‘RCP सिंह क्या हैं, स्टाफ थे… कुर्ता-पायजामा पहनना जानते थे?’–ललन सिंह

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्‍क

आरसीपी सिंह JDU के राज्यसभा सांसद रहे हैं. 62 वर्षीय आरसीपी सिंह मूल रूप से नालंदा के रहने वाले हैं जहां से नीतीश कुमार भी हैं. आरसीपी सिंह कुर्मी जाति से है. नालंदा जिले के मुस्तफापुर में छह जुलाई 1958 को जन्म हुआ था. वे जेएनयू यानी जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रॉडक्ट हैं. उनकी शुरुआती शिक्षा हुसैनपुर, नालंदा और पटना साइंस कॉलेज से हुई और फिर आगे की पढ़ाई के लिए वे जेएनयू चले गए. राजनीति में आने से पहले वे उत्तर प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी थे. यूपी के रामपुर, बाराबंकी, हमीरपुर और फतेहपुर में वह जिलाधिकारी रह चुके हैं.

नीतीश कुमार से ऐसे हुई मुलाकात

वर्ष था 1996, जब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेई की सरकार थी और नीतीश कुमार केंद्रीय मंत्री थे. इस दौरान उत्तर प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी आरसीपी सिंह तत्कालीन केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के निजी सचिव के तौर पर काम कर रहे थे. इसी दौरान नीतीश कुमार की नजर आरसीपी सिंह पर पड़ी. बेनी प्रसाद वर्मा ने ही दोनों की मुलाकात करवाई.

नीतीश कुमार जब रेल मंत्री बने तो उन्होंने आरसीपी सिंह को अपना विशेष सचिव (Special Secretary) बनाया. इसके बाद 2005 में बिहार विधानसभा चुनाव में जीत के बाद नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने और फिर आरसीपी सिंह को उन्होंने दिल्ली से बिहार बुला लिया. 2005 से 2010 तक आरसीपी सिंह नीतीश कुमार के प्रधान सचिव के तौर पर कार्यरत रहे और इसी दौरान पार्टी में उनकी पकड़ मजबूत होती चली गई.

नीतीश के करीबी नेताओं में है ललन सिंह
अभी ललन सिंह नीतीश कुमार के सबसे करीबी और विश्वासी नेताओं में एक हैं। माना जाता है कि पार्टी के तमाम फैसलों में उनका हाथ होता है। ललन सिंह जेपी आंदोलन के समय बिहार में नीतीश कुमार, लालू प्रसाद, रामविलास पासवान जैसे नेताओं की तरह राजनीति में आए। वह नीतीश कुमार के क्लासमेट भी रहे हैं। छात्र राजनीति में सक्रिय रह चुके ललन सिंह शुरू से ही मुखर नेताओं में रहे हैं। वह प्रदेश राजनीति के प्रमुख सवर्ण चेहरों में शामिल हैं।

जब ललन सिंह की बन गई थी नीतीश से दूरी, कांग्रेस में हुए थे शामिल
ललन सिंह बिहार में पहली बार सुर्खियों में तब आए, जब वह लालू प्रसाद के खिलाफ चारा घोटाले की कानूनी लड़ाई में शामिल हुए। उस घोटाले की शिकायत करने वालों में ललन सिंह सबसे आगे थे। हालांकि, ऐसा नहीं है कि ललन सिंह हमेशा से ही नीतीश कुमार के साथ रहे। 2008-09 में उनकी नीतीश कुमार से दूरी बन गई थी। उन पर पार्टी फंड का दुरुपयोग करने का आरोप लगा था। इसके बाद उन्होंने पार्टी छोड़ दी और कांग्रेस में शामिल हो गए। लेकिन दोनों में यह दूरी बहुत दिनों तक बनी नहीं रह सकी।

2013 में फिर नीतीश के साथ आए ललन सिंह
2013 में जब नीतीश कुमार बीजेपी से दूर होकर नई राजनीति की ओर से बढ़ रहे थे, तब ललन सिंह फिर से जेडीयू में आए। नीतीश कुमार ने उन्हें बिहार सरकार में मंत्री बनाया। लालू प्रसाद यादव के कट्टर आलोचक माने जाने वाले ललन सिंह के बारे में कहा गया कि जब 2015 में राज्य में महागठबंधन की सरकार बनी, तब वह इससे खुश नहीं थे। शायद इसीलिए 2017 में आरजेडी का साथ छोड़ बीजेपी से दोबारा गठबंधन करके नीतीश कुमार सरकार बनवाने में उनकी अहम भूमिका रही।

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