RBI का सरकार को अधिशेष अंतरण क्या है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने लेखा वर्ष 2023-24 के लिये केंद्र सरकार को 2.11 लाख करोड़ रुपए के महत्त्वपूर्ण अधिशेष अंतरण को मंज़ूरी दे दी है।

  • यह अंतरण विगत वर्ष के लाभांश की तुलना में पर्याप्त वृद्धि को दर्शाता है, जो अधिशेष आय में उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है।

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RBI लाभांश का आवंटन कैसे निर्धारित करता है?

  • अधिशेष गणना बिमल जालान समिति द्वारा अनुशंसित आर्थिक पूंजी फ्रेमवर्क (ECF) पर आधारित थी, जिसने RBI को अपनी बैलेंस शीट के 5.5% और 6.5% के बीच आकस्मिक जोखिम बफर (CRB) बनाए रखने की सलाह दी थी।
    • यह जोखिम प्रावधान मुख्य रूप से अर्जित आय से किया जाता है और उसके बाद ही अधिशेष आय को लाभांश के रूप में सरकार को अंतरित किया जाता है।
    • इस श्रेणी में मौद्रिक तथा वित्तीय स्थिरता जोखिमों के साथ-साथ क्रेडिट और परिचालन जोखिमों के प्रावधान भी शामिल हैं।
    • भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 47 के अनुसार, RBI अपना अधिशेष, जोकि व्यय से अधिक आय है, सरकार को अंतरित करता है।
  • RBI के अधिशेष में वृद्धि के कारण: मार्च 2024 तक RBI के पास 646 बिलियन अमेरिकी डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार था, जिसमें 409 बिलियन अमेरिकी डॉलर टॉप-रेटेड सॉवरेन सिक्योरिटीज़ से संबंधित थे।
    • RBI की सकल डॉलर बिक्री वित्त वर्ष 2023 (USD 213 bn) की तुलना में वित्त वर्ष 2024 (USD 153bn) में काफी कम थी।
      • वित्त वर्ष 2023 की तुलना में वित्त वर्ष 2024 में डॉलर के कम विक्रय के बावजूद, RBI द्वारा किये जाने वाले विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों के प्रबंधन से निरंतर उच्च राजस्व सुनिश्चित हुआ।
    • चलनिधि समायोजन सुविधा (LAF) परिचालन से आय ने भी समग्र अधिशेष में योगदान दिया।

भारतीय रिज़र्व बैंक की आय के स्रोत

आय का स्रोत
  • सरकारी प्रतिभूतियों से ब्याज
  • खुला बाज़ार परिचालन (Open Market Operations- OMO)
  • विदेशी मुद्रा परिचालन
  • ऋण और अग्रिम पर ब्याज
  • चलनिधि समायोजन सुविधा (Liquidity Adjustment Facility- LAF) से आय
व्यय
  • परिचालन खर्च
  • जमा और उधार पर दिया गया ब्याज
  • मुद्रा निर्गम व्यय
  • आकस्मिकताओं और रिज़र्व के लिये प्रावधान
अधिशेष
  • कुल आय (आय के स्रोत) से कुल व्यय (व्यय) घटाकर प्राप्त शुद्ध आय।
  • वित्तीय स्थिरता और आपात स्थिति के लिये आरक्षित निधि एवं आकस्मिक प्रावधान।

बिमल जालान समिति की सिफारिशें:

  • गठन:
    • वित्त मंत्रालय द्वारा केंद्रीय बैंक को वैश्विक प्रथाओं का अनुपालन करने का सुझाव देने के बाद, RBI ने वर्ष 2018 में वर्तमान आर्थिक पूंजी ढाँचे (Economic Capital Framework-  ECF) की समीक्षा करने के लिये पूर्व गवर्नर डॉ बिमल जालान की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति का गठन किया।
  • सिफारिशें:
    • पैनल ने RBI की आर्थिक पूंजी को दो भागों में स्पष्ट रूप से पृथक करने का प्रस्ताव दिया: पहला वास्तविक इक्विटी (Realised equity) और दूसरा पुनर्मूल्यांकन अधिशेष (Revaluation balances)।
      • पुनर्मूल्यांकन भंडार में विदेशी मुद्राओं, सोना, प्रतिभूतियों और एक आकस्मिक निधि में अप्राप्त लाभ/हानि शामिल हैं।
      • वास्तविक इक्विटी (Realised equity) या CRB, जोखिम और नुकसान को कवर करने के लिये संरक्षित की गई आय द्वारा वित्तपोषित की जाती है।
    • समिति ने सुझाव दिया कि RBI को अपनी बैलेंस शीट के 6.5% से 5.5% के दायरे में CRB को बनाए रखना चाहिये।
      • यह सुझाव बाज़ार जोखिमों, ऋण जोखिमों और परिचालन जोखिमों को कम करने के लिये पर्याप्त बफर प्रदान करेगा।
    • समिति ने सलाह दी कि RBI द्वारा सरकार को अतिरिक्त नकदी केवल तभी हस्तांतरित करनी चाहिये, जब वह CRB को निर्दिष्ट सीमा के अंतर्गत रख सके।
      • ऐसा करने से RBI की वित्तीय स्थिरता से समझौता किये बिना सरकार की राजकोषीय मांगों का समर्थन किया जा सकेगा।
    • पैनल ने यह भी सुझाव दिया कि RBI के ECF की हर पाँच वर्ष में समीक्षा की जानी चाहिये।

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