क्या है सेना का अग्निपथ?सेना में भर्ती की नई स्कीम.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

देश में युवाओं के लिए सेना में भर्ती होने का गोल्डन मौका आ गया है। भारत सरकार की ओर से थलसेना, नौसेना और वायुसेना में सैनिकों की भर्ती के लिए एक नई अग्निपथ योजना का ऐलान कर दिया गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना के लिए बड़ी भर्ती योजना अग्नीवीर को लॉन्च कर दिया है। इस नई योजना के मुताबिक सरकार सेना में चार साल के लिए जवानों की भर्ती करेगी।

इस योजना के मुताबिक साढ़े तीन साल तक एक्टिव ड्यूटी करने के बाद 75 फीसद जवानों को रिटायर कर दिया जाएगा। एक महीने के बाद सरकार 25 फीसदी जवानों को भर्ती करेगी। सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीएस) की बैठक में नई योजना को मंजूरी मिल जाने के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसका ऐलान किया। राजनाथ सिंह ने कहा कि अग्निपथ भर्ती योजना एक क्रांतिकारी पहल है जो सशस्त्र बलों को एक युवा प्रोफाइल पहचान करेगी। कम वक्त में सेना की ट्रेनिंग, अनुभव, सैलरी, नौकरी में चयन इसको लेकर कई सवाल पूछे गए। इससे जुड़े महत्वपूर्ण सवाल जिसका जवाब सेना की ओर से दिए गए।

क्या है सेना का अग्निपथ?

तीनों सेनाओं में जवानों की कम समय के लिए भर्ती होगी। सैन्य बलों में जवानों की 4 साल के लिए भर्ती होगी। 17 साल 6 महीने से 21 साल तक के लोग भर्ती होंगे। छह महीने की ट्रेनिंग के बाद सैन्य बलों में शामिल होंगे। जवान साढ़े तीन साल फोर्स में एक्टिव ड्यूटी करेंगे। बाद में 75 फीसदी जवानों को रिटायर कर दिया जाएगा। 25 फीसदी जवानों की एक महीने बाद फिर से भर्ती होगी। भर्ती सेना के तय नियमानुसार ही होगी। मेरिट और चार साल के सेवाकाल के दौरान किए गए प्रदर्शन के आधार पर केंद्रीयीकृत और पारदर्शी मूल्य़ांकन होगा। 100 % उम्मीदवार वालंटियर के तौर पर रेगुलर काडर के लिए आवेदन कर सकते हैं।

अग्निवीरों को क्या सैलरी मिलेगी?

शुरुआती सैलरी 30 हजार रुपये महीना होगी। जबकि चौथे साल तक सैलरी 40 हजार रुपये तक होगी। 70 प्रतिशत सैलरी जवानों को मिला करेगी। 30 प्रतिशत सैलरी सरकार अपने पास रखेगी। ये रकम सेवा निधी के रूप में जमा होगी। सेवा निधि में 30 प्रतिशत योगदान सरकार भी देगी। ईपीएफ/पीपीएफ की सुविधा के साथ अग्निवीर पहले साल 4.76 लाख रुपये पाएंगे। चौथे साल तक वेतन 40 हजार रुपये यानी सालाना 6.92 लाख रुपये पाएंगे। पैकेज के साथ ही कुछ भत्ते भी मिलेंगे, जिसमें रिस्क एंड हार्डशिप, राशन, ड्रेस और ट्रैवल एलाउंस शामिल होंगे।

सेवा के दौरान डिसेबल होने पर नॉन सर्विस पीरियड का फुल पे और इंट्रेस्ट भी मिलेगा। सेवा निधि को आयकर से छूट दी जाएगी। अग्निवीर ग्रेच्युटी और पेंशन संबंधी लाभों के हकदार नहीं होंगे। अग्निवीरों को भारतीय सशस्त्र बलों में उनकी अवधि के लिए 48 लाख रुपये का गैर-अंशदायी जीवन बीमा कवर प्रदान किया जाएगा।

चार साल सर्विस के बाद अग्निवीर क्या करेंगे?

सर्विस के बाद जवानों को डिप्लोमा मिलेगा। जवानों को क्रेडिट स्कोर भी दिए जा सकते हैं। क्रेडिट का इस्तेमाल आगे की पढ़ाई में कर सकेंगे। रिटायरमेंट के बाद नौकरी में सरकार मदद करेगी। सरकारी मंत्रालय जवानों का कौशल विकास करेंगे। पुलिस/केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में नौकरी कर सकेंगे। कॉरपोरेट सेक्टर में भी नौकरी का मौका मिल सकेगा। चार साल के इस कार्यकाल के बाद, अग्निवीरों को नागरिक समाज में शामिल किया जाएगा जहां वे राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में योगदान दे सकते है।

10 प्वाइंट्स में जानें सेनाओं को अग्निपथ की जरूरत क्यों पड़ी?

सेनाओं का सैलरी-पेंशन का खर्च बचेगा।

बचे हुए पैसों से आधुनिकीकरण हो सकेगा।

हथियार उपकरण खरीदने के लिए रकम बचेगी।

अभी 60% रक्षा बजट पेंशन-सैलरी में जाता है।

सेनाओं में सभी वर्गों को बराबर का मौका मिलेगा।

अभी कई रेजीमेंट जातियों और समुदायों के नाम पर हैं।

इन रेजीमेंटों में बाहरी लोगों की भर्ती पर रोक है।

सेनाओं में खाली जगहों पर जल्दी भर्ती हो सकेगी।

अभी सेना में करीब सवा लाख जवानों की कमी है।

सामान्य भर्ती से कमी पूरी करने में 6 से 7 साल लगेंगे।

अग्निपथ से कैसे होगी सेना की बचत

अभी सेना का खर्च

10 साल के एसएससी पर 5.12 करोड़ रुपये।

14 साल के एसएससी पर 6.83 करोड़ रुपये।

रक्षा बजट का 60% पेंशन-सैलरी में खर्च होता है।

अग्नीवीरों पर खर्च

चार साल सर्विस में 80-85 लाख रुपये।

1000 जवानों पर 11000 करोड़ की  बचत।

सौलरी-पेंशन का बोझ 30% तक कम होगा।

कार्यकाल के बाद नागरिक दुनिया में प्रगति के लिए खुलेंगे अवसर

अग्निवीर, अपनी युवावस्था में चार साल का कार्यकाल पूरा होने पर, प्रोफेश्‍नल और पर्सनल रूप से परिपक्व और आत्म-अनुशासित होंगे। अग्निवीर के कार्यकाल के बाद नागरिक दुनिया में उनकी प्रगति के लिए जो रास्ते और अवसर खुलेंगे, वह निश्चित रूप से राष्ट्र निर्माण की दिशा में एक बड़ा प्लस होगा। इसके अलावा, लगभग 11.71 लाख रुपये की सेवा निधि अग्निवीर को वित्तीय दबाव के बिना अपने भविष्य के सपनों को आगे बढ़ाने में मदद करेगी, जो आमतौर पर समाज के आर्थिक रूप से वंचित तबके के युवाओं के लिए होता है।

सेना के अग्निपथ का विरोध क्यों?

विरोध करने वालों का तर्क है कि सिर्फ चार साल सर्विस से समर्पण भाव नहीं होगा। इसके साथ ही सीमित सर्विस से मुश्किल अभियानों में नहीं शामिल हो पाएंगे। रिटायर होने के बाद दोबारा नौकरी में मुश्किल होगी। प्रशिक्षित जवानों के हथियार उठा लेने का डर होगा। पुलिस बलों में सेना के जवानों का दबदबा हो जाएगा।

एलएसी और एलओसी की चुनौतियों का कैसे करेंगे सामना?

ट्रेनिंग देने के बाद अग्निवीर भी अभी के सैनिकों की तरह ही चुनौतियों का सामना कर पाएंगे। सेना में ट्रेनिंग स्टैंडर्ड टफ है। एक सिस्टम के जरिए इसे लगातार मॉनिटर भी किया जाता है। अग्निवीर की ट्रेनिंग से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। पाकिस्तान या चीन बॉर्डर पर उनकी तैनाती होगी। इससे हमारी ऑपरेशनल क्षमता में कोई कमी नहीं आएगी। हमारी यूनिट्स में सही संख्या में इन्हें तैनात किया जाएगा।

 

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