क्या है सिंगल यूज प्लास्टिक और क्यों किया गया बैन ?

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दुनिया भर में हर सेकेंड 15,000 प्लास्टिक की बोतलें बिकती हैं

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सिंगल यूज प्लास्टिक, नाम से ही साफ है कि ऐसे प्रोडक्ट जिनका एक बार इस्तेमाल करने के बाद इन्हें फेंक दिया जाता है। इसे आसानी से डिस्पोज नहीं किया जा सकता है। साथ ही इन्हें रिसाइकिल भी नहीं किया जा सकता है। यही वजह है कि प्रदूषण को बढ़ाने में सिंगल यूज प्लास्टिक की अहम भूमिका होती है।

सिंगल यूज प्लास्टिक का मतलब प्लास्टिक से बनी उन प्रोडक्ट से है जिसे एक बार ही इस्तेमाल किया जा सकता है. यह आसानी से डिस्पोज नहीं किए जा सकते.

सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगाना क्यों जरूरी है?
देश में प्रदूषण फैलाने में प्लास्टिक कचरा सबसे बड़ा कारक है। केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक देश में 2018-19 में 30.59 लाख टन और 2019-20 में 34 लाख टन से ज्यादा प्लास्टिक कचरा जेनरेट हुआ था। प्लास्टिक न तो डीकंपोज होते हैं और न ही इन्हें जलाया जा सकता है, क्योंकि इससे जहरीले धुएं और हानिकारक गैसें निकलती हैं। ऐसे में रिसाइक्लिंग के अलावा स्टोरेज करना ही एकमात्र उपाय होता है।

प्लास्टिक अलग-अलग रास्तों से होकर नदी और समुद्र में पहुंच जाता है। यही नहीं प्लास्टिक सूक्ष्म कणों में टूटकर पानी में मिल जाता है, जिसे हम माइक्रोप्लास्टिक कहते हैं। ऐसे में नदी और समुद्र का पानी भी प्रदूषित हो जाता है। यही वजह है कि प्लास्टिक वस्तुओं पर बैन लगने से भारत अपने प्लास्टिक वेस्ट जेनरेशन के आंकड़ों में कमी ला सकेगा।

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के आंकड़ों के मुताबिक यदि वर्तमान खपत का पैटर्न और अपशिष्ट प्रबंधन तरीके ऐसे ही जारी रहते हैं, तो 2050 तक लैंडफिल और पर्यावरण में लगभग 12 बिलियन (अरब) मीट्रिक टन प्लास्टिक का कूड़ा होगा।

भारत में सालाना 35 लाख मीट्रिक टन प्लास्टिक का कचरा पैदा होता है।

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के मुताबिक दुनिया भर में हर साल 26 से 27 ट्रिलियन प्लास्टिक बैगों की खपत होती है

सिगल यूज प्लास्टिक से संबंधित तथ्य

– सिगल यूज प्लास्टिक वेस्ट जेनरेट करने वाले टाप 100 देशों में भारत का 94वां स्थान है

– देश में घरेलू स्तर पर एक करोड़ 10 लाख टन से अधिक सिगल यूज प्लास्टिक का उत्पादन होता है

– देश में लगभग 30,00000 टन सिगल यूज प्लास्टिक का आयात किया जाता है

– सिगल यूज प्लास्टिक के कारण प्रति वर्ष लगभग 11 लाख समुद्री जीव-जंतु जीव की हो जाती है मृत्यु

– 700 समुद्री जीव इस प्लास्टिक के कारण हो चुके हैं विलुप्त

– वैश्विक स्तर पर नौ अरब टन प्लास्टिक का सिर्फ नौ प्रतिशत ही हो पाता है रिसाइकल

– रिसाइकल नहीं हो पाने वाले प्लास्टिक महासागरों, लैंडफिल और जल स्त्रोतों में माइक्रो प्लास्टिक के रूप में चले जाते हैं

– सिगल यूज प्लास्टिक हजारों साल तक ऐसे ही पड़ी रहती है

– स्वयं जागरूक होने के साथ-साथ औरों को भी करें जागरूक सिगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया गया है लोगों को स्वयं इनके इस्तेमाल को नहीं करने का संकल्प लेना चाहिए। इस मामले में वह जितने जल्दी जागरूक होंगे यह हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए उतना ही अच्छा होगा।

स्टिक बैग.. सिंगल यूज प्लास्टिक में सबसे बड़ा योगदान इसी का है। मप्र में इसका निर्माण 2 साल से प्रतिबंधित है, लेकिन अन्य राज्यों से सप्लाई।

विकल्प : जूट, कपड़े और मोटे कागज के कैरीबैग।

छोटी प्लास्टिक बोतल – पैकेज्ड पानी, कुकिंग ऑइल्स की पैकिंग में इस्तेमाल होता है। इन्हें बाद में फेंक दिया जाता है।

विकल्प: तांबे-स्ट्रील जैसी धातुओं,  कांच की बोतलें

प्लास्टिक प्लेट-दोने  शादी, पार्टी, स्ट्रीट फूड कॉर्नर जैसी जगहों पर इनका सर्वाधिक इस्तेमाल इन दिनों हो रहा है। गंदगी का बड़ा कारण ये भी है।

विकल्प – खांखर या ढाक, केला और कमल के पत्तों से बने दोना-पत्तल। शहरों में खुल रहे बर्तन बैंक।

स्ट्रा पाइप…  जूस पीने के लिए स्ट्रा पाइप का चलन तेजी से बढ़ा है। प्लास्टिक से बनी यह पाइप एक बार इस्तेमाल के बाद फेंक दी जाती है।

विकल्प – बाजार में सस्ती कीमत में कागज की स्ट्रा पाइप हैं।

प्लास्टिक कप-ग्लास – चाय, पानी, आदि के लिए इनका इस्तेमाल करते हैं। आयोजनों में इसका खूब उपयोग होता है।

विकल्प – कुल्हड़। कांच व मेटल के गिलास की बोतल।

शैचेट्स (पाउच)..- शैंपू, हेयर ऑइल और अचार बनाने वाली कंपनियां शैसे (प्लास्टिक पाउच) में पैकिंग कर बेचती हैं। इन्हें इस्तेमाल के बाद फेंक दिया जाता है।

विकल्प-  इसके विकल्प अब तक तय नहीं हो सका है। इसलिए इसके प्रतिबंध पर भी अभी सहमति नहीं बन पाई है।

भारत में किन वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाया गया है?

प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 तथा मंत्रालय की सूचना के मुताबिक, गुटखा, तंबाकू और पान मसाला के भंडारण, पैकिंग या बिक्री के लिए इस्तेमाल की जाने वाली प्लास्टिक सामग्री का उपयोग करने वाले पाउच पर प्रतिबंध है।

प्लास्टिक की छड़ें, प्लास्टिक के गुब्बारे की छड़ें, प्लास्टिक के झंडे, कैंडी की छड़ें, आइसक्रीम की छड़ें, पॉलीस्टायरीन की सजावट के साथ-साथ प्लेट, कांटे, चम्मच, चाकू, चश्मा, पुआल और ट्रे जैसे कटलरी आइटम पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। अन्य प्रतिबंधित वस्तुओं में प्लास्टिक से बने मिठाई के बॉक्स, प्लास्टिक से बने निमंत्रण कार्ड और सिगरेट के पैकेट, प्लास्टिक स्टिरर, और प्लास्टिक या पीवीसी बैनर के चारों ओर रैपिंग फिल्म शामिल है जो 100 माइक्रोन से कम हैं।

भारत सरकार ने सितंबर 2021 में पहले ही 75 माइक्रोन से कम के पॉलीथीन बैग पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसमें पहले के 50 माइक्रोन की सीमा को बढ़ा दिया गया था।

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