन किसी भी तरह से अमेरिका के साथ जाए। इसकी एक बड़ी वजह ये भी है कि रूस का यूक्रेन से भावनात्‍मक रिश्‍ता है। रूस की नींव यूक्रेन की धरती से ही रखी गई थी। रूस की पहचान यूराल पर्वतश्रंख्‍ला भी यूक्रेन से ही होकर गुजरती है। अमेरिका और रूस के बीच का विवाद काफी लंबे समय से है। शीत युद्ध के बाद भी स्थितियां बदली नहीं हैं। वहीं दूसरी तरफ रूस की शक्ति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। रूस केवल इतना ही चाहता है उसका मान कायम रहे और उसको बदनाम न किया जाए।

हर बीतते क्षण के साथ यूक्रेन का संकट बढ़ रहा है। अघोषित तौर पर यूक्रेन पर रूस का हमला हो चुका है। रूस के टैंक पूर्वी यूक्रेन के डोनेस्क और लुहांस्क में दाखिल हो चुके हैं और रूसी सैनिक विद्रोहियों के साथ मिलकर यूक्रेन सेना के नियंत्रण वाले इलाके की ओर बढ़ रहे हैं। दोनों पक्षों के बीच गोलाबारी भी बढ़ गई है। गोलाबारी की चपेट में आकर यूक्रेन के एक सैनिक के मारे जाने और छह के घायल होने की खबर है। पता चला है कि रूस की योजना स्वतंत्र घोषित किए डोनेस्क और लुहांस्क के उन हिस्सों पर भी कब्जा करने की है जिन पर विद्रोहियों का कब्जा नहीं था। इसके चलते रूसी सैनिकों का यूक्रेन सेना के साथ टकराव होना तय है।

नाटो देशों का आक्रामक रुख 

नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) के इन तीन सदस्य देशों के अतिरिक्त अमेरिका व सहयोगी देश पोलैंड, रोमानिया और हंगरी में भी सैन्य तैनाती बढ़ा रहे हैं। जिन देशों में सैन्य तैनाती बढ़ाई जा रही है वे सभी रूस के पड़ोसी देश हैं। लेकिन इस सबसे बेपरवाह रूस यूक्रेन पर अपना दबाव बढ़ा रहा है। रूस ने बेलारूस में अपनी सैन्य तैनाती बढ़ा दी है और वहां पर अस्थायी सैन्य अस्पताल भी स्थापित कर दिया है। बेलारूस में पहले से ही 30 हजार रूसी सैनिक मौजूद हैं। बेलारूस यूक्रेन का पड़ोसी देश है और उसकी सीमा से यूक्रेन की राजधानी कीव की दूरी सिर्फ 75 किलोमीटर है। माना जा रहा है कि रूसी सैनिकों का कीव पर हमला यहीं से होगा।

बाइडन बोले- यह रूसी हमले की शुरुआत

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है- यह रूसी हमले की शुरुआत है। जबकि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि पूर्वी यूक्रेन में दाखिल हुए सैनिक शांतिरक्षक हैं, वे वहां की स्थिति नियंत्रित करने के लिए गए हैं।

अमेरिका तैनात करेगा एफ-35 लड़ाकू विमान

प्रतिबंधों से रूसी सैनिकों के कदम न रुकते देख अमेरिका ने अब क्षेत्र में अत्याधुनिक एफ-35 लड़ाकू विमान और अपाचे अटैक हेलीकाप्टर तैनात करने का फैसला किया है। आठ विमान और 32 हेलीकाप्टर बाल्टिक देशों-एस्टोनिया, लिथुआनिया और लातविया में तैनात किए जा रहे हैं। नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) के इन तीन सदस्य देशों के अतिरिक्त अमेरिका व सहयोगी देश पोलैंड, रोमानिया और हंगरी में भी सैन्य तैनाती बढ़ा रहे हैं। जिन देशों में सैन्य तैनाती बढ़ाई जा रही है, वे सभी रूस के पड़ोसी देश हैं, लेकिन इस सबसे बेपरवाह रूस यूक्रेन पर अपना दबाव बढ़ा रहा है।

बैंकों पर साइबर हमले  

यूक्रेन के प्रमुख सरकारी कार्यालयों और बैंकों पर साइबर हमले जारी हैं। रूस ने बेलारूस में अपनी सैन्य तैनाती बढ़ा दी है और वहां पर अस्थायी सैन्य अस्पताल भी स्थापित कर दिया है।

यूक्रेन में आपातस्थिति, रूस पर कड़े प्रतिबंधों की मांग

तेजी से बिगड़ते हालात के बीच यूक्रेन सरकार ने देश में आपातस्थिति घोषित कर दी है और 18 से 60 वर्ष के लोगों की सेना में भर्ती शुरू कर दी है। राष्ट्रपति वोलोदोमीर जेलेंस्की ने रूसी सेना के बढ़ते कदमों को रोकने के लिए अमेरिका समेत सभी पश्चिमी देशों से रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाने की मांग की है।

विपक्ष भी आया साथ

नाटो में शामिल होने की यूक्रेन की इच्छा में कहीं से भी कमजोरी का भाव प्रतीत नहीं हो रहा है। सरकार ने रूस से टक्कर लेने का संकल्प जाहिर किया है। खतरे को बढ़ता देख देश के सभी राजनीतिक दल एकजुट होकर सरकार के साथ आ गए हैं। सरकार ने अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाए रखने के लिए कर कम करने समेत कई कदमों का एलान किया है।

कूटनीतिक प्रयासों को जोर का झटका

भारतीय समयानुसार सोमवार रात यूक्रेन के विद्रोहियों के कब्जे वाले इलाकों को स्वतंत्र देश घोषित करने की रूसी राष्ट्रपति पुतिन की घोषणा से तनाव कम करने के कूटनीतिक प्रयासों को जोर का झटका लगा है। राष्ट्रपति जो बाइडन की रूसी राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात की संभावना खत्म होने के साथ ही अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव से गुरुवार को होने वाली मुलाकात रद कर दी है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के प्रयास भी खटाई में पड़ गए हैं। रूसी कदम की निंदा करने के साथ ही उन्होंने मध्यस्थता के अपने प्रयास रोक दिए हैं।

कीव और सीमावर्ती इलाकों से पलायन

रूसी सैनिकों के सीमा में दाखिल होने और कीव स्थित रूसी दूतावास खाली किए जाने का असर यूक्रेन के जनमानस पर दिखाई देने लगा है। डोनेस्क और लुहांस्क के जिन इलाकों पर यूक्रेन की सेना का कब्जा है, वहां से लोगों का पलायन शुरू हो गया है। चंद रोज पहले तक मुकाबले का जोश दिखा रहे लोग अब सुरक्षा के लिए ठिकाने तलाश रहे हैं। राजधानी कीव, अन्य प्रमुख शहरों और सीमावर्ती इलाकों में लोगों में चिंता का भाव स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है। बाजार और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर लोगों की आमदरफ्त कम हो गई है। जरूरी सामानों की बिक्री बढ़ गई है और लोग सुरक्षित स्थानों पर जाने लगे हैं।

Leave a Reply

error: Content is protected !!