क्या है शंघाई सहयोग संगठन ?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 15 और 16 सितंबर को होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए गुरुवार को उज्बेकिस्तान रवाना होंगे। शिखर सम्मेलन इस साल उज्बेकिस्तान के समरकंद में आयोजित किया जाएगा। पिछली बार किर्गिस्तान के बिश्केक में यह सम्मेलन आयोजित किया गया था। एससीओ शिखर सम्मेलन (SCO Summit) हर साल एक बार आयोजित किया जाता है।

इस शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी समेत चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, ईरानी राष्ट्रपति अब्राहिम रायसी नेताओं के शामिल होने की उम्मीद है। इस साल के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए कुल मिलाकर 15 देशों के शीर्ष नेताओं को आमंत्रित किया गया है।

क्या है शंघाई सहयोग संगठन (SCO) ?

शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organization, SCO) एक अंतर सरकारी संगठन है। यह संगठन राजनीति, अर्थशास्त्र, विकास और सेना के मुद्दों पर केंद्रित है। इसकी शुरुआत 1996 में चीन, रूस, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और किर्गिस्तान के नेताओं द्वारा ‘शंघाई फाइव’ के रूप में हुई थी। वर्तमान में संगठन के आठ सदस्य देश शामिल हैं। इन देशों की सूची में भारत, पाकिस्तान और उज्बेकिस्तान सहित चार पर्यवेक्षक देश (Observer Countires) और छह संवाद भागीदार (Dialogue Partners) देश शामिल हैं।

2001 में संगठन का नाम बदलकर एससीओ कर दिया गया। इसका मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना, सीमा मुद्दों को हल करना, आतंकवाद और धार्मिक अतिवाद का समाधान करना और क्षेत्रीय विकास को बढ़ाना है।

भारत के लिए शिखर सम्मेलन का क्या है महत्व?

इस शिखर सम्मेलन में भारत की उपस्थिति बेहद महत्वपूर्ण होगी। शिखर सम्मेलन के अंत में भारत इसकी अध्यक्षता ग्रहण करेगा। सितंबर 2023 तक यानी पूरे एक साल तक भारत शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की अध्यक्षता करेगा।

आम तौर पर एससीओ को उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) के पूर्वी समकक्ष के रूप में देखा जाता है। एससीओ का एक उद्देश्य मध्य एशिया में अमेरिकी प्रभाव का मुकाबला करना है। इसलिए भारत में चीन के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी है। भारत और चीन दोनों ही देशों की उपस्थिति संगठन को सबसे बड़ा जनसंख्या कवरेज देती है।

शिखर सम्मेलन में भारत की भागीदारी से प्रधानमंत्री को विभिन्न सुरक्षा और सहयोग के मुद्दों पर विश्व नेताओं के साथ द्विपक्षीय वार्ता करने का अवसर मिल सकता है।

क्या है शिखर सम्मेलन का एजेंडा ?

इस शिखर सम्मेलन में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण से उभरने वाले भू-राजनीतिक संकट पर चर्चा होने की संभावना है। इसके अलावा तालिबान शासित अफगानिस्तान की स्थिति भी चिंता का विषय होगी, क्योंकि एससीओ के कई प्रतिभागी देश अफगानिस्तान के पड़ोसी हैं।

प्रधानमंत्रियों और अन्य राष्ट्राध्यक्षों के बीच निर्धारित द्विपक्षीय बैठकों पर कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई है। हालांकि, शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग के बीच एक बैठक (यदि ऐसा होता है) को करीब से देखा जा सकता है। दोनों देश मई 2020 के बाद से पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर एक सैन्य घटना को लेकर आमने-सामने हैं। कई समाचार रिपोर्टों के आधार पर प्रधानमंत्री मोदी संभवतः व्लादिमीर पुतिन और अब्राहिम रायसी से भी मिल सकते हैं।

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन से पूर्व वाराणसी को SCO क्षेत्र की पहली “पर्यटन और सांस्कृतिक राजधानी 2022-23” के रूप में चुना गया है।

  • SCO शिखर सम्मेलन उज़्बेकिस्तान के समरकंद में आयोजित किया जाएगा जहाँ SCO में दो नए सदस्य- ईरान और बेलारूस के शामिल होने की संभावना है। युवा कार्य के क्षेत्र में सहयोग पर SCO के सदस्य देशों द्वारा 17 सितंबर, 2021 को समझौते को अपनाने के परिणामस्वरूप इस समझौते पर युवा मामले और खेल मंत्री द्वारा हस्ताक्षर किये गए थे।
  • भारत वर्ष 2023 में SCO शिखर सम्मेलन की मेज़बानी करेगा।

पहल:

  • सदस्य राज्यों के बीच लोगों से लोगों के संपर्क और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये एक नई आवर्ती पहल के तहत वाराणसी को “सांस्कृतिक और पर्यटन राजधानी (Cultural and Tourism Capital)” बनाने का निर्णय लिया गया है।
  • प्रत्येक वर्ष एक सदस्य देश की सांस्कृतिक विरासत का शहर जो संगठन की आवर्ती अध्यक्षता को संभालेगा, उसे इसकी प्रमुखता को उजागर करने के लिये उपाधि प्रदान की जाएगी।
  • नई पहल समरकंद शिखर सम्मेलन के बाद लागू होगी जिसके बाद भारत अध्यक्ष पद का कार्यभार संभालेगा और अगले राष्ट्राध्यक्षों के शिखर सम्मेलन की मेज़बानी करेगा।

SCO का विस्तार:

  • यह देखा गया है कि SCO का अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव बढ़ रहा है और SCO चार्टर के सिद्धांतों को व्यापक रूप से स्वीकार किया जा रहा है।
  • चीन और रूस समूह को पश्चिम के लिये एक काउंटर के रूप में विशेष रूप से नाटो (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) के विस्तार के रूप में तैयार करना चाहते हैं।
  • हालाँकि ऐसा माना जाता है कि SCO और नाटो के बीच काफी विरोधाभास है।
    • नाटो का विस्तार पूरी तरह से अलग है क्योंकि SCO गुटनिरपेक्षता पर आधारित एक सहकारी संगठन है और किसी तीसरे पक्ष को लक्षित नहीं करता है।
    • नाटो शीत युद्ध की सोच पर आधारित है।

शंघाई सहयोग संगठन (SCO):

  • परिचय:
    • SCO एक स्थायी अंतर-सरकारी अंतर्राष्ट्रीय संगठन है।
    • यह यूरेशियाई राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य संगठन है जिसका लक्ष्य इस क्षेत्र में शांति, सुरक्षा एवं स्थिरता बनाए रखना है।
    • इसका गठन वर्ष 2001 में किया गया था।
    • SCO चार्टर वर्ष 2002 में हस्ताक्षरित किया गया था और यह वर्ष 2003 में लागू हुआ।
  • उत्पत्ति:
    • वर्ष 2001 में SCO के गठन से पहले कज़ाखस्तान, चीन, किर्गिज़स्तान, रूस और ताजिकिस्तान शंघाई फाइव (Shanghai Five) के सदस्य थे।
    • शंघाई फाइव (1996) का उद्भव सीमा के सीमांकन और विसैन्यीकरण वार्ता की एक शृंखला के रूप में हुआ, जिसे चार पूर्व सोवियत गणराज्यों द्वारा चीन के साथ सीमाओं पर स्थिरता सुनिश्चित करने हेतु आयोजित किया गया था।
    • वर्ष 2001 में संगठन में उज़्बेकिस्तान के शामिल होने के बाद शंघाई फाइव का नाम बदलकर SCO कर दिया गया।
    • वर्ष 2017 में भारत और पाकिस्तान इसके सदस्य बने।
  • उद्देश्य:
    • सदस्य देशों के मध्य परस्पर विश्वास तथा सद्भाव को मज़बूत करना।
    • राजनैतिक, व्यापार एवं अर्थव्यवस्था, अनुसंधान व प्रौद्योगिकी तथा संस्कृति के क्षेत्र में प्रभावी सहयोग को बढ़ावा देना।
    • शिक्षा, ऊर्जा, परिवहन, पर्यटन, पर्यावरण संरक्षण इत्यादि क्षेत्रों में संबंधों को बढ़ाना।
    • संबंधित क्षेत्र में शांति, सुरक्षा व स्थिरता बनाए रखना।
    • लोकतांत्रिक, निष्पक्ष एवं तर्कसंगत नव-अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक व आर्थिक व्यवस्था की स्थापना करना।
  • सदस्यता:
    • वर्तमान में इसके सदस्य देशों में कज़ाखस्तान, चीन, किर्गिज़स्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, भारत, पाकिस्तान और ईरान शामिल हैं।
  • संरचना:
    • राष्ट्र प्रमुखों की परिषद: यह SCO का सर्वोच्च निकाय है जो अन्य राष्ट्रों एवं अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ अपनी आंतरिक गतिविधियों के माध्यम से बातचीत कर अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार करती है।
    • शासन प्रमुखों की परिषद: SCO के अंतर्गत आर्थिक क्षेत्रों से संबंधित मुद्दों पर वार्ता कर निर्णय लेती है तथा संगठन के बजट को मंज़ूरी देती है।
    • विदेश मंत्रियों की परिषद: यह दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों से संबंधित मुद्दों पर विचार करती है।
    • क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी संरचना (RATS): आतंकवाद, अलगाववाद, पृथकतावाद, उग्रवाद तथा चरमपंथ से निपटने के मामले देखती है।
    • शंघाई सहयोग संगठन का सचिवालय: यह सूचनात्मक, विश्लेषणात्मक तथा संगठनात्मक सहायता प्रदान करने हेतु बीजिंग में अवस्थित है।
  • आधिकारिक भाषाएँ :
    • रूसी और चीनी SCO की आधिकारिक भाषाएँ हैं।

भारत हेतु समूह की प्रासंगिकता:

 

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